एजेंसियों के दुरुपयोग का लोकतन्त्र पर असर : केजरीवाल की गिरफ्तारी के खिलाफ चुनाव आयोग पहुंचा ‘इंडिया’ गठबंधन

नई दिल्ली।(आवाज न्यूज ब्यूरो)  अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के खिलाफ ‘इंडिया’ गठबंधन निर्वाचन आयोग पहुंचा है। विपक्षी गठबंधन ने चुनाव आयोग में ज्ञापन देकर शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने आयोग में कहा कि, प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया है। केवल कुछ ही हफ्तों के अंतराल में, केंद्र सरकार ने राज्यों के लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित दो मुख्यमंत्रियों को गिरफ्तार कर लिया है, जो सत्तारूढ़ शासन और पार्टी के मुखर विरोधी हैं।
सीएम केजरीवाल के खिलाफ कार्रवाई गैरकानूनी
कांग्रेस नेता और वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि, ये गैरकानूनी कार्रवाई की गई है। उन्होंने कहा कि विपक्ष एकजुट होकर चुनाव आयोग पहुंचा है। ये गंभीर मुद्दा है। ये व्यक्ति या पार्टी विशेष का नहीं, बल्कि ये मसला भारत के संवैधानिक के ढांचे से जुड़ा है। जब चुनाव के लिए एक समान अवसर की आवश्यकता होती है और आप एजेंसियों का दुरुपयोग करके मैदान को समतल नहीं होने देते हैं तो यह स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव और अंततः लोकतंत्र को प्रभावित करता है।
हमने चुनाव आयोग याद दिलाया उत्तरदायित्व
उन्होंने कहा कि, हमने चुनाव आयोग को उनके उत्तरदायित्व की याद दिलाई है। हमने चुनाव आयोग से हस्तक्षेप करने के लिए कहा। स्वतंत्र भारत के 75 वर्षों के इतिहास में, पहली बार एक मौजूदा सीएम को गिरफ्तार किया गया है। हमने विपक्षी नेताओं के खिलाफ एजेंसियों के दुरुपयोग के सबूत दिए हैं। हमने पूछा कि अगर चुनाव आयोग डीजीपी, सचिव को बदल सकता है तो वह इन् एजेंसियों पर नियंत्रण क्यों नहीं रखता?
अभिषेक मनु सिंघवी ने किया गिरफ्तारी का विरोध
प्रवर्तन निदेशालय ने कथित शराब घोटाले से जुड़े धन शोधन सामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल को गुरुवार को गिरफ्तार कर लिया था। शुक्रवार को ईडी ने केजरीवाल को पीएमएलए कोर्ट में पेश किया और 10 दिनों की रिमांड की मांग की, गिरफ्तारी के खिलाफ केजरीवाल की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की विशेष पीठ के समक्ष भी सुनवाई होनी थी। लेकिन केजरीवाल ने अपनी याचिका वापस ले ली है। ईडी ने कोर्ट में 28 पन्नों की दलील पेश की है। वहीं अभिषेक मनु सिंघवी ने सीएम की गिरफ्तारी का विरोध किया है।
कोर्ट में क्या बोले केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी

  1. रिमांड ऑटोमैटिक नहीं है। इसे पीएमएलए जैसे कानून के प्रावधानों को पूरा करना होगा।
  2. पहली शर्त यह है कि उसके पास कोई भौतिक सामग्री हो। मतलब विश्वास करने का कारण होना चाहिए और अंततः वह दोषी होना चाहिए। ऐसा सामान्य कानून में क्यों नहीं होता? क्योंकि जब गिरफ्तारी करना मुश्किल होता है तो व्यक्ति को छोड़ना भी मुश्किल होता है।
  3. किसी को दोषी मानने की वजह और ईडी के पास मौजूद सामग्री के बीच एक कारणात्मक संबंध होना चाहिए।
  4. पहली चीज जो हमें दिखानी चाहिए वह है गिरफ्तारी की आवश्यकता।
  5. सिर्फ इसलिए कि आपके पास गिरफ्तार करने की पावर है इसका मतलब यह नहीं कि आपको इसका इस्तेमाल करना ही होगा। प्लीज कानून को एक बार देखें।
  6. पूरी रिमांड एप्लीकेशन गिरफ्तारी के ग्राउंड्स की कॉपी पेस्ट है।
  7. अगर आपके पास सब कुछ है तो आप हिरासत में लेकर पूछताछ क्यों करना चाहते हैं।

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