लखनऊ।(आवाज न्यूज ब्यूरो) विधानसभा के बजट सत्र में सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने सदन में कहा कि सरकार कह रही है सबसे बड़ा बजट है, लेकिन वह ये भूल गई है कि हर बजट पिछले वाले से बढ़कर आता है। अभी यह बजट जनता तक नहीं पहुंचा। प्रदेश की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था किसानों से है, लेकिन ये किसानों को धोखा देने वाला बजट है।
अखिलेश यादव ने कहा कि सरकार ने बताया कि बहुत सारे एमओयू हुए हैं। सरकार कह रही है कि 4.68 लाख करोड़ के ब्लूसाइन हुए। तीन लाख करोड़ के निवेश का क्रियान्वयन किया गया। सरकार ये बताए जो बजट दिया क्या वह खर्च कर पाएंगे। पुरानी सरकार ने लैपटॉप दिए थे। आप लैपटॉप नहीं दे सकते इसलिए टेबलेट दे रहे हैं। बिजली विभाग सबसे महत्वपूर्ण विभाग है। सपा सरकार के दौरान बिजली विभाग की बैलेंस शीट बिल्कुल क्लियर थी, आज कितने बड़े घाटे में है। बिजली विभाग को भी इस बजट में कोई बड़ी ग्रोथ नहीं दी गई।
अखिलेश यादव ने कहा कि मेडिकल में बड़ा बजट दिखा रहे हैं, जबकि इनके ही मंत्री खुद गए मौके पर और स्थिति को देख चुके हैं। स्वास्थ्य मंत्री को हर जगह कमी ही नजर आ रही है। डॉक्टर नर्स और वार्ड बॉय की कमी है। डिप्टी सीएम जो खुद विभाग के मंत्री हैं उन्होंने देखा कि बड़े पैमाने पर दवाएं एक्सपायर हो गईं।
अखिलेश ने विधानसभा में कहा कि हाउसिंग सेक्टर का इतना बुरा हाल है कि पहले कभी नहीं रहा होगा। अगर सपा सरकार की चीजों को हटा दें तो आपकी स्मार्ट सिटी कहां है? शहरों में आज गंदगी की भरमार है। अटल जी ने वेस्ट प्लांट से बिजली बनाने के लिए प्लांट लगाया था, लेकिन आज तक उस से बिजली बन नहीं पाई। स्वच्छ भारत का सपना दिखाया शहर से लेकर गांव तक गंदगी है।
विधानसभा में बोलते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि कन्नौज की पहचान इत्र से है गोबर से नहीं है। हो सकता है आपको इत्र से लगाव न हो, लेकिन खुशबू हर एक को पसंद है। दुनिया में इत्र का बड़ा मार्केट है। नेता सदन कन्नौज में इत्र का पार्क दीजिए।
अखिलेश यादव ने कहा कि हमने सैनिक स्कूल बनाए, लेकिन राष्ट्रवादी आप हैं। यूपी में 4 सैनिक स्कूल हैं। 5 साल से राष्ट्रवादी सरकार है, कितने स्कूल बढ़े? दिल्ली वाले जब कहते हैं कि हमारे स्कूल देख लो तो आप भी बुलाओ दिल्ली वालों को। कह दो हमारे सैनिक स्कूल देख लो।
अखिलेश ने कहा कि जब बजट बढ़ा है तो सरकार को विभागों में भी खर्च ज्यादा करना चाहिए। बिजली भी लगातार महंगी होती जा रही है। बिजली विभाग आज फिर 70,000 करोड़ रुपये के घाटे में पहुंच गया है। कुलपतियों की नियुक्ति जाति के आधार पर हो रही है। इन सब सवालों का जवाब सरकार को देना चाहिए।