रोजगार हमारी ज़रूरतों के लिए आवश्यक है, लेकिन कला और मनोरंजन मानसिक शांति और प्रेरणा का स्रोत बन सकते हैं। घिब्ली स्टाइल इमेजरी और एआई टूल्स सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहे हैं, जिससे मौलिकता पर सवाल उठ रहे हैं। पहले जहां कलाकारों को महीनों मेहनत करनी पड़ती थी, अब …
Read More »1930 की चेतावनी और पकते कान : साइबर सतर्कता या शोरगुल?
एक ज़रूरी बचाव, लेकिन क्या लोग ऊब गए हैं?साइबर क्राइम हेल्पलाइन 1930 और ऑनलाइन ठगी से बचाव की चेतावनियाँ इतनी बार सुनाई देने लगी हैं कि लोग अब इनसे ऊबने लगे हैं। बैंक, फोन कंपनियाँ, न्यूज़ चैनल्स, और सोशल मीडिया हर जगह साइबर फ्रॉड के अलर्ट्स छाए हुए हैं, जिससे …
Read More »जल संकट का समाधान : परंपरागत ज्ञान और आधुनिक तकनीक का संगम
जल संरक्षण एक सामूहिक जिम्मेदारी है। पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक तकनीकों को मिलाकर जल संकट से बचा जा सकता है। भारत में जल संरक्षण का एक समृद्ध इतिहास रहा है। हमारे पूर्वजों ने भौगोलिक और जलवायु परिस्थितियों के अनुसार जल संरक्षण की अनेक प्रणालियाँ विकसित की थीं, जो आज भी …
Read More »आसाराम को अंतरिम जमानत मिलने पर पीड़ित नाबालिग के पिता ने जताई घोर हताशा
शाहजहांपुर।(आवाज न्यूज ब्यूरो) नाबालिग के साथ दुष्कर्म मामले में आजीवन कारावास सजा काट रहे कथावाचक आसाराम बापू को स्वास्थ्य के आधार पर न्यायालय द्वारा तीन माह की अंतरिम जमानत मिलने पर जबरदस्त निराशा और हताशा जताते हुए पीड़िता के पिता ने कहा है कि आसाराम ड्रामेबाज है। दूसरों का इलाज …
Read More »दोहरे मापदंड! कर्मचारी परेशान, सांसद मालामाल
‘‘महंगाई में पिसते कर्मचारी, राहत में नहाते सांसद : 2 फीसदी बनाम 24 फीसदी का गणित!‘‘नई दिल्ली।(आवाज न्यूज ब्यूरो) सरकार ने जहां सरकारी कर्मचारियों के महंगाई भत्ते में मात्र 2 फीसदी की वृद्धि की, वहीं सांसदों के भत्तों और वेतन में 24 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी। यह विरोधाभास कर्मचारियों और …
Read More »नैतिक पतन के चलते खतरे में इंसानी रिश्ते।
(घोर कलयुग की दस्तक) समाज में कितना पतन बाकी है? यह सुनकर दिल दहल जाता है कि कोई बेटा अपने ही माता-पिता की इतनी निर्ममता से हत्या कर सकता है? महिला ने जेठ के साथ मिलकर अपने दो वर्ष के बेटे को मरवा दिया। पत्नी ने प्रेमी सँग मिलकर मर्चेंट नेवी …
Read More »क्या सचमुच सिमट रही है दामन की प्रतिष्ठा?
समय के साथ परिधान और समाज की सोच में बदलाव आया है। पहले “दामन” केवल वस्त्र का टुकड़ा नहीं, बल्कि मर्यादा और संस्कृति का प्रतीक माना जाता था। पारंपरिक वस्त्रों—साड़ी, घाघरा, अनारकली—को महिलाओं की गरिमा से जोड़ा जाता था। “दामन की प्रतिष्ठा” अब भी बनी हुई है, परंतु उसकी परिभाषा …
Read More »कुआँ सूखने पर ही पता चलती है पानी की कीमत
कहावत “जब तक कुआँ सूख नहीं जाता, हमें पानी की कीमत का पता नहीं चलता” हमें इस बात की याद दिलाती है कि हमें अपने जीवन और संसाधनों के प्रति जागरूक और कृतज्ञ रहना चाहिए। चाहे वह जल हो, प्रेम हो, स्वतंत्रता हो या स्वास्थ्य, हमें इनका सम्मान और संरक्षण …
Read More »बार-बार समाज को झकझोरते सवेंदनहीन, अमानवीय फैसले
संवेदनहीन न्याय? क्या हमारी न्याय प्रणाली यौन अपराधों के मामलों में और अधिक संवेदनशील हो सकती है? या फिर ऐसे सवेंदनहीन, अमानवीय फैसले बार-बार समाज को झकझोरते रहेंगे? यह मामला न्यायपालिका की संवेदनशीलता और यौन अपराधों के खिलाफ कड़े कानूनों की प्रभावशीलता पर सवाल उठाता है। महिला संगठनों और सामाजिक …
Read More »शादी के बाद करियर : उड़ान या उलझन?
परिवारों को यह समझना होगा कि शादी का मतलब महिलाओं के करियर का अंत नहीं होता। पुरुषों को घर और बच्चों की जिम्मेदारी में बराबर भागीदारी निभानी चाहिए। कंपनियों को महिलाओं के लिए अधिक फ्लेक्सिबल जॉब ऑप्शंस देने चाहिए। करियर और शादी को विरोधी ध्रुवों की तरह देखने की बजाय …
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