जिले में इस समय हैं 1013 फाइलेरिया रोगी, फाइलेरिया चुनें या दवा खाएं : सीएमओ  

फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम 10 अगस्त से 

घर-घर जाकर स्वास्थ्य कर्मी वर्ष में एक बार खिलाते हैं फाइलेरिया की दवा

फर्रुखाबाद  | (आवाज न्यूज ब्यूरो) जनपद सहित प्रदेश के 27 जिलों में फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम 10 अगस्त से 28 अगस्त के बीच चलाया जायेगा | इस दौरान प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मी घर-घर जाकर लोगों को फाइलेरिया रोग के बारे में जागरूक करेंगे साथ ही अपने सामने दवा खिलाएंगे और किसी भी स्थिति में दवा का वितरण नहीं किया जाएगा। यह दवा आपको फाइलेरिया  रोग से सुरक्षित रखेगी इसको खाना है फेंकना नहीं यह कहना है मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ अवनीन्द्र कुमार का  |

सीएमओ ने कहा कि जनपद में लोगों को फाइलेरिया से सुरक्षित रखने के लिए डीईसी और अल्बेंडालोल की निर्धारित खुराक  मानकों का पालन करते हुए खिलाई जाएगी । दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती  और अति गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को यह  दवाएं नहीं खिलाई जाएगी। 

अभियान की सफ़लता के लिए पीसीआई संस्था की तरफ़ से मगंलवार को प्राथमिक विद्यालयों में फाइलेरिया अभियान के दौरान खिलाई जाने वाली दवा के बारे में जागरूक किया गया l

इसी क्रम में उच्च प्राथमिक विद्यालय, समविलियन प्राथमिक विद्यालय लिंजीगंज और प्राथमिक विद्यालय अंगूरी बाग में बच्चों को फाइलेरिया रोग के बारे में जानकारी देते हुए कहा गया कि आप सभी को यह दवा खानी है साथ ही अपने माता पिता और पड़ोस में रहने वाले लोगों को भी खिलानी है l

उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी  डॉ आर सी माथुर ने बताया हाईड्रोसील हो जाना, हाथी पाँव हो जाना, महिलाओ के स्तन में सूजन आ जाना यह सब फ़ाईलेरिया रोग के लक्षण हैं, फ़ाईलेरिया रोग मच्छरों द्वारा फैलता है । खासकर क्यूलैक्स मादा मच्छर के जरिए । जब यह मच्छर किसी फाइलेरिया रोग से ग्रसित व्यक्ति को काटता है तो वह संक्रमित हो जाता है फिर यह मच्छर रात के समय किसी स्वस्थ्य व्यक्ति को काट लेता है तो फाइलेरिया रोग के परजीवी रक्त के जरिए उसके शरीर में प्रवेश कर उसे भी फाइलेरिया रोग से ग्रसित कर देते हैं।  ज्यादातर संक्रमण अज्ञात या मौन रहते हैं और लंबे समय बाद इनका पता चलता है। इस बीमारी का कारगर इलाज नहीं है। इसकी रोकथाम इसका समाधान है। फाइलेरिया के लक्षण नहीं दिखने पर भी इस दवा का सेवन  करना जरूरी है।

 डॉ  आर सी माथुर ने बताया कि फ़ाईलेरिया रोग प्रबंधन के लिए 2  से 5 वर्ष के बच्चों को डी.ई.सी. की 1 टैबलेट और एल्वेंडाजोल की 1 टैबलेट दी जाएगी एवं 6 वर्ष से 14 वर्ष के बच्चों को डी.ई.सी.की 2 टैबलेट व एल्वेंडाजोल की 1 टैबलेट तथा 15 वर्ष से ऊपर सभी व्यक्तियो को डी.ई.सी. की 3 टेबलेट व एल्वेंडाजोल की 1 टैबलेट दी जायेगी । डी.ई.सी. एवं अलबेन्डाजोल की टैबलेट को खाली पेट नहीं खाना चाहिए | यह दवाएं  खाना खाने के बाद खानी है ऐसे व्यक्ति जो अधिक बीमार हो, गर्भवती एवं दो  वर्ष से कम आयु के बच्चों को फाइलेरिया की दवा नहीं खिलाई जाएगी।

डॉ माथुर ने कहा कि यह अभियान वर्ष में एक बार चलाया जाता है इसलिए सभी लक्षित वर्ग को इसका सेवन जरूर करना चाहिए l

डीएमओ ने कहा कि अभियान को सफल बनाने के लिए विभाग ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं|

 हमारा प्रयास रहेगा कि जनपद की लक्षित शत प्रतिशत आबादी को अभियान के दौरान दवा का सेवन अवश्य कराया जाए l

फाइलेरिया के लक्षण : 

-सामान्यतः तो इसके कोई लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते हैं।

-बुखार, बदन में खुजली तथा पुरुषों के जननांग और उसके आस-पास दर्द और सूजन की समस्या दिखाई देती है।

-पैरों व हाथों में सूजन, हाथी पाँव और हाइड्रोसिल  के रूप में भी यह समस्या सामने आती है। 

फाइलेरिया से बचाव :

*मच्छरो से बचने के लिए मच्छर दानी का प्रयोग करें 

*घर के आस-पास कूडे को इकठ्ठा न होने दें, कूडेदान का प्रयोग करे 

*आसपास पानी न जमा होने दे 

*गन्दे पानी में केरोसिन भी डाल दे 

*चोट या घाव वाले स्थान को हमेशा साफ़ रखे 

*पूरी बाजू का कपड़ा पहने

इस दौरान  प्रधानाचार्य सुशील मिश्र, दीप्ति त्रिवेदी, मंजरी शाक्य, पीसीआई से अनुपम मिश्र  सहित अन्य लोग मौजूद रहे l

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