नई दिल्ली। (आवाज न्यूज ब्यूरो)। कांग्रेस ने रविवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हमेशा जाति जनगणना का विरोध करते रहे हैं लेकिन कांग्रेस पार्टी के दबाव में उन्हें इस मुद्दे पर अचानक और हताशा भरा यू-टर्न लेने को मजबूर होना पड़ा है।
कांग्रेस संचार विभाग के प्रभारी जयराम रमेश ने आज यहां जारी एक बयान में कहा “ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जातिगत जनगणना के मुद्दे पर एकदम अचानक और हताशा भरे यू-टर्न के पर्याप्त सबूत हैं।” रमेश ने कुछ सबूत गिनाते हुए कहा “पिछले साल 28 अप्रैल को एक टीवी इंटरव्यू में श्री मोदी ने जातिगत जनगणना की मांग करने वालों को ’अर्बन नक्सल’ करार दिया था। मोदी सरकार ने 20 जुलाई 2021 को संसद में कहा था कि ’सरकार ने नीतिगत निर्णय लिया है कि जनगणना में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के अलावा अन्य किसी जाति की गणना नहीं की जाएगी।’ देश की सर्वोच्च अदालत में 21 सितंबर 2021 को दाखिल हलफनामे में सरकार ने साफ कहा था-जनगणना 2021 के दायरे से किसी भी अन्य जाति की जानकारी को बाहर रखना केंद्र का एक सचेत नीतिगत निर्णय है।” कांग्रेस नेता ने कहा,“ऐसा करके मोदी सरकार ने उच्चतम न्यायालय से ओबीसी के लिए जाति जनगणना का आदेश न देने का स्पष्ट आग्रह किया था- “ऐसी स्थिति मे न्यायालय द्वारा जनगणना विभाग को आगामी जनगणना 2021 में ग्रामीण भारत के पिछड़े वर्ग समुदायों से संबंधित सामाजिक-आर्थिक आंकड़ों को शामिल करने का कोई भी निर्देश देना अधिनियम की धारा 8 के तहत तैयार नीतिगत निर्णय में हस्तक्षेप करने के समान होगा।“ उन्होंने प्रधानमंत्री से सवाल किया कि क्या वह ईमानदारी से स्वीकार करेंगे कि उनकी सरकार ने पिछले 11 वर्षों में जातिगत जनगणना पर अपनी नीति में आधिकारिक रूप से बदलाव किया है और क्या संसद और देशवासियों को बताएंगे कि सरकार की नीति में बदलाव की वजह क्या है और क्या अब जातिगत जनगणना करने के लिए समय सीमा तय की जाएगी।
