2006 के मुंबई लोकल ट्रेन धमाकों में लगभग 189 लोगों की जान गई। लगभग 19 वर्षों तक चले मुकदमे के बाद जब उच्चतम न्यायालय ने सबूतों के अभाव में 12 अभियुक्तों को बरी कर दिया, तो यह न्याय व्यवस्था, जांच एजेंसियों और अभियोजन की निष्क्रियता पर गहरी चोट थी। कमजोर …
Read More »न्यायालय की चेतावनी और समाज का आईना
डॉ. सत्यवान सौरभ नई दिल्ली।(आवाज न्यूज ब्यूरो)। “लव जिहाद” — एक ऐसा शब्द जो न तो भारतीय क़ानून में परिभाषित है, न संविधान में मान्यता प्राप्त, लेकिन फिर भी राजनीतिक मंचों, टीवी डिबेट्स और सड़कों पर सुनाई देने लगा है। अब यह बहस हरियाणा तक भी पहुँच चुकी है, और …
Read More »डिग्रियों की दौड़ में दम तोड़ते सपने संभावनाओं की कब्रगाह बनते संस्थान
(जब शिक्षा डर बन जाए) *संस्थाएं डिग्रियां नहीं, ज़िंदगियां दें — तभी शिक्षा का अर्थ है* भारत में शिक्षा संस्थान अब केवल डिग्रियों की फैक्ट्री बनते जा रहे हैं, जहां बच्चों की संभावनाएं और संवेदनाएं दोनों दम तोड़ रही हैं। कोटा, हैदराबाद, दिल्ली जैसे शहर आत्महत्या के आंकड़ों से दहल …
Read More »स्क्रॉल संस्कृति और अंधविश्वास : तकनीक के युग में मानसिक गुलामी-डॉ सत्यवान सौरभ
नई दिल्ली। (आवाज न्यूज ब्यूरो)। आज का युग तकनीक और सूचना का है। हर हाथ में मोबाइल है, हर जेब में इंटरनेट। लेकिन क्या वास्तव में हम ज़्यादा जागरूक हुए हैं, या बस स्क्रीन पर फिसलती उंगलियों के गुलाम बन गए हैं? विज्ञापन, वीडियो, मीम्स, रील्स और टोटकों की अंतहीन दुनिया में …
Read More »डेटा की दलाली और ऋण की रेलमपेल : निजी बैंकों का नया लोकतंत्र
– प्रियंका सौरभ “नमस्ते महोदय/महोदया, क्या आप व्यक्तिगत ऋण लेना चाहेंगे?” नई दिल्ली। (आवाज न्यूज ब्यूरो)। कभी दोपहर की झपकी के बीच, कभी सभा के समय, कभी मंदिर के बाहर, तो कभी वाहन चलाते समय — यह स्वर अब हमारे जीवन की अनिवार्य पृष्ठभूमि बन चुका है। यह मात्र एक स्वर …
Read More »साध्वी बनने का नया ट्रेंड : त्याग की ओट में सुख का ब्रांड?
प्रियंका सौरभ ‘नई दिल्ली। (आवाज न्यूज ब्यूरो)। बचपन में हम सुनते थे कि साध्वी वह होती है जो मोह, माया, श्रृंगार, आकर्षण और सांसारिक जिम्मेदारियों से ऊपर उठ गई हो। वह जो खुद को समर्पित कर दे — ध्यान, साधना और आत्मा के शुद्धिकरण के लिए। आज की दुनिया में जब …
Read More »दिमागी रेबीज यानी इंसान से दूरी, कुत्ते से करीबी
डॉ सत्यवान सौरभ नई दिल्ली। (आवाज न्यूज ब्यूरो)। हम एक ऐसे समय में जी रहे हैं जहाँ लोग अपनी मां को वृद्धाश्रम छोड़ आते हैं, लेकिन कुत्तों के लिए मखमली बिस्तर खरीदते हैं। जहाँ बच्चे की फीस चुकाना कठिन होता है, पर पालतू जानवर के लिए सालगिरह पार्टी देना ‘प्यारा’ माना …
Read More »बदन की नहीं, बुद्धि की बनाओ पहचान बहनों : अश्लीलता की रील संस्कृति पर एक सवाल
प्रियंका सौरभ नई दिल्ली। (आवाज न्यूज ब्यूरो)। हम एक ऐसे दौर में जी रहे हैं जहाँ स्क्रीन पर दिखना असल में जीने से ज़्यादा जरूरी हो गया है। जहां ज़िंदगी कैमरे के फ्रेम में सिमट गई है, और इंसान का मूल्य उसके ‘लाइक’, ‘फॉलोवर’ और ‘व्यूज़’ से तय होता है। इसी …
Read More »कोख में कत्ल होती बेटियाँ : हरियाणा की घुटती संवेदना
बेटी भ्रूण हत्या : आँकड़े नहीं, संवेदना की चीख हरियाणा में केवल तीन महीनों में एक हज़ार एक सौ चौवन गर्भपात। कारण – कन्या भ्रूण हत्या की आशंका। छप्पन आशा कार्यकर्ताओं को कारण बताओ नोटिस। निगरानी प्रणाली में चूक। पश्च परीक्षण प्रणाली और पुलिस के सहयोग से कठोर कार्यवाही की …
Read More »प्रजापति समाज के अनमोल रत्न: डॉ. सत्यवान सौरभ और प्रियंका सौरभ
(दक्ष प्रजापति जयंती विशेष) “प्रेरणा के प्रतीक: प्रजापति समाज के साहित्यिक रत्न” नई दिल्ली।(आवाज न्यूज ब्यूरो)। डॉ. सत्यवान सौरभ और प्रियंका सौरभ, प्रजापति समाज के ऐसे साहित्यिक रत्न हैं जिन्होंने लेखनी के माध्यम से समाज, संवेदना और चेतना को नई दिशा दी है। गाँव की मिट्टी से निकली उनकी रचनाएं आज …
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