लखनऊ।(आवाज न्यूज ब्यूरो) मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात के बाद बहराइच हिंसा में मारे गए युवक रामगोपाल मिश्रा के परिजन वापस लौट आए हैं। इस दौरान लगभग शाम छह बजे एसडीएम अखिलेश सिंह, डीडीओ राजकुमार समेत अन्य अधिकारी गांव पहुंचे।
सभी ने पीड़ित परिजनों को 10 लाख की सहायता राशि का चेक भेंट किया। साथ ही मुख्यमंत्री आवास व शौचालय का स्वीकृति पत्र भी दिया। एसडीएम ने बताया की ये मुख्यमंत्री की ओर से भेंट किया गया है। परिजनों से मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि बहराइच की दुर्भाग्यपूर्ण घटना में काल-कवलित हुए युवक के शोक संतप्त परिजनों से आज लखनऊ में भेंट की। दुःख की इस घड़ी में उत्तर प्रदेश सरकार पूरी संवेदनशीलता और प्रतिबद्धता से पीड़ित परिवार के साथ खड़ी है। आश्वस्त रहें, पीड़ित परिवार को न्याय दिलाना उत्तर प्रदेश सरकार की शीर्ष प्राथमिकता है। इस घोर निंदनीय और अक्षम्य घटना के दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।
सामने आई लापरवाही : पुलिस-प्रशासन की नाकामी से भड़की थी हिंसा
पुलिस-प्रशासन की नाकामी से ही बहराइच में हिंसा भड़की। प्रतिमा विसर्जन के दिन सुरक्षा के इंतजाम नाकाफी थे। हिंसा होने का कोई भी इनपुट नहीं था। हैरानी यह है कि सोमवार को दूसरे दिन भी सुरक्षा व्यवस्था के इंतजाम करने में अफसर नाकाम साबित हुए। इसलिए दूसरे दिन बवाल, तोड़फोड़ और आगजनी हुई। पूरे मामले में पुलिस का खूफिया तंत्र फेल रहा। पूरे घटनाक्रम में एडीजी जोन से लेकर आईजी और एसपी बहराइच सवालों के घेरे में हैं।
मुख्यमंत्री योगी ने घटना का संज्ञान लेकर दिए थे निर्देश
रविवार को पहले दिन हिंसा के बाद मुख्यमंत्री ने घटना का संज्ञान लिया था। उच्चाधिकारियों को निर्देश दिये थे। अफसरों ने दावा किया था कि अब सुरक्षा के पूरे इंतजाम कर लिए गए हैं। लेकिन सोमवार सुबह जब रामगोपाल का शव घर पहुंचा तो उसके बाद कई घंटे तक गांवों और कस्बों में तोड़फोड़, आगजनी और अराजकता होती रही। दोपहर बाद जब एडीजी एलओ ने मोर्चा संभाला तब जाकर कुछ माहौल शांत हुआ। सवाल है कि आखिर पहले दिन हिंसा के बाद दूसरे दिन लापरवाही क्यों बरती गई? पर्याप्त पुलिस बल की तैनाती क्यों नहीं की गई? ऐसे तमाम सवाल पुलिस पर उठ रहे हैं।
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