कन्नौज : महोत्सव में लगे कृषि मेले में किसानों की दी गई योजनाओं की जानकारी

बृजेश चतुर्वेदी

कन्नौज।(आवाज न्यूज ब्यूरो) जिला विकास अधिकारी नरेंद्र देवेदी कन्नौज की अध्यक्षता में कृषि सूचना तंत्र के सुदृढीकरण एवं कृषक जागरुकता कार्यक्रम अन्तर्गत तीन दिवसीय विराट किसान मेला एवं कृषि प्रदर्शनी तथा जनपद स्तरीय रबी तिलहन मेला का आयोजन किया गया । आयोजित कार्यक्रम में जी ० सी ० कटियार, उप कृषि निदेशक, सी ० पी ० अवस्थी, जिला उद्यान अधिकारी  आर ० के ० वर्मा, भूमि संरक्षण अधिकारी, कन्नौज, अविशांक सिंह चौहान, जिला कृषि रक्षा अधिकारी, अजय सिंह, मुख्य कार्यकारी अधिकारी मत्स्य तथा कृषि विज्ञान केन्द्र के कृषि वैज्ञानिक डा० अरविन्द कुमार, डा० अमर सिंह , डा० चन्द्रकला एवं अमरेन्द्र कुमार आदि जनपद स्तरीय अधिकारियों तथा जनपद के सैकड़ों प्रगतिशील कृषकों द्वारा प्रतिभाग किया गया । आयोजित कार्यक्रम में जिला कृषि रक्षा अधिकारी, कन्नौज द्वारा एकीकृत नाशी जीव प्रबन्धन अन्तर्गत फसलवार , कीटवार आर्थिक क्षति स्तर की जानकारी तथा क्षति सीमा से अधिक होने पर विभिन्न शस्य यांत्रिक जैविक नियंत्रण विधियों की जानकारी दी गयी तथा बताया कि अन्तिम हथियार के रूप में ही रसायनों का प्रयोग किया जाए । मुख्य कार्यकारी अधिकारी ( मत्स्य ) द्वारा मत्स्य विभाग में संचालित विभिन्न योजनाओं की जानकारी तथा योजनावार देय अनुदान के बारे में चर्चा करते हुए बताया गया कि विभिन्न योजनाओं हेतु कृषकों का चयन आनलाइन पोर्टल के माध्यम से प्राप्त आवदेनों के आधार पर किया जाता है । डा० अरविन्द कुमार , कृषि वैज्ञानि द्वारा रबी में उगाई जाने वाली विभिन्न तिलहनी फसलों यथा राई / सरसों आदि की तकनीकी जानकारी देते हुए बताया गया कि राई / सरसों फसल में विरलीकरण एक आवश्यक क्रिया है एक पौधे से पौधे की दूरी कम से कम 6 इंच रखे तथा जब फूल आना शुरु हो तभी पहली सिंचाई करें । जब पूरे खेत में फूल आ जाए तो पौधों के उपरी मुख्य फूलों को डण्डी की सहायता से झाड़ दें , इससे शाखाओं पर फलियों स्वस्थ्य एवं संख्या में अधिक होगी । तिलहनी फसलों में जिप्सम का प्रयोग आवश्य किया जायें डा ० कुमार द्वारा गौ आधारित प्राकृतिक खेती पर विस्तार से चर्चा की गयी तथा जीवामृत , बीजामृत एवं घनजीवामृत आदि को बनाने की विधि तथा प्रयोग के बारे में कृषकों को अवगत कराया गया । प्रगतिशील कृषक श्री मुकेश कटियार ने गौ – आधारित प्राकृतिक खेती पर महाराष्ट्र में डा० सुभाष पालेकर द्वारा विकसित फार्म पर आयोजित भ्रमण / प्रशिक्षण के अनुभव कृषकों के मध्य साझा किये तथा बताया कि उनके द्वारा वर्तमान में प्राकृतिक खेती विधि से आलू का उत्पादन किया जा रहा है । जिसमें लागत कम आती है तथा उत्पाद की गुणवत्ता बहुत अच्छी रहती है । भूमि संरक्षण अधिकारी , कन्नौज द्वारा भूमि संरक्षण अनुभाग अन्तर्गत संचालित विभिन्न योजनाओ यथा- खेत तालाब योजना एवं मेडबन्दी आदि तथा कृषकों को देय अनुदान तथा कृषक चयन प्रक्रिया के बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी । डा ० अमर सिंह , कृषि वैज्ञानिक ने उपस्थित कृषकों को रबी में उगायी जाने वाली सब्जियों यथा आलू , मटर , टमाटर , गोभी आदि की खेती के बारे में विस्तार से तकनीकी जानकारी दी । श्री ओमनाथ पाल , प्राविधिक सहायक द्वारा पशुपालन पर चर्चा करते हुए बताया गया कि किसान भाई बाजार से पशु आहार खरीदने के बजाये इसे अपने घर पर तैयार करके खिलायें जो कि सस्ता एवं अच्छा रहेगा । इसके के लिए 40 किलोग्राम मोटा अनाज , 27 किलोग्राम खली 15 किलोग्राम चौकर , 15 किलोग्राम चूनी , 01 किलोग्राम नमक , 01 किलोग्राम खडिया तथा 01 किलोग्राम – मिनरल मिक्चर मिलाकार 01 कुन्तल पशु आहार तैयार कर सकते है । श्री अमरेन्द्र कुमार , मौसम वैज्ञानकि द्वारा कृषकों को कृषि मौसम भविष्यवाणी एवं मौसम आधारित फसल प्रबन्धन पर चर्चा की तथा बताया कि कृषक भाई भारत मौसम विज्ञान विभाग द्वारा विकसित मेघदूत ऐप्लीकेशन अपने मोबाइल में इन्सटाल कर नियमित जानकारी प्राप्त कर फसल प्रबन्धन कर सकते है ।

उप कृषि निदेशक द्वारा कृषकों को विभिन्न विभागीय योजनाओं एवं कार्यक्रमों के सम्बन्ध में जानकारी प्रदान की गयी , उनके द्वारा कृषको को रासायनिक कृषि रक्षा उपायों के साथ जैविक कृषि रक्षा उपायों का प्रयोग करने , भूगर्भ – जल को संरक्षित करने तथा मृदा स्वास्थ्य को सुदृढ बनाने के सम्बन्ध में जानकारी प्रदान की गयी । कृषकों को फसल अवशेष प्रबन्धन के सम्बन्ध में जानकारी प्रदान करते हुए अवगत कराया गया कि प्रायः देखा जाता है कि खेती से बचे फसल अवशेषों को कुछ कृषकों द्वारा जला दिया जाता है , फलस्वरूप न केवल पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है बल्कि चारे की कमी के साथ – साथ मृदा उर्वरता भी दुष्प्रभावित हो रही है एवं मृदा में मौजूद कार्बनिक तत्वों एवं मित्र कीट भी नष्ट हो रहे है । फसल अवशेष जलाये जाने का दुष्प्रभाव वायु प्रदूषण में धूम्र – कोहरा ( स्मॉग ) के रूप में जनस्वास्थ्य को भी प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर रहा है । अंत में जिला कृषि रक्षा अधिकारी , कन्नौज द्वारा समस्त अधिकारियों , प्रतिभागियों एवं सम्मानित कृषक बंधुओं का धन्यवाद एवं आभार व्यक्त करते हुए कार्यक्रम के समापन की घोषणा की गई ।

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