नई दिल्ली। (आवाज न्यूज ब्यूरो)। जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने शनिवार को पहलगाम में पर्यटकों से मुलाकात की और कहा कि कश्मीर हमेशा भारत का हिस्सा रहेगा, चाहे जो भी घटनाएं घटें। उन्होंने पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पत्रकारों से बातचीत में कहा, “सबसे बड़ा संदेश यह है कि पर्यटक डरते नहीं हैं।”
अब्दुल्ला ने आगे कहा, “जो लोग डर फैलाना चाहते थे, वे हार गए हैं। आतंकवादी हार गए हैं। आज यह साबित हो गया है कि हम डरने वाले नहीं हैं। कश्मीर भारत का हिस्सा था और हमेशा रहेगा। हम आतंकवाद से तंग आ चुके हैं। हमें प्रगति चाहिए, हम आगे बढ़ना चाहते हैं। हम एक दिन महाशक्ति बनेंगे।”
बिलावल भुट्टो के बयान पर फारूक की प्रतिक्रिया
फारूक अब्दुल्ला ने पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो के बयानों को तवज्जो देने से इंकार कर दिया। बिलावल भुट्टो ने पाकिस्तान के आतंकवादी संगठनों से संबंधों को स्वीकार किया था, जिस पर अब्दुल्ला ने कहा, “अगर हम बिलावल भुट्टो के बयानों पर ध्यान देंगे तो हम आगे नहीं बढ़ सकते। मैं हमेशा कहता हूं कि सिंधु जल संधि की समीक्षा की जानी चाहिए। हमारी नदियां पाकिस्तान में जाती हैं, और हम ही वंचित हैं।”
लोकल हीरो आदिल हुसैन शाह की कहानी
फारूक अब्दुल्ला ने पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए स्थानीय निवासी सैयद आदिल हुसैन शाह के पिता हैदर शाह से भी मुलाकात की। आदिल ने आतंकवादियों से मुकाबला करते हुए पर्यटकों को बचाने की कोशिश की थी, जिससे उसकी मौत हो गई। हैदर शाह ने फारूक अब्दुल्ला का धन्यवाद करते हुए कहा, “उन्होंने हमारे दुख को साझा किया और हमें साहस दिया, जो हमें आगे बढ़ने में मदद कर रहा है।”
भारत ने पाकिस्तान से आयात पर लगाया प्रतिबंध
इस बीच, भारत ने पाकिस्तान से आने वाले सभी सामानों के आयात और पारगमन पर तत्काल प्रतिबंध लगा दिया है। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की एक अधिसूचना के अनुसार, यह कदम पाकिस्तान द्वारा किए गए आतंकवादी हमले के बाद उठाया गया है, जिसमें पहलगाम में 26 पर्यटकों की जान चली गई थी। यह प्रतिबंध विदेश व्यापार नीति 2023 के तहत लागू किया गया है, जिसके तहत पाकिस्तान से सभी वस्तुओं का आयात और पारगमन रोक दिया गया है।
भारत ने उठाए कई कूटनीतिक कदम
भारत ने 26 पर्यटकों की मौत के बाद कई कूटनीतिक कदम उठाए। इनमें अटारी में एकीकृत चेक पोस्ट को बंद करना, पाकिस्तान के नागरिकों के लिए सार्क वीजा छूट योजना को निलंबित करना और पाकिस्तान के अधिकारियों को अपने देश लौटने के लिए 40 घंटे का समय देना शामिल है। इसके अलावा, दोनों देशों के उच्चायोगों में अधिकारियों की संख्या भी कम की गई है। केंद्र सरकार ने यह भी घोषणा की कि पाकिस्तान के साथ 1960 में हस्ताक्षरित सिंधु जल संधि को रोक दिया गया है।
