लखनऊ। (आवाज न्यूज ब्यूरो)। समाजवादी पार्टी यानी सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने 2027 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए अपनी सियासी तैयारियां तेज कर दी हैं। पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक यानी पीडीए वोटों के सहारे भाजपा को मात देने की रणनीति को अब और भी व्यापक रूप देने की कोशिश की जा रही है।
पिछले लोकसभा चुनाव में पीडीए गठजोड़ के जरिए भाजपा को चुनौती देने में आंशिक रूप से सफल रहे अखिलेश अब इस गठजोड़ को और मजबूत बनाने में लगे हैं। इसके तहत वह राजभर, चौरसिया, ठाकुर और नोनिया समाज जैसे अन्य जाति समूहों को भी अपने पाले में लाने की कोशिश कर रहे हैं। जानकारी के मुताबिक, अखिलेश यादव इन दिनों विभिन्न जातीय संगठनों और समुदायों के नेताओं से लगातार मुलाकात कर रहे हैं। साथ ही, लखनऊ के गोमती रिवर फ्रंट पर इन जातियों के महापुरूषों की मूर्तियों लगाने का ऐलान भी किया गया है। माना जा रहा है कि यह कदम न केवल सियासी संदेश देने के लिए है, बल्कि इन समुदायों को भावनात्मक रूप से जोड़ने की कोशिश भी है। सपा की रणनीति साफ है, वोटों के बिखराव को रोकते हुए एक व्यापक सामाजिक गठजोड़ तैयार करना, 2027 में भाजपा को चुनौती देने में निर्णायक भूमिका निभा सके।
महाराणा प्रताप के बहाने ठाकुरों पर दांव
महाराणा प्रताप की जयंती 9 मई शुक्रवार को विक्रमादित्य मार्ग पर स्थित सपा ऑफिस में मनाई गई, जहां पर क्षत्रीय नेता खचाखच भरे हुए थे। अखिलेश के चारों तरफ ठाकुर बिरादरी के नेता विराजमान थे। अखिलेश सिर पर पगड़ी पहने नजर आए और महाराणा प्रताप को अपना प्रेरणास्रोत बताया। महाराणा प्रताप की प्रतिमा लखनऊ के रिवर फ्रंट के किनारे मूर्ति लगाने का ऐलान कर डाला और कहा कि उनके हाथ में चमकती हुई तलवार भी होगी, जो कि सोने की होगी। साथ ही अखिलेश ने कहा कि सपा सरकार ने महाराणा प्रताप के सम्मान में एक दिन की छुट्टी घोषित की थी, लेकिन अब हमारी मांग है कि उसे बढ़ाकर 2 दिन की जानी चाहिए। एक दिन तैयारी में लग जाता है और दूसरे दिन बहुत उत्साह के साथ महाराणा की जयंती मना सकें। अखिलेश ने कहा कि मेरे साथ इतने क्षत्रिय लोगों को देख कर कुछ लोग हैरान-परेशान हो जाएंगे। इस तरह से महाराणा प्रताप के जरिए ठाकुर समुदाय को सियासी संदेश देने के साथ ही वह राणा सांगा पर सपा सांसद रामजी लाल सुमन के द्वारा दिए गए बयान से हुई नाराजगी दूर करने की कवायद करते नजर आए। उन्होंने सूबे के सियासी मिजाज को समझते हुए महाराणा प्रताप का दांव चला है ताकि ठाकुर समुदाय को अपने पाले में लाया जा सके।
राजभर वोटों के लिए भी सपा ने चला दांव
महाराणा प्रताप की जयंती से पहले अखिलेश ने राजभर समाज के लोगों के साथ न सिर्फ बैठक की बल्कि सत्ता में आने पर लखनऊ की गोमती नदी के किनारे राजभर के महापुरुष माने जाने वाले राजा सुहेलदेव की प्रतिमा लगाने का ऐलान भी कर डाला। साथ ही कहा कि सुहेलदेव महाराज के हाथ में तलवार सोने के साथ मिश्रित ‘अष्टधातु’ से बनी होगी। सुहेलदेव सम्मान स्वाभिमान पार्टी के प्रमुख महेंद्र राजभर की अगुवाई में ये कार्यक्रम हुआ था। सपा महेंद्र राजभर को सुभासपा के ओम प्रकाश राजभर के काउंटर में खड़ा करने की स्ट्रैटेजी मानी जा रही है।
उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में राजभर समुदाय के लिए काफी अहम माने जाते हैं। 2022 के चुनाव में राजभर समाज का बड़ा तबका सपा के साथ था, क्योंकि ओपी राजभर की सुभासपा के साथ उनका गठबंधन था। हालांकि बाद में दोनों का गठबंधन टूट गया। ओम प्रकाश राजभर अब बीजेपी के साथ आ गए हैं। ऐसे में वह राजभरों का विश्वास बनाए रखने के लिए सुहेलदेव का सहारा ले रहे हैं। राजा सुहेलदेव की विरासत पर दावा करने की रणनीति मानी जा रही है। सुहेलदेव को राजभर समाज के गौरव का प्रतीक माना जाता है। सपा ने सुहेलदेव की मूर्ति को लखनऊ में लगाने का वादा करके राजभर समाज के दिल जीतने की कवायद की है।
