’करो या मरो’ की राह पर यूपी के बिजलीकर्मी, निजीकरण का टेंडर होते ही अनिश्चितकालीन आंदोलन का ऐलान

लखनऊ।  (आवाज न्यूज ब्यरो) पूर्वांचल और दक्षिणांचल को प्राइवेट पब्लिक पार्टनरशिप के तहत संचालित करने के विरोध में रविवार को लखनऊ में बिजली पंचायत हुई। देशभर से जुटे विद्युत संगठनों के पदाधिकारियों ने तय किया कि वे किसी भी कीमत पर निजीकरण को बर्दाश्त नहीं करेंगे।
पूर्वांचल और दक्षिणांचल के निजीकरण के लिए बिडिंग प्रक्रिया शुरू होते ही ‘करो या मरो’ की तर्ज पर अनिश्चितकालीन आंदोलन शुरू होगा, जिसकी जिम्मेदारी सरकार और ऊर्जा प्रबंधन की होगी। इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रति विश्वास जताया गया और उनसे हस्तक्षेप करने की मांग की गई। ऊर्जा मंत्री और प्रबंधन के प्रति आक्रोश जताते हुए वक्ताओं ने जमकर हमला बोला। निजी घरानों से सांठगांठ का आरोप लगाया।
लखनऊ के राणा प्रताप मार्ग स्थित फील्ड हॉस्टल में सुबह से ही अभियंताओं व अन्य कार्मिकों की भीड़ जुटने लगी थी। दोपहर करीब एक बजे पंचायत शुरू हुई। विभिन्न संगठनों ने नेताओं ने कहा कि प्रदेश के 42 जिलों की बिजली व्यवस्था को पांच निजी कंपनियों को देने की तैयारी की जा रही है। यह न तो कार्मिकों के लिए हितकारी है और न ही उपभोक्ताओं के लिए। वक्ताओं ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बिजली कर्मियों ने वर्ष 2016-17 में 41 प्रतिशत एटी एंड सी हानियों को कम करके वर्ष 2023-24 में 17 प्रतिशत तक कर दिया है। जब 7 साल में 24 प्रतिशत लाइन हानियां कम की जा सकती हैं तो अगले एक वर्ष में निश्चय ही लाइन हानियां 12 प्रतिशत तक ले आने में बिजली कर्मी पूर्णतया समर्थ हैं। विभिन्न संगठनों के पदाधिकारिरयों ने कहा कि वे बिजली के निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मियों के संघर्ष का पूरी तरह से समर्थन करते हैं। उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के प्रस्ताव का जोरदार समर्थन करते हुए कहा कि बिजली के निजीकरण का निर्णय वापस कराने के लिए हर स्तर पर संघर्ष किया जाएगा। पंचायत में ऑल इंडिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे, ऑल इंडिया पॉवर डिप्लोमा इंजीनियर्स फेडरेशन के अध्यक्ष आरके त्रिवेदी, ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्प्लाईज के सचिव मोहन शर्मा एवं अखिल भारतीय राज्य कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष सुभाष लांबा, ओपीएस के विजय बन्धु, जितेंद्र सिंह गुर्जर, अफीफ सिद्दीकी, संजय यादव, राधारानी श्रीवास्तव, एकादशी यादव सहित विभिन्न संगठों के पदाधिकारियों ने संबोधित किया।
पूरे देश के अभियंताओं का समर्थन- चौधरी
नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्प्लॉइज एंड इंजीनियर्स के संयोजक प्रशांत चौधरी ने कहा कि निजीकरण का फैसला वापस न लिया गया तो पूरे देश के 27 लाख से अधिक अभियंता अनिश्चितकालीन आंदोलन शुरू कर देंगे। सभी संगठनों ने लिखित में समर्थन दिया है। उन्होंने चेतावनी दी कि किसी भी बिजली कर्मचारी का उत्पीड़न करने की कोशिश की गयी तो इसकी भी तीखी प्रतिक्रिया होगी।
नई परियोजनाएं उत्पादन निगम को मिलें
बिजली पंचायत में मांग की गई कि ओबरा ‘डी’ और अनपरा ‘ई’ परियेजना का कार्य उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम को सौंपा जाए। 25 जनवरी 2000 के समझौते के तहत सभी विद्युत वितरण निगमों को मिलाकर उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद लिमिटेड का पुनर्गठन किया जाए।
सभी 42 जिलों में निकलेगा रथ, होगी बिजली पंचायत
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति और उपभोक्ता परिषद के एक मंच पर आने से निजीकरण के विरोध की लड़ाई रोचक हो गई है। पंचायत के दौरान तय किया गया कि अब सभी 42 जिलों में निजीकरण के विरोध में बिजली रथ निकाल कर बिजली पंचायत की जाएगी।
नोएडा, आगरा सहित अन्य प्रांतों में निजीकरण फेल
बिजली पंचायत में श्रम संगठनों के पदाधिकारियों ने दावा किया कि निजीकरण का प्रयोग ग्रेटर नोएडा, आगरा और देश के अन्य प्रान्तों में पूरी तरह विफल हो चुका है। उन्होंने कहा कि पांच अप्रैल 2018 और छह अक्टूबर 2020 को वित्त मंत्री सुरेश खन्ना एवं तत्कालीन ऊर्जा मंत्री श्रीकान्त शर्मा के साथ हुए लिखित समझौते हुआ था, जिसमें कहा गया कि प्रदेश में विद्युत वितरण निगमों की वर्तमान व्यवस्था में ही विद्युत वितरण में सुधार के लिए कर्मचारियों और अभियन्ताओं को विश्वास में लेकर ही सार्थक कार्यवाही की जाएगी। इसके बाद भी कार्पोरेशन प्रबंधन ने इस समझौते का उलंघन करते हुए निजीकरण का मसौदा तैयार कर दिया।
बटेंगे तो बिकेंगे, एक हैं तो सेफ हैं का नारा
विभिन्न स्थानों से आए अभियंता व अन्य कार्मिक हाथ में नारे लिखे तख्तियां लिए हुए थे। वे बढ़ेंगे तो बटेंगे तो बिकेंगे और एक हैं तो सेफ हैं का नारा लगा रहे थे। इस दौरान अभियंताओं ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से गुहार लगाने वाले और ऊर्जा मंत्री के विरोध में भी नारेबाजी की।

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