जल्द ही खसरा- खतौनी उपलब्ध कराने का भी किया वादा
बृजेश चतुर्वेदी
कन्नौज।(आवाज न्यूज ब्यूरो) 10 जुलाई सन् 1980 में ग्रामों के जले हुये भू-अभिलेखों की प्रक्रिया आरंभ हुई थी। तब से लेकर आज तक 42 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं। चकबंदी के कार्य को आगे बढ़ाने के लिए शासन से अनुमति मिल गई है। चकबंदी की प्रक्रिया तीव्रगति से चल रही है। जिलाधिकारी शुभ्रान्त कुमार शुक्ल ने स्वयं रूचि लेते हुए ग्राम नन्दलालपुर में जाकर काश्तकारों/किसानों के साथ बैठक की। उन्होंने काश्तकारों की जो शंकाये थी कि कैसे चकबंदी के कार्य को पूर्ण किया जाएगा और किस प्रकार से किया जायेगा, चकबंदी की प्रक्रिया काश्तकारों को विस्तार पूर्वक समझाई । उन्होंने कहा कि चकबंदी का कार्य पूरी पारदर्शिता के साथ होगा। पारदर्शिता से ही विश्वास बढ़ेगा और तभी कार्य पूर्ण हो सकेगा। उन्होंने कहा कि सबकी सुनवाई की जाएगी और चकबंदी की जो प्रक्रिया है उसी सिद्धान्त पर खसरा, खतौनी, नक्शा बनाए जाएंगे। इसमें सभी काश्तकारों से सहयोग करने की अपील भी की। उन्होंने कहा कि खसरा, खतौनी, नक्शा मिलने के बाद आपको क्या-क्या फायदे हैं वह आपलोगों को पता ही है। समस्त काश्तकारों व ग्राम वासियों ने कहा कि कार्य बहुत अच्छा हो रहा है और इसमें पूरा सहयोग करके अपने चकबंदी के कागज बनवा लेंगे। जिलाधिकारी ने कहा कि अब वह दिन दूर नही है, जब आप लोगो के भू-अभिलेखों की खतौनी होगी आपके हाथों में होगी।