अखिलेश यादव का भाजपा पर हमला : ख़ुद बंट गये हैं बांटने की राजनीति करने वाले लोग

लखनऊ।(आवाज न्यूज ब्यूरो) समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष एंव यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शुक्रवार को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर करीब दो दर्जन सवालों की एक लंबी सूची सार्वजनिक करते हुए दावा किया कि प्रदेश के हर हिस्से में लोग इन सवालों के साथ सत्तारूढ़ भाजपा के लोगों का इंतजार कर रहे हैं।
सपा प्रमुख ने अपने एक लंबे पोस्ट में भाजपा पर तंज कसते हुए आवारा पशुओं, बेरोजगारी, कानून व्यवस्था और किसानों के मुद्दे से लेकर करीब दो दर्जन सवालों को सूचीबद्ध किया। उन्होंने कहा, ऐसे अनगिनत सवाल हर पगडंडी-पंचायत, नुक्कड़-मोड़, बाज़ार-हाट, चौक-चौबारे पर भाजपा के ’संगी-साथियों’ का इंतज़ार कर रहे हैं। श्रीयादव ने कहा, अब जनता भाजपा के संगी-साथियों से ये कहने को बेसब्र है कि जो जनता के साथ नहीं, उससे करनी बात नहीं। लोकसभा चुनाव में राज्य में भाजपा की हार का जिक्र करते हुए यादव ने दावा किया कि चुनावी हार के बाद ‘भाजपाई गुटों’ ने आपस में विश्वास खो दिया है। सपा प्रमुख ने कहा कि आपस में दोषारोपण करके न तो ये (भाजपाई) एक-दूसरे का भरोसा जीत पाएंगे और न ही कोई आगामी चुनाव। हाल में संपन्न हुए लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश की 80 सीट में सपा ने 37 पर और उसकी सहयोगी कांग्रेस ने छह सीट पर जीत दर्ज की थी जबकि भाजपा को 33 और उसकी सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल को दो और अपना दल-एस को एक सीट पर जीत मिली! एक सीट आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) ने जीती।
संगी-साथी कह रहे हैं कि वो बूथ पर जाकर व्यवस्था संभालेंगे
उत्तर प्रदेश विधानसभा के नौ मौजूदा विधायकों ने लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की जबकि एक विधायक को अदालत ने सजा सुनाई है। इस वजह से खाली हुई 10 विधानसभा सीट पर उप चुनाव कराए जाएंगे जिसकी तैयारी राजनीतिक दल कर रहे हैं। सोशल मीडिया पोस्ट में यादव ने 10 विधानसभा सीट के लिए होने वाले उपचुनाव की ओर इशारा करते हुए कहा, अब जब भाजपा के संगी-साथी कह रहे हैं कि वो बूथ पर जाकर व्यवस्था संभालेंगे तो इसका मतलब साफ है कि वो लोकसभा चुनाव में हुई ऐतिहासिक पराजय को देखते हुए, ये मानकर चल रहे हैं कि भाजपा का कार्यकर्ता हताश होकर बूथ छोड़कर भाग चुका है या फिर अब भाजपा के मुखौटाधारी केवल सत्ता लोलुप संगी-साथियों को भाजपा के कार्यकर्ताओं पर भरोसा नहीं रहा है। यादव ने कहा, दरअसल चुनावी हार के बाद भाजपाई गुटों ने आपस में विश्वास खो दिया है। इसका एक और पहलू यह भी है कि भाजपा का ‘संगी-साथी’ पक्ष ये दिखाना चाहता है कि हार का कारण वो नहीं था, वो तो अभी भी शक्तिशाली है, कमजोर तो भाजपा हुई है।
श्रीयादव ने भाजपा पर हमला करते हुए कहा, बांटने की राजनीति करने वाले लोग ख़ुद बंट गये हैं। उन्होंने सवाल किया, भाजपा अपनी चाणक्य नीति के तहत जिन ‘पन्ना प्रमुखों’ की बात करती थी, अब क्या वो इतिहास बन गये? आज अगर वो उपलब्ध नहीं हैं तो उसके पीछे कुछ महत्वपूर्ण कारण हैं। भाजपा ने मतदाता सूची के हर पन्ने के लिए एक प्रमुख नियुक्त किया है। यादव ने तंज के अंदाज में कहा, अब भाजपा के जो गिने-चुने कार्यकर्ता बाक़ी हैं वो ये सोचकर हताश हैं कि वर्तमान परिस्थिति में, जबकि समाज का 90 प्रतिशत पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) जाग उठा है और पीडीए की बात करने वालों के साथ खड़ा है तो फिर वो किसके पास जाकर वोट मांगें। उन्होंने कहा, 90 प्रतिशत पीडीए समाज के सामने आकर क्यों उनके विरोधी होने का ठप्पा ख़ुद पर लगाएं। आखिरकार उन्हें भी तो उसी 90 प्रतिशत समाज के बीच ही रहना है।
ये सच्चाई भी जान चुके हैं भाजपाई पन्ना प्रमुख
सपा प्रमुख ने कहा, ऐसे भूतपूर्व भाजपाई पन्ना प्रमुख ये सच्चाई भी जान चुके हैं कि भाजपा में किसी की कोई सुनवाई नहीं है, तो ऐसे दल में रहकर कभी भी कोई मान-सम्मान-स्थान उन्हें मिलने वाला नहीं है। इसीलिए वो ऐसे उन अन्य दलों में ठिकाना ढूंढ रहे हैं, जो सच में जनता के साथ हैं और जनता उन जन-हितैषी दलों के साथ। यादव ने कहा कि पीडीए के लिए राजनीति साधन भर है, साध्य है समाज का कल्याण। इसके ठीक विपरीत भाजपा के लिए चुनावी जीत और सत्ता की किसी भी तरह प्राप्ति करके जनता के हितों को ताक पर रखकर भ्रष्टाचार करना ही साध्य है।

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