कन्नौज: प्रारम्भिक जाँच में शटरिंग और लेज़र की दूरी की बात आई सामने

चार सदस्यीय जांच दल ने शुरू की कन्नौज हादसे की जांच

बृजेश चतुर्वेदी

कन्नौज। (आवाज न्यूज ब्यूरो)  11 जनवरी को रेलवे स्टेशन पर बन रहे दो मंजिला वेटिंग हॉल का लिंटर गया। 25 मजदूर मलबे में दब गए। 16 घंटे रेस्क्यू के बाद सभी को निकालकर जिला अस्पताल लाया गया। यहां से 10 गंभीर घायलों को हायर सेंटर तिर्वा रेफर कर दिया गया। एक्सईएन की शिकायत पर इंजीनियर और ठेकेदार पर एफआईआर दर्ज की गई। जांच के लिए 4 उच्चस्तरीय टीमें बनाई गई हैं। यह बिल्डिंग अमृत भारत योजना के तहत बन रही थी।

मामले में रेलवे विभागीय अधिकारी अभी कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। लेकिन, तकनीकी जानकारों की मानें तो हादसे के पीछे शटरिंग ठेकेदार की लापरवाही सामने आई है। यहां लोहे की शटरिंग का पूरा इस्तेमाल करने की बजाय बांस-बल्ली का इस्तेमाल किया गया। बांस-बल्ली सरिया और मसाले का लोड नहीं झेल सकी, जिससे लिंटर गिर गया।

कन्नौज रेलवे स्टेशन की पुरानी बिल्डिंग से सटा कर नई बिल्डिंग बनाई जा रही है। यहां 13 करोड़ की लागत से स्टेशन के वेटिंग एरिया का हॉल बनाया जा रहा है। करीब एक साल से काम चल रह है। इसका काम आशुतोष इंटरप्राइजेज को दिया गया था। ठेकेदार राम विलास राय काम करवा रहे थे।

यह निर्माण प्लेटफार्म पर ही हो रहा था। 11 जनवरी को यहां दो मंजिला भवन के ऊपरी हिस्से पर लिंटर डाला गया था। दोपहर को अचानक लिंटर ढह गया। इसके बाद पुलिस समेत एनडीआरएफ और एसडीआरएफ ने रात भर बचाव कार्य किया। 16 घंटे तक रेस्क्यू ऑपरेशन चला। 12 जनवरी को सुबह 6 बजे रेस्क्यू खत्म हुआ।

मलबे में दबे 25 मजदूरों को निकालकर हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया। 13 मजदूरों का जिला अस्पताल में इलाज चल रहा है। 10 को हायर सेंटर तिर्वा में भर्ती कराया गया है। इनमें 2 की हालत गम्भीर है।

लोहे के एंगल को बांस-बल्लियों के सहारे टांगा

 रेलवे के तकनीकी जानकार इंजीनियर आदर्श पांडेय ने बताया कि हादसे में शुरुआती तौर पर शटरिंग लगाने में सबसे बड़ी खामी नजर आ रही है। जिस तरह की ऊंचाई पर भारी भरकम लिंटर डाला जा रहा था, उसके लोड के अनुसार पूरी शटरिंग लोहे की होनी चाहिए थी लेकिन, कन्नौज के रेलवे स्टेशन पर आधे से ज्यादा शटरिंग में बांस-बल्लियों का इस्तेमाल किया गया। ये लिंटर का लोड नहीं झेल सकीं।

कपलर की लंबाई और लेजर की दूरी का ख्याल नहीं रखा

30 फीट की हाइट पर पड़ने वाले लिंटर के लिए ठेकेदार ने कपलर की लंबाई और लेजर की दूरी का ख्याल नहीं रखा। ऊंचाई के आधार पर लेजर की लेंथ कम रखनी चाहिए थी। कन्नौज स्टेशन पर इस्तेमाल किए गए लेजर की लेंथ 2 मीटर की दिख रही है जबकि, 3-3 मीटर वाले कपलर की कुल हाइट 10 मीटर है। इस लिहाज से लेजर का गैप 1 मीटर होना चाहिए था जिसे 2 मीटर कर दिया गया। लिंटर का लोड बढ़ते ही इसमें झोल आ गया। नतीजा, ये हादसा हो गया।

5 वर्करों ने मिलकर शटरिंग लगाई थी

लिंटर के वक्त वहां मजदूरी कर रहे लखनलाल ने बताया कि शटरिंग का ठेका बरेली के रहने वाले हामिद ठेकेदार का था। उन्हीं के 5 वर्करों ने मिलकर शटरिंग लगाई थी हालांकि हादसे के बाद से शटरिंग ठेकेदार और उनके वर्करों का कुछ अता-पता नहीं है।

रेलवे कार्य में बाधा डालने और छवि धूमिल करने की एफआईआर

हादसे के बाद रेलवे गतिशक्ति निदेशालय के एक्सईएन विपुल माथुर ने फर्रुखाबाद के जीआरपी थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई। इसमें बलिया की फर्म आशुतोष इंटरप्राइजेज के ठेकेदार राम विलास राय और इंजीनियर सूरज प्रकाश मिश्रा के खिलाफ रेलवे कार्य में बाधा डालने और रेलवे की छवि को धूमिल करने का आरोप लगाया गया।

4 सदस्यीय टीम ने शुरू की जांच

रेलवे ने हादसे की जांच के लिए 4 सदस्यीय जांच टीम बनाई गई है। गोरखपुर जोन के वरिष्ठ अधिकारियों वाली इस टीम में प्रमुख मुख्य संरक्षा अधिकारी मुकेश मल्होत्रा, प्रधान मुख्य सुरक्षा आयुक्त (आईजी रेलवे) तारिक अहमद, प्रमुख मुख्य इंजीनियर नीलमणि और मुख्य प्रशासनिक अधिकारी (आरएसपी) नरेंद्र कुमार शामिल हैं।

जेडआरयूसीसी सदस्य राज शर्मा में बताया कि टीम ने सभी सदस्यों ने मामले की जांच शुरू कर दी है। 12 जनवरी की सुबह रेलवे के आईजी तारिक अहमद कन्नौज स्टेशन पहुंचे। यहां निरीक्षण करने के बाद वह जिला अस्पताल गए। जहां उन्होंने घायल मजदूरों का हालचाल जाना हालांकि इस दौरान उन्होंने मीडिया से दूरी बनाए रखी।

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