चाँद अधूरा रह गया, बँट गया संसार॥

ईद हमारा पर्व है, करवा तेरा प्यार।

चाँद मगर अनजान है, किसका है अधिकार॥

बँट गया आकाश यूँ, बँट गए अरमान।

चाँद रहा फिर सोचता, किसका मैं मेहमान॥

करवा देखे प्रीत को, ईद मांगती प्यार।

चाँद अधूरा रह गया, बँट गया संसार॥

ईद के चँदे ने कही, करवा से यह बात,

एक आकाश में बसे, क्यों बँटे दिन-रात॥

करवा कहता धैर्य रख, ईद कहे त्यौहार।

चाँद मगर है मूक सा, किसको दे उपहार॥

ईद मुबारक कह दिया, करवा पर उपवास।

दोनों के अरमान पर, सौरभ चाँद उदास॥

एक ओर थी प्रीत प्रिय, एक ओर त्यौहार।

नभ का चंदा मौन था, किसका करे विचार॥

ईद का चँदा हँस पड़ा, करवा देखे राह।

बोला चंदा सोचकर, कैसे करूँ निबाह?

करवा बोली चाँद से, मुझको दे आशीष।

ईद हँसी चुपचाप फिर, दूर करें सब टीस॥

-प्रियंका सौरभ

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