मोबाइल बन रहे रिश्तों में दरार की वजह? मोबाइल फोन के अनुचित उपयोग के कारण आपसी रिश्तों को हो रहा नुकसान। सोचिए आज क्यों मोबाइल बन रहे रिश्तों में दरार की वजह? कोई माने या न माने, वास्तविकता में मोबाइल के हद से ज्यादा उपयोग से सामाजिक रिश्तों में हम …
Read More »टहनियों तक जाये बिना सर्वोत्तम फल नहीं मिलेगा।
“मंजिल मिल ही जाएगी भटकते हुए ही सही, गुमराह तो वो हैं जो घर से निकले ही नहीं।” लोग नई चीजें हासिल करने के बजाय आसान चीजों में लग जाते हैं। लोग नई चीजों का आविष्कार करने या अपना खुद का स्टार्टअप बनाने के बजाय और सुरक्षित नौकरियों में चले …
Read More »सोशल मीडिया पर नग्नता का नंगा नाच-डॉ. सत्यवान सौरभ
जीवन का चरमसुख अब फॉलोअर्स पाने और कमेंट आने पर निर्भर हो गया है। फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म पर नग्न अवस्था में तस्वीरें शेयर कर आज लड़कियां लाइक कमेंट पाकर खुद को अनुगृहित करती दिखाई देती है मानो जीवन की सबसे अहम और जरूरी ऊंचाई को उन्होंने पा लिया हो। इस …
Read More »समाजसेवी अजय कश्यप की अच्छी पहल : धूमधाम से संपन्न कराया दहेज मुक्त विवाह
फर्रुखाबाद।(आवाज न्यूज ब्यूरो ) जिले के नबाबगंज थाना क्षेत्र के गांव सादिकपुर निवासी समाजसेवी अजय कश्यप ने दहेज मुक्त विवाह करवाकर एक अच्छी पहल की है। सत साहिब चैरिटेबल ट्रस्ट के तत्वाधान में इस संस्था के राज्य इकाई यूपी के अध्यक्ष सावरेन सिंह कुशवाहा की पुत्री पूजा कुशवाहा ग्राम सादिकपुर …
Read More »अभिभावकों को सरकारी स्कूलों पर क्यों नहीं भरोसा ?
हालिया अध्ययन ने पुष्टि की है कि शिक्षा की खराब गुणवत्ता के कारण माता-पिता को सरकारी स्कूलों पर भरोसा नहीं है और वे अपने बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिला दिलाना पसंद करते हैं, भले ही इसके लिए उन्हें ट्यूशन और अन्य फीस पर काफी अधिक खर्च करना पड़े। आज …
Read More »स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता का अभाव झेलती मीडिया : डॉ. सत्यवान ‘सौरभ’
हाल के वर्षों में मीडिया की भूमिका बदली है। स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता का घोर अभाव है। समाज का ध्रुवीकरण करने के लिए मीडिया के बड़े पैमाने पर दुरुपयोग ने स्थिति को बदतर बना दिया है। लोकतंत्र में त्रुटियों और गलत कामों को उजागर करने के लिए एक प्रहरी के …
Read More »स्वतंत्रता खो रही पत्रकारिता- -डॉ. प्रियंका सौरभ
आज पेड न्यूज, मीडिया ट्रायल, गैर-मुद्दों को वास्तविक समाचार के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है, जबकि वास्तविक मुद्दों को दरकिनार किया जा रहा है, वास्तविक और समाज हित के समाचार को नजरअंदाज किया जा रहा है और मुनाफे और राजनीतिक पक्ष के लिए तथ्य विरूपण, फर्जी समाचार, पीत …
Read More »बढ़ते हुए तलाक कर रहे सामाजिक ताने-बाने ख़ाक
पश्चिमी मीडिया और वैश्वीकरण के प्रभाव ने भारतीय समाज की प्रेम और रिश्तों की धारणा को प्रभावित किया है। युवा पीढ़ी पारंपरिक पारिवारिक अपेक्षाओं की तुलना में व्यक्तिगत खुशी और अनुकूलता को प्राथमिकता देने लगी है, जिसके कारण जब उनकी शादी में संतुष्टि नहीं मिलती है तो वे तलाक को …
Read More »चिंताओं से घिरा भारत का मध्यम वर्ग।
मध्यम वर्ग के लोगों की चिंताओं का कोई अंत नहीं होता। क्योंकि ये बच्चों को लायक बनाने में अपना पूरा जीवन निकाल देते हैं। फिर उस अनुरूप बच्चों का विवाह या नौकरी न हो तो भी चिंतित रहते हैं। अपनी इज्जत बनाए रखने के लिए यह अपना दुख दर्द किसी …
Read More »पुरुष संवेदनशीलता के बिना महिला सशक्तिकरण अधूरा
यह कहना कि केवल महिलाएं ही इस मानसिकता की शिकार हैं, आधा सच होगा। हाल के दिनों में, पुरुषों पर पितृसत्ता के प्रभाव के संबंध में अधिक जागरूकता उत्पन्न हुई है, विशेष रूप से अनुचित मांग को देखते हुए जिसे उन्हें पूरा करना होता है। प्राचीन काल से, हमारी अधिकांश …
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