बृजेश चतुर्वेदी
कन्नौज।(आवाज न्यूज ब्यूरो) रेलवे स्टेशन हादसे की जांच शुरू हो गई है हालांकि रेलवे अधिकारी अभी कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। तकनीकी जानकारों की मानें तो हादसे के पीछे शटरिंग ठेकेदार की लापरवाही सामने आई है। यहां लोहे की शटरिंग का पूरा इस्तेमाल करने की बजाय बांस और बल्ली का प्रयोग किया गया। जो सरिया और मसाले का लोड नहीं झेल सकी।
रेलवे स्टेशन पर अमृत भारत योजना के तहत वेटिंग हाल का निर्माण कराते वक्त हादसे से अफसरों की नींद उड़ गई। रविवार सुबह रेस्क्यू कम्पलीट हुआ। निर्माण वाली जगह से पूरा मलबा हटा दिया गया। इस दौरान डीएम शुभ्रान्त कुमार शुक्ल ने कहा है 25 मजदूरों के दबे थे और सभी को रेस्क्यू कर के निकाल लिया गया है।
इस हादसे का कारण जानने के लिए रेलवे के अधिकारियों ने 3 टीमों का गठन किया है। रविवार सुबह रेलवे के आईजी तारिक अहमद कन्नौज स्टेशन पहुंचे। यहां निरीक्षण करने के बाद वह जिला अस्पताल गए। जहां उन्होंने घायल मजदूरों का हालचाल जाना हालांकि इस दौरान उन्होंने मीडिया से दूरी बनाए रखी।
उधर रेलवे स्टेशन पर तकनीकी जानकार इंजीनियर आदर्श पांडेय से मुलाकात हुई। उन्होंने बताया कि निर्माण के दौरान लेंटर डालने के लिए जो शटरिंग लगाई गई, उसी में खामी नजर आ रही है। शटरिंग को लोहे के एंगल पर टिकाया गया और लोहे के एंगल को बांस और बल्लियों के सहारे टांग दिया गया। इसके अलावा लेंटर करीब 10 मीटर की ऊंचाई पर डाला जा रहा था। जिसके लिए कपलर और लेजर का इस्तेमाल किया गया हालांकि इसमें भी मानक का ख्याल नहीं रखा गया।
कपलर की कुल लंबाई 10 मीटर थी तो लेजर की दूरी 2 मीटर समझ में आ रही जबकि इतनी अधिक हाइट के कपलर को लगाने के लिए लेजर की दूरी 1 मीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए थी। यदि ऐसा होता तो लोड बढ़ने से भी शटरिंग को सपोर्ट बना रहता और हादसा होने से टल सकता था।
लिंटर के वक्त वहां मजदूरी कर रहे लखनलाल ने बताया कि शटरिंग का ठेका बरेली के रहने वाले हामिद ठेकेदार का था। उन्हीं के 5 वर्करों ने मिलकर शटरिंग लगाई थी हालांकि हादसे के बाद से शटरिंग ठेकेदार और उनके वर्करों का कुछ अता-पता नहीं है।