नई दिल्ली। (आवाज न्यूज ब्यूरो)। सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अगली सुनवाई 15 मई को तय की है। यह अधिनियम हाल ही में पारित हुआ है और इसे लेकर कई संगठनों और राजनीतिक दलों ने आपत्ति जताई है। वहीं सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना ने कहा कि वे इस मामले में कोई अंतरिम आदेश सुरक्षित नहीं रखना चाहते और इस पर विस्तृत सुनवाई जरूरी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह मामला अब उनके सामने नहीं सुना जाएगा क्योंकि वे 13 मई को रिटायर हो रहे हैं।
जस्टिस भूषण गवई की पीठ को सौंपा गया मामला
आपको बता दें कि सीजेआई संजीव खन्ना ने इस मामले को जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई की अध्यक्षता वाली पीठ को भेज दिया है। वे भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश होंगे और उनका कार्यकाल छह महीने दस दिन का होगा, जो 23 नवंबर 2025 को समाप्त होगा। वे देश के दूसरे दलित सीजेआई होंगे।
केंद्र सरकार ने अप्रैल में किया अधिनियम अधिसूचित
दरअसल, इस अधिनियम को 5 अप्रैल को राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद केंद्र सरकार ने अधिसूचित किया था। संसद में यह विधेयक लोकसभा में 288 के समर्थन और राज्यसभा में 128 मतों से पास हुआ था। इसके खिलाफ क्रमशः 232 और 95 सांसदों ने वोट दिया था। हालांकि, इस अधिनियम के खिलाफ कई मुस्लिम संगठन,एनजीओ और राजनीतिक दलों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की हैं। उनका कहना है कि यह अधिनियम संवैधानिक मूल्यों और अल्पसंख्यक अधिकारों के खिलाफ है।
