समाजवादी पार्टी की दलित वोट बैंक पर नजर : बाबा साहब वाहिनी नाम से बना नया फ्रंटल संगठन

लखनऊ।(आवाज न्यूज ब्यूरो) समाजवादी पार्टी दलित वोट बैंक को अपने पक्ष में करने के लिए निरंतर कदम बढ़ा रही है। राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी के संविधान में बदलाव किया गया है। अब फ्रंटल संगठन के रूप में बाबा साहब वाहिनी को भी मान्यता दी गई है। वाहिनी को जिम्मेदारी दी गई है कि वह दलितों के मुद्दे पर निरंतर धरना-प्रदर्शन के साथ वैचारिकी अभियान चलाएगी।
सपा में अभी तक फ्रंटल संगठन के रूप में युवजन सभा, लोहिया वाहिनी, यूथ ब्रिगेड, छात्र सभा, महिला सभा, पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ, अनुसूचित जाति प्रकोष्ठ, जनजाति प्रकोष्ठ, अल्पसंख्यक सभा, मजदूर सभा, व्यापार सभा, अधिवक्ता सभा, सैनिक प्रकोष्ठ हैं। 17 से 19 मार्च के बीच कोलकाता में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में 15 अप्रैल 2021 को बनाई गई बाबा साहब वाहिनी को फ्रंटल संगठन बनाने का प्रस्ताव रखा गया। इसे सर्वसम्मत से मंजूरी दी गई। तय भी तय किया गया कि अनुसूचित जाति और जनजाति प्रकोष्ठ पहले की तरह कार्य करते रहेंगे।
बाबा साहब वाहिनी डॉ. भीमराव अंबेडकर के विचारों को आगे बढ़ाएगी। लोगों को यह समझाएगी कि डॉ. राम मनोहर लोहिया और डॉ. भीमराम आंबेडकर के विचारों में कई समानता है। वह यह भी समझाएगी कि बदली सियासी परिस्थितियों में संविधान पर संकट है। ऐसे में सपा ही संविधान की रक्षा कर सकती है। इसके लिए विधानसभा क्षेत्रवार वैचारिकी कार्यक्रम चलाए जाएंगे।
वाहिनी दलितों के मुद्दों पर समय-समय पर शोध रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। वह दलित वर्ग के छात्रों, शिक्षित बेरोजगारों, शिक्षकों, डॉक्टरों, अधिवक्ताओं एव अन्य अधिकारियों के बीच खास तौर से पैठ बनाएगी। समय-समय पर उनकी राय लेकर दलित एजेंडे पर बसपा की तर्ज पर प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाएगी। दलितों को पार्टी से जोड़ने के लिए हर तीन माह में शीर्ष नेतृत्व को अपनी रिपोर्ट भी देगी।
इसी रणनीति के तहत दलितों की जमीन खरीदने के मामले को लेकर शुक्रवार को वाहिनी के निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर चौधरी के नेतृत्व में सभी जिला मुख्यालयों पर धरना-प्रदर्शन किया गया। तर्क दिया गया कि दलितों की जमीन के नियम बदलने से उनका नुकसान होगा। चेतावनी दी कि नियमों में बदलाव किया गया तो वाहिनी उग्र प्रदर्शन के लिए विवश होगी।
सपा ने एक ओर जहां दलित वोटबैंक को अपने साथ जोड़ने के लिए एक तरफ पार्टी के पुराने दलित नेता अवधेश प्रसाद और रामजी लाल सुमन को आगे किया है तो दूसरी तरफ अन्य नेताओं को साधने की भरसक कोशिश शुरू कर दी है। सूत्रों का कहना है कि बसपा से किनारे किए गए कई दलित नेता जल्द ही सपा में शामिल हो सकते हैं।
बसपा से सपा में आने वाले पूर्व कैबिनेट मंत्री इंद्रजीत सरोज, केके गौतम आदि इन नेताओं के संपर्क में हैं। यह भी समझाया जा रहा है कि गोरखपुर से बृजेश कुमार गौतम को जिलाध्यक्ष बनाकर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने साफ कर दिया है कि वे जनता में पकड़ रखने वाले नेताओं को अहम जिम्मेदारी देने में पीछे नहीं रहेंगे।

Check Also

कल 23 दिसंबर को महाराष्ट्र के दौरे पर होंगे राहुल गांधी, परभणी में हिंसा प्रभावित लोगों से करेंगे मुलाकात

नई दिल्ली।(आवाज न्यूज ब्यूरो)  लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी कल 23 …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *