बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना का वफादार माने जाने वाले चीफ जस्टिस ओबैदुल हसन ने दिया इस्तीफा

नई दिल्ली। (आवाज न्यूज ब्यूरो)  बांग्लादेश में हाल ही में हुए तख्तापलट के बाद, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ओबैदुल हसन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। आज प्रदर्शनकारी छात्रों ने बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट का घेराव किया और ओबैदुल हसन को इस्तीफा देने के लिए एक घंटे की मोहलत दी। बताया जा रहा है कि ओबैदुल हसन ने आज सभी न्यायाधीशों की एक बैठक बुलाई थी, बिना नवगठित अंतरिम सरकार से परामर्श किए हुए। इस कदम पर प्रदर्शनकारियों ने विरोध जताया और चीफ जस्टिस से इस्तीफे की मांग की। प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि न्यायालय के न्यायाधीश एक साजिश का हिस्सा हैं। विरोध-प्रदर्शन की तीव्रता को देखते हुए, बैठक को रद्द कर दिया गया। उल्लेखनीय है कि ओबैदुल हसन को पिछले वर्ष बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट का प्रमुख नियुक्त किया गया था। उन्हें प्रधानमंत्री शेख हसीना का वफादार माना जाता था, और उनकी नियुक्ति के बाद से ही न्यायालय के स्वतंत्रता को लेकर विवाद की स्थिति बनी हुई थी।
बांग्लादेश में नौकरियों में आरक्षण प्रणाली के खिलाफ व्यापक प्रदर्शनों के बाद, प्रधानमंत्री शेख हसीना को पद से इस्तीफा देना पड़ा और उन्हें देश छोड़ना पड़ा। उनके इस्तीफे के बाद, नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री मोहम्मद यूनुस को बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का प्रमुख नियुक्त किया गया है। नवगठित अंतरिम सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया है, विशेष रूप से बड़े देशों के साथ।

वर्तमान में, शेख हसीना भारत में ठहरी हुई हैं, जिससे विभिन्न प्रकार की प्रतिक्रियाएँ उत्पन्न हो रही हैं। बांग्लादेश की प्रमुख विपक्षी पार्टी, बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी ने इस स्थिति पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना का भारत में रहना उनके और भारतीय अधिकारियों के बीच एक व्यक्तिगत निर्णय है। बीएनपी के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता अमीर खसरू महमूद चौधरी ने इस पर अपने विचार साझा करते हुए कहा, “शेख हसीना वर्तमान में बांग्लादेश में हत्या, लोगों के जबरन गायब होने और व्यापक भ्रष्टाचार के आरोपों में वांछित हैं।
इस स्थिति में, यह पूरी तरह से शेख हसीना और भारतीय सरकार का निर्णय है कि वे किस देश में निवास करना चाहती हैं। उनके भारत में ठहरने का निर्णय दोनों पक्षों की निजी प्राथमिकताओं पर आधारित है। चौधरी ने यह भी स्पष्ट किया कि शेख हसीना के भारत में रहने की स्थिति बांग्लादेश में उनके खिलाफ उठे कई गंभीर आरोपों के कारण है, और यह भारत सरकार का भी एक महत्वपूर्ण निर्णय है कि वे इस मुद्दे पर कैसे प्रतिक्रिया देती हैं।
इस बीच, बांग्लादेश में आरक्षण विरोधी प्रदर्शनों के प्रमुख नेताओं में से एक, छात्र नेता नाहिद इस्लाम को नई अंतरिम सरकार में सूचना प्रौद्योगिकी और डाक मंत्रालय का जिम्मा सौंपा गया है। इसी तरह, छात्र आंदोलन के एक और प्रमुख नेता आसिफ महमूद को युवा एवं खेल मंत्रालय का कार्यभार सौंपा गया है। इन नियुक्तियों से यह स्पष्ट होता है कि नवगठित अंतरिम सरकार ने प्रमुख प्रदर्शनकारी नेताओं को महत्वपूर्ण प्रशासनिक पदों पर नियुक्त किया है। इस कदम से यह संकेत मिलता है कि सरकार ने आंदोलनों के प्रमुख चेहरों को समाविष्ट कर उन्हें सरकारी प्रणाली का हिस्सा बनाया है, जो कि बांग्लादेश की राजनीतिक और प्रशासनिक दिशा को प्रभावित कर सकता है।

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