कन्नौज : नवाब सिंह पर रेप की कोशिश के आरोप की स्टोरी में छेद भी कम नही

बृजेश चतुर्वेदी

कन्नौज।(आवाज न्यूज ब्यूरो)  कभी अखिलेश यादव और डिंपल के सबसे खास रहे नवाब सिंह यादव अब जेल में है। नाबालिग लड़की से रेप की कोशिश में गिरफ्तारी के बाद सोमवार को कोर्ट ने उन्हें 14 अगस्त तक के लिए जेल भेज दिया।

नवाब पर 15 साल की लड़की के कपड़े उतारने, रेप की कोशिश करने का आरोप है। लड़की अपनी बुआ के साथ आरोपी के डिग्री कॉलेज गई थी। पुलिस ने आरोपी को उसके कॉलेज से गिरफ्तार किया था।

जिस वक्त पुलिस की रेड चल रही थी उस वक्त का वीडियो भी सामने आया है। इसमें पीड़िता की बुआ नवाब सिंह के साथ बैठी हुई नजर आई। जेल जाते वक्त नवाब ने कहा- ये पुलिस और कुछ पूंजीपतियों की साजिश है। भाजपा के कई नेताओं ने घेरा तो सपा ने नवाब से किनारा कर लिया।

पीड़िता की बुआ कन्नौज के एक गांव की रहने वाली हैं। लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने भाजपा जॉइन की। इससे पहले 8 साल तक सपा में रहीं। गांव वालों के मुताबिक, वह राजनीति से जुड़ी हैं, क्षेत्र के रसूखदार नेताओं के साथ उनका उठना-बैठना है। वह नवाब को पहले से जानती हैं। गांव में भी कई लोगों को योजनाओं का लाभ दिलाने का वादा किया, लेकिन दिलाया नहीं। राजनीतिक रसूख के चलते आसपास के लोगों ने महिला से दूरी बना रखी है।

पूर्व ब्लॉक प्रमुख नवाब पर रेप की कोशिश का आरोप लगाने वाली नाबालिग लड़की के बारे में गांव वालों का कहना है कि नाबालिग पीड़िता न तो गांव में पैदा हुई, न ही यहां पढ़ाई की। एक महीने से वह बुआ के साथ यहां आती-जाती दिखती थी। गांव में पिछले कुछ सालों से पीड़िता के बाबा और दादी ही रहते हैं। वह भी पश्चिम यूपी के एक जिले में नौकरी करते थे। दादी को ब्रेस्ट कैंसर होने के बाद दोनों गांव आ गए। अब परिवार साल दो साल में कभी कभार आता-जाता है।

घटना के वक्त के वायरल वीडियो की बात करें तो नवाब की गिरफ्तारी के तुरंत बाद 2.04 मिनट का वीडियो सामने आया। इसमें नाबालिग लड़की के पीछे कुछ लोग वीडियो बनाते चल रहे हैं। बताया जा रहा है कि यह वीडियो पुलिस ने ही बनवाया है।  सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के मुताबिक महिला के आरोप के बाद गिरफ्तारी से पहले ऐसी वीडियो रिकार्डिंग जरूरी है। वीडियो में 8वें सेकेंड में लड़की से पहला सवाल पूछा जाता है- कहां पर थी, किस कमरे में थी? लड़की जवाब देती है- वह सामने वाले कमरे में।

बताई। पुलिस को लोकेशन ट्रेस करने में थोड़ी दिक्कत हुई। 1.51 बजे पुलिस मौके पर पहुंची। पीआरबी ने पूरी घटना की जानकारी नजदीकी थाने के एसएचओ को दी। 5 से 7 मिनट के अंदर कन्नौज कोतवाली की पुलिस मौके पर पहुंची। टीम का नेतृत्व स्वयम एसपी अमित कुमार आनंद कर रहे थे

इस टाइमिंग को लेकर एसपी से सवाल पूछा। उन्होंने जवाब दिया-बयान के आधार पर केस दर्ज किया गया है। बाकी जांच का विषय है।

सवाल नंबर 1 यूपी 112 लोकेशन बेस्ड सर्विस है, तो लोकेशन ट्रेस करने में क्यों दिक्कत आई?

सवाल नंबर 2– नवाब सिंह के साथ बैठी महिला ने अगर पीड़िता से फोन कर पुलिस को बुलाने को कहा तो खुद नवाब सिंह के पास क्यों बैठी रही?

सवाल नंबर 3 पुलिस की वीडियो ग्राफी में तीन किरदार हैं- पीड़िता, पीड़िता की बुआ और नवाब सिंह। उनके अलावा कोई नहीं दिख रहा है। इतने बड़े कॉलेज में कोई चौकीदार भी नहीं था?

आरोपी नवाब के राजनीतिक रसूख की हकीकत जानने के लिए हमने कन्नौज के पुराने सपाइयों से बातचीत की। पता चला कि अखिलेश 2000 में जब कन्नौज से पहली बार उपचुनाव लड़ने पहुंचे तो साथ देने वालों में नवाब भी थे। धीरे-धीरे वह अखिलेश के करीबी होते चले गए। 2009 में अखिलेश ने कन्नौज से चुनाव जीता। 2012 में इस्तीफा दिया, तब भी डिंपल यादव का निर्विरोध जीतना नवाब की ही रणनीति थी।

बहरहाल, 2014 में जब डिंपल चुनाव जीतीं तो नवाब को उनका सांसद प्रतिनिधि बनाया गया। कन्नौज में किसी को डिंपल या अखिलेश से मिलना होता तो वह पहले नवाब सिंह के पास पहुंचता था। जब अखिलेश यूपी के सीएम तो नवाब सिंह को कन्नौज में ‘मिनी सीएम’ कहा जाता था।

बताया- 2017 विधानसभा चुनाव से पहले नवाब ने अखिलेश से तिर्वा विधानसभा से टिकट मांगा। अखिलेश ने मना कर दिया। उस समय पार्टी परिवार में लड़ाई-झगड़ों से जूझ रही थी। ऐसे में पार्टी के लिए हर सीट जरूरी थी। इस वजह से जिताऊ उम्मीदवार पर ही अखिलेश भरोसा कर रहे थे।

अखिलेश ने 2012 में जीत दर्ज करने वाले विजय बहादुर पाल को उम्मीदवार बनाया। इससे नवाब निराश हो गए हालांकि, जब इलेक्शन का रिजल्ट आया तो तिर्वा से भाजपा कैंडिडेट जीता।

शिकायतें हुईं तो धीरे-धीरे दरकिनार कर दिए गए नवाब की कुछ शिकायतें भी अखिलेश के पास पहुंची। धीरे-धीरे नवाब हाशिए पर चले गए। 2019 में जब एक बार फिर डिंपल यादव चुनाव हार गईं तो नवाब पर सवाल खड़े हुए, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। यह अलग बात रही कि नवाब की जगह दूसरे नेताओं ने ले ली।

कन्नौज में सपा पार्टी से जुड़े एक नेता ने बताया- मई 2024 में लोकसभा चुनाव के दौरान राहुल-अखिलेश यादव की संयुक्त रैली हुई थी। तब नवाब मंच पर पहुंच गए हालांकि, वहां अखिलेश कुछ नहीं बोले, लेकिन बाद में नाराज हुए। 24 साल में नवाब स्थानीय सपा कार्यकर्ताओं के लिए इतना बड़ा नाम बन चुके थे कि सीधे कोई उनका विरोध नहीं कर सकता था।

1- कन्नौज में सपा के दूसरे गुट को हो सकता है फायदा कन्नौज के सपा नेता या कार्यकर्ता खुलकर कैमरे के सामने नहीं आ रहे हैं, लेकिन दबी जुबान में कन्नौज के दूसरे गुट पर आरोप लगा रहे हैं। दरअसल, कन्नौज से सपा के एक ब्राह्मण नेता, जिन्हें 2012 में नवाब सिंह यादव पार्टी में लेकर आए थे, उन्हें सीधा फायदा होता दिख रहा है।

बताया जाता है कि 2007 में वह बसपा से तिर्वा विधानसभा से चुनाव भी लड़ चुके हैं। 2017 में कन्नौज नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष पद का भी चुनाव लड़ा था। 2017 में जब अखिलेश और नवाब के बीच दूरियां बढ़ी तो यह ब्राह्मण नेता अखिलेश के करीब आने लगे लेकिन, 2024 लोकसभा चुनाव में नवाब एक बार फिर अखिलेश यादव से जुड़ गए। हालांकि, जो आत्मीयता पहले थी, वह अभी भी नहीं थी।

इस बीच पीडीए का प्रदर्शन भी चुनाव में बेहतर होने की वजह से यूपी सहित देश में अखिलेश का ग्राफ तेजी बढ़ता चला गया। कन्नौज के पूर्व सांसद सुब्रत पाठक कहते हैं- पता चला कि सपा नेता ने एक युवती को नौकरी दिलाने के नाम पर रेप का प्रयास किया। सपा का मूलमंत्र बन गया है, जितना बड़ा अपराधी उतना बड़ा समाजवादी। अयोध्या के बाद कन्नौज में इस तरह की घटना होने से अब तो इस पार्टी का नाम बलात्कारी पार्टी होना चाहिए। इस तरह की घटना का सामने आना समाजवादी पार्टी का चरित्र उजागर कर रही है। जो भी आरोपी पकड़े गए हैं वो समाजवादी पार्टी के नेता के साथ-साथ अखिलेश के भी करीबी रहे हैं। भाजपा की सरकार है। निश्चित रूप से आरोपियों पर कार्रवाई होगी।

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