‘‘कांग्रेस का बडा आरोप: नीट पेपर लीक की जांच में सिर्फ छोटी मछलियों को पकड़कर, बड़े मगरमच्छों को क्यों छोड़ा जा रहा है?’’
नई दिल्ली। (आवाज न्यूज ब्यूरो) कांग्रेस ने मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट-यूजी में कथित अनियमितता को लेकर शनिवार को दावा किया कि गुजरात के गोधरा में पेपर लीक होने का मामला स्पष्ट हो चुका है और इसके बावजूद सरकार ने उच्चतम न्यायालय में इस विषय को लेकर झूठ बोला। गुजरात प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष शक्ति सिंह गोहिल ने यह सवाल भी किया कि नीट मामले पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चुप्पी क्यों साध रखी है? गोहिल ने गोधरा की सत्र अदालत में दायर पुलिस के एक हलफनामे का हवाला देते हुए संवाददाताओं से कहा, इसमें बताया गया है कि महाराष्ट्र, ओडिशा और बिहार समेत कई राज्यों से छात्र गोधरा में परीक्षा देने आए थे, क्योंकि यहां उनकी पहले से ही सेटिंग हो गई थी। उन छात्रों से एडवांस में पैसे और ब्लैंक चेक लिए गए। साथ ही, उनसे कहा गया कि वे नीट के लिए फॉर्म भरते समय सेंटर के लिए जय जलाराम स्कूल गुजराती मीडियम का नाम लिखें।
उन्होंने दावा किया कि पहले से यह सौदा किया गया था कि जब छात्रों को दाखिला मिल जाएगा तो ब्लैंक चेक में राशि भरी जाएगी। गोहिल ने आरोप लगाया, पेपर लीक मामले का पहला आरोपी तुषार भट्ट है जो जय जलाराम स्कूल में पढ़ाता है और नीट में परीक्षा केंद्र का डिप्टी सुपरिटेंडेंट था। दूसरा आरोपी पुरुषोत्तम महावीर प्रसाद है जो इस स्कूल का प्रधानाचार्य है। इनका काम परीक्षा खत्म होते ही पेपर को बक्से में सील कर तुरंत कूरियर करना था। लेकिन इन्होंने परीक्षा खत्म होने के बाद बक्से खोलकर पेपर में सही उत्तर टिक किए और फिर बक्सों को भेजा।
उनका कहना है कि इस मामले में 3 लोग और पकड़े गए हैं जिनके नाम परशुराम, विनोद आनंद, आरिफ वाहोरा हैं तथा इनका काम छात्रों के परिवार से पैसे लेने का था। गोहिल ने दावा किया कि आरिफ वाहोरा वहां भाजपा के अल्पसंख्यक मोर्चे का उपाध्यक्ष है। उन्होंने सवाल किया, सरकार ने पेपर लीक मामले में सब जानते हुए भी उच्चतम न्यायालय में झूठ क्यों बोला? पुलिस जांच में सारे सबूत सामने आने के बाद भी शिक्षा मंत्री ने क्यों कहा कि नीट में कोई धांधली नहीं हुई है। नीट मामले में नरेन्द्र मोदी और उनका ट्विटर (एक्स हैंडल) खामोश क्यों है? कांग्रेस नेता ने यह सवाल भी किया कि नीट पेपर लीक की जांच में सिर्फ छोटी मछलियों को पकड़कर, बड़े मगरमच्छों को क्यों छोड़ा जा रहा है?
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