अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस – देखभाल, स्नेह और निस्वार्थ सेवा की मिसाल

नर्सें मानवता की अदृश्य नायिकाएं हैं, जो जीवन की हर कठिनाई में निस्वार्थ सेवा करती हैं। उनका कार्य न केवल शारीरिक देखभाल, बल्कि मानसिक सहारा देना भी है। कोविड-19 जैसी महामारियों से लेकर सामान्य स्वास्थ्य सेवाओं तक, नर्सें हमेशा अग्रिम मोर्चे पर खड़ी रहती हैं। उनकी भूमिका हमारे समाज के स्वास्थ्य और मानवीयता की नींव है। हमें उनकी मेहनत, समर्पण और संवेदना का सम्मान करना चाहिए, क्योंकि वे जीवन का सच्चा आधार हैं।

-डॉ. प्रियंका ‘सौरभ’

नई दिल्ली।(आवाज न्यूज ब्यूरो)। अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस प्रतिवर्ष 12 मई को मनाया जाता है। यह दिन आधुनिक नर्सिंग की जननी, फ्लोरेंस नाइटिंगेल की जयंती के उपलक्ष्य में समर्पित है, जिन्होंने नर्सिंग को एक व्यावसायिक और सम्मानजनक पेशे के रूप में स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई। नाइटिंगेल के साहस और करुणा ने नर्सिंग को एक पेशा ही नहीं, बल्कि सेवा, समर्पण और संवेदना का प्रतीक बना दिया। नर्सिंग मात्र एक कार्य नहीं, बल्कि सेवा और मानवीय जुड़ाव का माध्यम है।

नर्सें हर दिन मानवता की सेवा में खड़ी रहती हैं, उनके कोमल हाथों में जीवन को सहारा देने की ताकत है। वे दर्द से कराहते शरीर को सुकून देती हैं, निस्सहायों को सहारा देती हैं और जीवन के आखिरी पलों को गरिमा से भर देती हैं। कोविड-19 जैसी महामारियों के दौर में, जब पूरी दुनिया थम गई थी, नर्सें ही थीं जो अपने प्राणों की परवाह किए बिना अपने कर्तव्यों पर डटी रहीं। उन्होंने न केवल रोगियों का इलाज किया, बल्कि एक अनोखी भावना से उन्हें जीवन की ओर लौटने का हौसला भी दिया।

नर्सिंग के क्षेत्र में काम करना केवल एक नौकरी नहीं, बल्कि एक मिशन है। यह विज्ञान और कला का सुंदर संगम है, जो न केवल शारीरिक रोग का उपचार करता है, बल्कि रोगी के मनोबल को बढ़ाने और आत्मसम्मान को संरक्षित रखने का कार्य भी करता है। नर्सें न केवल घावों को भरती हैं, बल्कि दिलों में भी उम्मीद जगाती हैं। वे उस पल की साथी होती हैं, जब एक माँ अपने नवजात को पहली बार देखती है, या जब किसी मरीज की नब्ज फिर से चलने लगती है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, वैश्विक स्तर पर नर्सें स्वास्थ्य कार्यबल का सबसे बड़ा हिस्सा हैं, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य की रीढ़ हैं। 2022 में WHO ने नर्सिंग में निवेश करने और वैश्विक स्वास्थ्य को सुरक्षित करने के अधिकारों का सम्मान करने का आह्वान किया था, जो इस बात का प्रतीक है कि नर्सिंग का महत्व केवल चिकित्सा तक सीमित नहीं, बल्कि एक स्वस्थ समाज की नींव रखने में भी है।

हालांकि, यह भी सच है कि नर्सें आज कई चुनौतियों का सामना कर रही हैं। विश्व स्तर पर नर्सों की कमी, असमान वेतन, पेशेवर विकास के अवसरों की कमी और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं इस पेशे के सामने गंभीर सवाल खड़े करती हैं। 2030 तक दुनिया भर में 5.7 मिलियन से अधिक नर्सों की कमी होने का अनुमान है। इसके अलावा, कई देशों में नर्सें प्रवासी श्रमिकों के रूप में कार्य कर रही हैं, जो उनके पेशेवर और व्यक्तिगत जीवन पर गहरा प्रभाव डालता है।

भारत में, नर्सों की स्थिति भी बहुत बेहतर नहीं है। 2018 के आंकड़ों के अनुसार, देश में 1.56 मिलियन से अधिक नर्सें और 772,575 नर्सिंग सहयोगी हैं, जिनमें से 88% महिलाएं हैं। इसके बावजूद, उन्हें कई बार अपने पेशे से इतर कार्यों में उलझा दिया जाता है, जैसे बिलिंग, रिकॉर्ड कीपिंग और प्रशासनिक कार्य, जो न केवल उनके समय को प्रभावित करता है, बल्कि उनकी वास्तविक क्षमता का भी ह्रास करता है।

इन चुनौतियों से निपटने के लिए, नर्सों को मानसिक और शारीरिक सुरक्षा, उचित वेतन, करियर विकास के अवसर और काम के अनुकूल माहौल की आवश्यकता है। यह केवल एक नर्स के सम्मान का प्रश्न नहीं है, बल्कि समूची मानवता की भलाई से जुड़ा विषय है।

नर्सिंग के महत्व को समझने के लिए हमें फ्लोरेंस नाइटिंगेल के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए, जिन्होंने क्रीमियन युद्ध के दौरान न केवल घायल सैनिकों की सेवा की, बल्कि अस्पतालों में स्वच्छता और प्रबंधन में भी क्रांतिकारी बदलाव किए। उनकी “लेडी विद द लैंप” की छवि नर्सिंग के प्रति उनके समर्पण का प्रतीक है। उनके प्रयासों ने न केवल लाखों जीवन बचाए, बल्कि नर्सिंग को एक सम्मानजनक पेशे के रूप में स्थापित किया।

आज, जब हम अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस मना रहे हैं, तो हमें यह समझना चाहिए कि नर्सें केवल चिकित्सा सेवा प्रदाता नहीं, बल्कि हमारे जीवन के हर मुश्किल मोड़ पर हमारे साथ खड़ी रहने वाली अदृश्य नायिकाएं हैं। हमें उनके प्रति सम्मान, समर्थन और कृतज्ञता व्यक्त करनी चाहिए, क्योंकि वे हमारे समाज की वे मूक नायिकाएं हैं, जो न केवल जीवन को बचाती हैं, बल्कि उसे गरिमा भी देती हैं।

आइए, इस नर्स दिवस पर हम यह संकल्प लें कि हम न केवल नर्सों के कार्य की सराहना करेंगे, बल्कि उनके जीवन को बेहतर बनाने के लिए भी ठोस कदम उठाएंगे। यह न केवल एक पेशे का सम्मान होगा, बल्कि मानवीय करुणा और सेवा की सच्ची अभिव्यक्ति भी होगी।

नर्सें न केवल स्वास्थ्य प्रणाली की रीढ़ हैं, बल्कि वे मानवता की सच्ची नायिकाएं भी हैं। उनके समर्पण, साहस और सेवा भावना के बिना एक स्वस्थ समाज की कल्पना असंभव है। हमें उनकी मेहनत का सम्मान करना चाहिए और उनके कार्यक्षेत्र को सुरक्षित, प्रेरणादायक और समर्थ बनाना चाहिए। नर्सों के प्रति हमारा आभार न केवल एक दिन तक सीमित रहना चाहिए, बल्कि हर उस पल में प्रकट होना चाहिए जब वे किसी की जिंदगी बचाने के लिए संघर्ष कर रही हों। उनके सम्मान में, हमें एक बेहतर और अधिक संवेदनशील समाज की दिशा में कदम बढ़ाना होगा।

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