बृजेश चतुर्वेदी
*नथिंग विल गो ऑन रेकॉर्ड…*
नई दिल्ली।(आवाज न्यूज ब्यूरो)। भूतपूर्व हो चुके उपराष्ट्रपति धनखड़ का इस्तीफा हुए हफ्ता भर बीता है, और वे भी भुलाये जा चुके।
दुख की बात है, ऐसे उच्च संवैधानिक पद पर रहकर भी, किसी रिकार्ड बुक से धनखड़ का नाम खाली रहेगा।
बड़ा ही छोटा कार्यकाल रहा। उनसे कम वक्त, वीवी गिरी और आर वेंकटरमन रहे लेकिन इसलिए क्योकि उन्हें राष्ट्रपति पद की शपथ लेनी थी।
भारत के 14 उपराष्ट्रपतियों में 6 भारत के राष्ट्रपति बने। शेष में अधिकांश इसलिए न बन पाए कि उपराष्ट्रपति काल समाप्त होने औऱ राष्ट्रपति बनने का अवसर आने के बीच, सरकार बदल गयी।
कुछ मामलों में सरकार के आका की निगाह बदल गई। (इस बारे में ज्यादा जानकारी वेंकैया नायडू से लीजिये)
लेकिन जिस तरह बेआबरु होकर धनखड़ निकले, भारतीय लोकतंत्र में छोटा सा रिकार्ड तो बना ही गए। वे कार्यकाल के मध्य इस्तीफा देकर घर बैठने वाले पहले उपराष्ट्रपति हैं।
कुछ नही तो वे इसी रिकार्ड के नाते याद कर लिए जायेगे। लेकिन विडंबना है कि हर बार वे रिकार्ड बनाने से चूकते रहे।
एक रिकार्ड बनते बनते तब रह गया जब वे सांसदो के सस्पेंशन का अर्धशतक बनाने से चूक गए। वे कोई 46 सांसद ही सस्पेंड कर पाए जबकि लोकसभा में खेल रहे उनके जोडीदार, अपने सदन में, 100 सांसदों के सस्पेंशन का आंकड़ा छूने में सफल रहे।
इस तरह पिछले विंटर गेम्स (सत्र) के दोनों सदनों के सभापतियों ने मिलकर, सरकारी टीम से खेलते हुए विपक्ष के खिलाफ धुआंधार बैटिंग की।
कुल 148 का नाबाद स्कोर बनाया। भारतीय संसद के इतिहास में शायद यह कभी न टूटने वाला रिकार्ड है।
रिकार्ड यह भी रहा कि महाभियोग का नोटिस पाने स्वीकार करने वाले, वे भारत के अकेले उपराष्ट्रपति रहे। यह मुकम्मल उपलब्धि होती, यदि वे महाभियोग लगाकर इतिहास के कूड़ेदान में भेजे जाने वाले पहले उपराष्ट्रपति हो जाते।
मगर कमजोर इच्छा शक्ति वाले, इंकंसिस्टेन्ट और कन्फ्यूज्ड विपक्ष ने यह रिकार्ड भी उनके नाम पर लिखे जाने का अवसर छीन लिया।
हम भारतवासी, इस विपक्ष को कभी हृदय से क्षमा नही कर पाएंगे।
धनखड़ साहब के बारे में विकिपीडिया यह फैलाता है कि वह राजस्थान के जाट हैं। परन्तु जीव वैज्ञानिको उनकी जाति को लेकर खासा द्वंद्व है।
उनकी लिजलिजी मुस्कान और लसलसी जुबान के मद्देनजर कई वैज्ञानिक उन्हें फ़ायलम एनेलिडा का सदस्य मानते हैं। इस संघ में दूसरा फेमस उदाहरण केंचुआ है।
जो अमूमन मिट्टी खाता है, और अच्छा वर्मी कम्पोस्ट प्रदाय करता है। राज्यसभा के घूरा बनने की प्रकिया को इसका प्रमाण बताकर इसकी पुष्टि दी जाती है।
मगर दबी हुई आत्मा और कुचला हुआ फ्लैट आत्मसम्मान देखकर, कई वैज्ञानिक इन्हें प्लेटिहेल्मनथीज का सदस्य भी बताते है।
बहरहाल, वैज्ञानिकों में इस बात पर पूर्ण मतैक्य है कि वे किसी किस्म के नॉन कार्डेट प्राणी है। जिसमे रीढ़ की हड्डी का घोर अभाव है।
वैज्ञानिक इसका प्रमाण, इस तथ्य से देते है कि मौजूदा सरकार में किसी कार्डेटा, अर्थात रीढ़युक्त प्राणी को उच्च पद दिया जाना सम्भव नही। शपथ के यहाँ पूर्व रीढ परिक्षण कराया जाना अनिवार्य है।
धनखड़ साहब इस विषय पर अपना मेडिकल सर्टिफिकेट पश्चिम बंगाल के राजभवन प्रवेश के पहले जमा करवा चुके थे, ऐसा उच्च पदस्थ सूत्र (मूत्र नही) बताते हैं।
गोदी मीडिया और यूटयूब पर रोज धमाकेदार खुलासा करने वाले चैनलो का कहना है कि धनखड़, विपक्ष के साथ मिलकर कोई बड़ा खेला करने वाले थे।
मेरा ऐसी खबरों पे यकीन नही। उनका पिछला इतिहास कपट, छल, दलबदल, स्वार्थ और आत्मसेवा का अवश्य रहा है। पर यह हमेशा विपक्ष से सत्ता की यात्रा के लिये हुआ। विपरीत नहीं।
वे कभी सत्य, न्याय, लोकतन्त्र जैसी फालतू बातों से प्रभावित होकर युद्धरत नही हुए। इस उम्र में अपनी गिलगिली उंगलियों से च्यूंटी काटना भी चाहे, तो सामने बैठे मोटी खाल वालो को गुदगुदी भर होगी। हंसी उन्हें तब भी न आएगी।
धनखड़, ऑक्सीजन को कार्बन डाई ऑक्साइड में बदलने के अलावे, उच्च सदन में कोई बदलाव लाने की न क्षमता रखते थे। न योग्यता, न हिम्मत।
भारत का दुर्भाग्य है कि आने वाला उत्तराधिकारी उनकी ही श्रेणी का होगा। उनसे अच्छा नही, बल्कि वर्स्ट होगा।
क्योकि वर्स्ट होना ही उसके चयन की योग्यता होगी। अब देश को देखना है कि विश्व की सबसे बड़ी पार्टी में कौन शख्स धनखड़ होने में, धनखड़ से आगे निकल पाता है।
उनके आखरी दिन दोपहर, उनकी मौजूदगी में एक मंत्री ने विपक्ष से कहा – नथिंग यू से विल गो ऑन रिकार्ड, ओनली व्हाट आई से.. विल गो ऑन रिकार्ड!!!
साबित हो गया कि आसंदी पर धनखड़ महज एक कठपुतली थे। और कठपुतलियां इतिहास का हिस्सा नही बनती।
*ही हैज़ नो लेगेसी टू सेलिब्रेट
हिज लाइफ, हिज टाइम्स..
नथिंग विल गो ऑन रेकॉर्ड*
Awajnews
