‘‘विपक्ष के भारी दबाव के बीच वापस लिया फैसला’’
नई दिल्ली। (आवाज न्यूज ब्यूरो) केंद्र सरकार ने विवाद के बीच मंगलवार को यूपीएससी को नौकरशाही में ‘लेटरल एंट्री’ से संबंधित नवीनतम विज्ञापन वापस लेने का निर्देश दिया। केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने संघ लोक सेवा आयोग की अध्यक्ष प्रीति सूदन को पत्र लिखकर विज्ञापन रद्द करने को कहा, ताकि कमजोर वर्गों को सरकारी सेवाओं में उनका उचित प्रतिनिधित्व मिल सके। यूपीएससी ने 17 अगस्त को ‘लेटरल एंट्री’ के माध्यम से 45 संयुक्त सचिवों, निदेशकों और उप सचिवों की भर्ती के लिए अधिसूचना जारी की थी। लेटरल एंट्री को सरकारी विभागों में (निजी क्षेत्रों के विशेषज्ञों सहित) विभिन्न विशेषज्ञों की नियुक्ति कहा जाता है। इस निर्णय की विपक्षी दलों ने कड़ी आलोचना की थी। उनका दावा है कि इससे अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के आरक्षण अधिकारों का हनन हुआ है।
केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री सिंह ने अपने पत्र में कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए सार्वजनिक रोजगार में आरक्षण “हमारे सामाजिक न्याय ढांचे की आधारशिला है जिसका उद्देश्य ऐतिहासिक अन्याय को दूर करना और समावेशिता को बढ़ावा देना है। सिंह ने कहा, चूंकि इन पदों को विशिष्ट मानते हुए एकल-कैडर पद के रूप में नामित किया गया है, इसलिए इन नियुक्तियों में आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है। माननीय प्रधानमंत्री के सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए, इस कदम की समीक्षा और सुधार की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, मैं यूपीएससी से 17 अगस्त 2024 को जारी लेटरल एंट्री भर्ती विज्ञापन को रद्द करने का आग्रह करता हूं। सिंह ने कहा कि यह कदम सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रगति होगा।
बताते चलें कि विपक्ष के भारी दबाव के बीच केंद्र सरकार ने फैसला वापस ले लिया है।
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