सर्दी के मौसम में नवजात का रखें विशेष ख्याल, नवजात बच्चों के रिएक्शन बताते हैं कि वे हो गए बीमार

लगभग 40 प्रतिशत बच्चे सर्दी-जुकाम की समस्या से ग्रसित आते हैं ओपीडी में 

फर्रुखाबाद |(आवाज न्यूज ब्यूरो)  ठंड के मौसम में नवजात शिशुओं में सर्दी-जुकाम की समस्या उत्पन्न होने की सम्भावना बनी रहती है। दरअसल में उनकी त्वचा काफी नाजुक होती है। ऐसे में उन्हें सर्दी-जुकाम की समस्या होना आम बात है। ठंड का मौसम कीटाणुओं  एवं विषाणुओं के विकास के हिसाब से अनुकूल होता है। वहीं नवजात शिशुओं की प्रतिरोधक क्षमता काफी कम रहती है। ऐसे समय में नवजात के ठंड से संक्रमित होने की संभावना बनी रहती है। इसके लिए आवश्यक है कि बढ़ते ठंड के साथ नवजातों का विशेष ख्याल रखा जाए। यह कहना है डॉ राममनोहर लोहिया चिकित्सालय महिला में तैनात बाल रोग विशेषज्ञ डॉ शिवाषीश उपाध्याय का | डॉ शिवाषीश ने बताया कि नवजात शिशु बता नहीं सकते इसलिए उनके लक्षणों पर गौर करना आवश्यक है। सर्दी-जुकाम के आरंभिक लक्षणों में नाक से तरल का बहना जो बाद में गाढ़ा होता जाता है। जिससे नाक बंद हो जाने की स्थिति में शिशु सोते समय मुंह से सांस लेते हैं। सोते शिशु मुंह से सांस लें तो नाक की जांच अवश्य करें।डॉ शिवाषीश ने बताया कि सर्दी-जुकाम के दौरान नवजातों को दूध पीने में कठिनाई होती है। वे ठीक से दूध नहीं पी पाते हैं। ऐसे में उनकी नाक का निरीक्षण कर देखें कि कहीं उनकी नाक तो बंद नहीं है। डॉ शिवाषीश ने बताया कि सर्दी के कारण नवजात बार-बार नींद से जाग जाते हैं। ऐसा सर्दी या नाक बंद होने के कारण हो सकता है। साथ ही कहा कि नवजात सर्दी-जुकाम से ग्रसित हो जाने पर अपने कान भी खींचते हैं। सर्दी-जुकाम से ग्रसित नवजातों में हल्की खांसी के साथ शरीर का तापमान बढ़ जाता है।डॉ शिवाषीश ने बताया कि नवजात को छूने से पहले अपने हाथों को अच्छी तरह साफ करें। आपके हाथ से ही नवजात तक संक्रमण फैलता है। नवजात के संपर्क में आने वाले सभी चीजों का ध्यान रखें जिससे नवजात संक्रमित हो सकते हैं।डॉ शिवाषीश ने बताया कि आपका नवजात यदि सर्दी-जुकाम से ग्रसित हो गया हो तो उसे चिकित्सक को दिखायें एवं दिये गये परामर्श के अनुरूप ही दवाइयाँ नवजात को दें।डॉ शिवाषीश ने बताया कि लगभग 40 प्रतिशत बच्चे सर्दी-जुकाम से ग्रसित ओपीडी में आ जाते हैं |क्या करें–बीमार लोगों से नवजातों को दूर रखें।-खांसते एवं छींकते समय अपने मुंह को हाथ या कपड़ों से ढकें एवं परिवार के अन्य सदस्यों को ऐसा करने को कहें।-नियमित रूप से टीकाकरण करवायें।बिना चिकित्सीय सलाह के कोई दवा नवजातों को न दें |

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