जन्म के समय लगभग 6 प्रतिशत बच्चों में पाया जाता है जन्मजात दोष : सीएमओ

प्रसव के समय ही कर ली जाए नवजात में जन्मजात दोषों की पहचान,स्वास्थ्य कर्मियों का किया गया उन्मुखीकरण

फर्रुखाबाद।(आवाज न्यूज ब्यूरो) घर में जब भी कोई बच्चा जन्म लेता है तो उससे संबंधित लोग खुशी से झूम उठते हैं लेकिन जब उन्हें पता चलता है कि उसमें कोई जन्मजात दोष है तो यही खुशी कोसों दूर चली जाती है। इसी जन्मजात दोष की प्रसव के समय पर ही पहचान कर ली जाए तो उस नन्हीं सी जान का उपचार किया जा सकता है। इसी विषय पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी सभागार में मंगलवार को प्रशिक्षण सत्र आयोजित किया गया। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत आयोजित इस आयोजन में जन्मजात दोषों की पहचान व नवजात की देखभाल को लेकर विस्तृत चर्चा की गई।
मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ अवनींद्र कुमार ने कहा कि जन्म लेने वाले लगभग छह प्रतिशत बच्चों में कोई न कोई जन्मजात दोष पाया जाता है। समय से दोष पहचान लिया जाए और उसका समय से उपचार हो तो शिशुओं को मृत्यु से बचाया जा सकता है। बिना उपचार के यदि ऐसे शिशु बच जाएं तो वह शारीरिक या मानसिक विकलांग हो सकते हैं। उन्होंने बताया कि इस सत्र के दौरान स्टाफ नर्स, मेडिकल ऑफिसर और एएनएम को जन्मजात दोषों को पहचानने व निवारण करने के लिए प्रशिक्षण दिया गया।
आरबीएसके के नोडल अधिकारी और एसीएमओ ने प्रशिक्षण देते हुए कहा कि जन्मजात दोष 11 प्रकार के होते हैं। इनमें न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट, डाउन सिंड्रोम, कटा हुआ होंठ व तालू, मुड़ा हुआ पैर, जन्मजात मोतियाबिंद, जन्मजात बहरापन, जन्मजात हृदय रोग, रेटिनोपेथी आफ प्रीमेच्योरिटी आदि हैं।

एसीएमओ ने बताया कि इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य है यदि प्रसव के समय ही बच्चे में जन्मजात दोष की पहचान कर ली जाए तो उसके माता पिता को उसी समय उस दोष के बारे में उचित सलाह और इलाज के बारे में जानकारी हो जाने पर उस बच्चे को समय से इलाज मिल सकता है l
एसीएमओ ने कहा कि आंगनवाड़ी केन्द्रों एवं स्कूलों में भ्रमण करने वाली टीमों द्वारा बच्चों में रोगों के चिन्हीकरण के अतिरिक्त प्रसव इकाईयों पर जन्म लेने वाले नवजात शिशुओं को समुचित देखभाल मिले तथा यहाँ तैनात स्टॉफ के द्वारा किसी भी जन्मजात दोष को समय पर पहचान कर सही इकाई तक संदर्भित किया जा सके, जहाँ उसका हर संभव उपचार हो सके।

डीईआईसी मैनेजर अमित शाक्य ने बताया कि स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं व चिकित्सकों के कौशल में बढ़ोत्तरी करके हम निश्चय ही नवजात शिशुओं व छोटे बच्चों की जन्मजात दोषों से बचाव कर बेहतर देखभाल में सफल हो सकेगें।
अमित ने बताया कि योजना के तहत 47 चयनित बीमारियों में 19 वर्ष तक के बच्चों का नि:शुल्क इलाज करवाया जाता है।
इस वित्तीय वर्ष में अब तक जिले में योजना के तहत 22 कटे-फटे होंठ तालू कटे वाले बच्चों का, 3 जन्मजात मोतियाबिंद से पीड़ित बच्चों का , 32 टेढ़े मेढे पैर वाले बच्चों का, 5 न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट, और 2 कंजेनाइटल डेफलेस का इलाज करवाया गया है
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सीएचसी कायमगंज में मेडिकल ऑफिसर के पद पर तैनात डॉ मधु अग्रवाल ने कहा कि इस तरह के प्रशिक्षण से हम सभी को जो जानकारी मिली है उससे जन्मजात दोष से जन्मे बच्चे की पहचान आसानी से हो सकेगी और उनको इलाज में भी सुविधा होगी l
इस दौरान उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आर सी माथुर, सिविल अस्पताल लिंजीगंज से एमओ डॉ नवनीत गुप्ता सहित सभी ब्लाकों से मेडिकल ऑफिसर एएनएम और स्टॉफ नर्स मौजूद रहीं l

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