नई दिल्ली।(आवाज न्यूज ब्यूरो) बजट सत्र के पहले दिन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में आर्थिक सर्वेक्षण 2023-2024 पेश किया। आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था लचीली है और महामारी के बाद इसमें मजबूत सुधार हुआ है। सर्वेक्षण में अनुमान लगाया गया है कि वित्त वर्ष 2025 में भारत की वास्तविक जीडीपी लगभग 6.6-7 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी।
महंगाई किस ओर जा रही है?
आर्थिक सर्वे में कहा गया, महामारी और उसके बाद के भू-राजनीतिक तनावों ने महंगाई के प्रबंधन में वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए काफी चुनौतियां पेश कीं। महामारी के कारण सप्लाई चेन पर असर पड़ा और वैश्विक संघर्षों के कारण वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी ने भारत को काफी प्रभावित किया। इसके नतीजतन वित्त वर्ष 2022 और वित्त वर्ष 2023 में मुख्य उपभोक्ता वस्तुओं और सेवाओं में मूल्य दबाव देखा गया।
सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले दो सालों में कठोर मौसम की स्थिति के कारण खाद्य कीमतों पर असर पड़ा है। इन घटनाक्रमों का असर वित्त वर्ष 2023 और वित्त वर्ष 2024 में महंगाई के दबाव में वृद्धि के रूप में सामने आया। आर्थिक सर्वे की रिपोर्ट में मॉनसून के सामान्य रहने की उम्मीद जताई गई है। ऐसे में महंगाई में गिरावट आ सकती है। इससे पहले भारतीय रिजर्व बैंक ने भी चालू वित्त वर्ष के लिए महंगाई दर के 4.5 फीसदी पर रहने का अनुमान जताया था।
सर्वेक्षण में कहा गया है कि मुख्य मुद्रास्फीति दर काफी हद तक नियंत्रण में है। हालांकि कुछ खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति दर बढ़ी हुई है। वित्त वर्ष 2024 में व्यापार घाटा वित्त वर्ष 2023 की तुलना में कम था, और 2024 के लिए चालू खाता घाटा जीडीपी का लगभग 0.7 प्रतिशत है।
6.5 से 7 प्रतिशत जीडीपी विकास दर
आर्थिक सर्वे में साल 2024-25 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर 6.5 से 7.0 प्रतिशत के दायरे में रहने का अनुमान है। साल 2023-24 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में अनुमानित 8.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी। आर्थिक सर्वे में दावा किया गया है कि सरकार द्वारा लगातार मजबूत सुधारों से देश की आर्थिक बढ़ोतरी की संभावनाएं मजबूत हुईं हैं।
विपक्षी सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने आर्थिक सर्वेक्षण पेश किए जाने पर कहा कि देश के सामने आर्थिक सर्वेक्षण स्पष्ट है। उन्होंने कहा, केंद्र सरकार भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, महंगाई आदि मुद्दों को नियंत्रित करने में विफल रही है। देश ने पहले ही इस आर्थिक सर्वेक्षण की असली तस्वीर देख ली है, यही कारण है कि लोगों ने केंद्र सरकार को पूर्ण बहुमत नहीं दिया। वहीं बजट पेश होने से पहले कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक्स (पू्र्व में ट्विटर) पर पोस्ट कर केंद्र सरकार से किसानों की कर्ज माफी का मुद्दा उठाया है।
उन्होंने एक्स पर लिखा कि बजट में किसान कल्याण के लिए तीन अहम घोषणाओं की जरूरत है- न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी दर्जा, स्वामीनाथन फार्मूला के आधार पर एमएसपी तय करना और किसानों के लिए कर्ज माफी। बजट सत्र की शुरूआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित करते हुए कहा कि मंगलवार को पेश किए जाने वाला बजट अमृत काल का महत्वपूर्ण बजट होगा। मोदी ने कहा, यह बजट सरकार के इस कार्यकाल के पांच वर्ष की दिशा तय करेगा और यह 2047 के विकसित भारत अभियान के सपने की नींव बनेगा।
क्या अब कड़े आर्थिक सुधार लागू कर पाएंगे नरेंद्र मोदी?
उन्होंने कहा कि पिछले तीन सालों में लगभग आठ प्रतिशत की वृद्धि के साथ भारत प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेजी से बढ़ने वाला देश बना है। मोदी के मुताबिक, आज सकारात्मक दृष्टिकोण, निवेश और प्रदर्शन के कारण देश दुनियाभर में हर क्षेत्र में परचम लहरा रहा है।
वित्त मंत्री सीतारमण मंगलवार को 23 जुलाई को लोकसभा में नरेंद्र मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश करेंगी। वित्त मंत्री ने लोक सभा चुनावों से पहले फरवरी में अंतरिम बजट पेश किया था।