फर्रुखाबाद। (आवाज न्यूज ब्यूरो) जैन अनुयायियों ने आज दशलक्षण पर्व एवं क्षमावाणी धर्म की पूजा बड़े धूम-धाम से की। जिसमें अनुयायियों ने अपने वक्तत्व रखकर सही रास्ते पर चलने की दी राह।
इस अवसर पर कन्हैया लाल जैन ने बताया कि आत्मा का सहज स्वभाव ही उनका धर्म है। राग द्वेष रहित आत्मा का सहज स्वभाव उत्तम क्षमा, उत्तम मार्जव, उत्तम आर्जव, उत्तम शौच, उत्तम सत्य, उत्तम तप, उत्तम त्याग, उत्तम आकिंचन, उत्तम ब्रह्मचर्य है। धर्म के इस दशलक्षणों एवं अंगों की सामाजिक प्रासंगिकता भी है। यह सभी अहिंसा परमो धर्म के पोषक धर्म है। क्या अहिंसक व्यक्ति किसी पर क्रोध कर सकता है। क्षमा उसका सहज स्वभाव हो जाता है। जिसके मन में सृष्टि के कण-कण के प्रति प्रेम एवं करुणा है, क्या वह व्यक्ति किसी पर क्रोध कर सकता है क्या वह व्यक्ति किसी की हिंसा कर सकता है।
जैन धर्म में दशलक्षण महापर्व आत्मा शुद्धी साधना हेतु हर वर्ष मनाया जाता है। जिसमें समीक्षात्मक रूप से अपने जाने अनजाने व व्यवस्था में किए गए मन वचन व कायिक आचरण आलोचना की जाती है, प्रतिक्रमण किया जाता है तथा भविष्य में इनका जीवन में दोहरावीकरण न हो। संयमादि संकल्प के रूप के द्वारा आध्यात्मिक उत्कृष्टता के तो सोपानों आगे बढ़ाने हेतु आयोजन की प्रार्थना इस महापर्व के दौरान की जाती है।
इस शुभ अवसर पर श्री महावीर दिगम्बर जैन मंदिर मोहल्ला जोगराज मैं इन्द्रों के रुप में कन्हैया लाल जैन कमल कुमार जैन अभिषेक जैन,संयम जैन, आशीष जैन,विमल शरणं जैन, मनोज जैन,सुरेन्द्र सफ्फड, प्रवीण जैन, अतुल रस्तोगी नीरज जैन,पूनम जैन, मणी जैन, आरती जैन, वर्षा जैन, ममता जैन, आकांक्षा जैन,यशी जैन,नीलम जैन, रुचि जैन, शिखा जैन, बीना जैन, पूजा जैन, विमला जैन, राजकुमारी जैन आदि जैन समाज उपस्थित रहा।
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