प्रथम तिलक वशिष्ठ मुनि कीन्हा ,पुनि सब विपरन आयुष दीन्हा

फर्रुखाबाद। (आवाज न्यूज ब्यूरो) मानस सम्मेलन के अंतिम दिन श्रीराम ने रावण को मारकर विजय प्राप्त की, इसके बाद पुष्पक विमान पर बैठकर श्रीराम अयोध्या पहुंचे ।अयोध्या में उनका गुरु वशिष्ठ ने राजतिलक किया । सांसद मुकेश राजपूत ने राम दरबार का सर्वप्रथम राजतिलक किया ,इसके बाद श्रीमती अनिता दिबेदी सहित सभी मानस प्रेमियों ने राम दरबार का राजतिलक किया। सांसदजी ने बोलने से मना कर दिया कहा कि वह केवल राम कथा सुनने आए है। पंडा बाग के सत्संग भवन में मानस के संयोजक डा रामबाबू पाठक ने राम राज्याभिषेक पर चर्चा करते हुए कहा कि चौदह वर्ष का वनवास काटकर राम ने रावण का संहार किया । राम ने रावण के संहार को तीस बाण छोड़े ,उससे उनके दस सिर व बीस भुजाए काटी पर सभी सिर व भुजाए फिर से निकल आई ।अगली बार रावण के भाई विभीषण की सलाह पर राम ने 31 बाण छोड़े , उस एक बाण ने रावण की नाभी के अमृत को सोख दिया,दस सिर,बीस भुजाए कटते ही रावण धराशाई हो गया। उसके बाद विभीषण का लक्ष्मण द्वारा राजतिलक किया गया। श्रीराम ने हनुमान को रावण संहार की सूचना जानकी को देने भेजा । जानकी का श्रंगार करके उन्हे श्रीराम से मिलवाया गया ।राजा विभीषण से श्रीराम ने विमान का प्रबंध करने को कहा,बताया कि यदि मैं लंका से अयोध्या सीधे नहीं पहुंचा तो मेरा भाई भरत समय गुजरने के बाद आत्महत्या कर लेगा । श्रीराम ने इससे पहले हनुमान से अयोध्या पहुंचकर भरत को सूचना देने भेजा कि राम,सीता, लक्ष्मण सीधे अयोध्या आ रहे है। अयोध्या पहुंचकर श्रीराम हर भाई से गले मिले और राम,जानकी ,लक्ष्मण ने सभी माताओं कौशल्या, सुमित्रा व कैकेई के पैर छूकर आशीर्वाद लिया । जालौन से पधारे मानस विद्वान ईश्वर दास ब्रह्मचारी ने राम राज्याभिषेक पर कहा कि श्री राम ने अपने सभी भाइयों को अपने हाथो से नहलाया, उन सभी के उलझेबालोकोसुलझाया,सभीको वस्त्र पहनकर तैयार किया । अयोध्या के दरबार में सभी संत ,पंडित,सभी देवी ,देवता मौजूद थे । गुरु वशिष्ठ ने अपनी दिव्य शक्ति से दिव्य आसन मगवा लिया । शुभ मुहूर्त में श्रीराम व जानकी को आसन पर विराजमान करके राजतिलक किया । प्रथम तिलक वशिष्ठ मुनि कीन्हा, पुनि सब विप्रन आयुष दीन्हा,। ओरेया की मानस कोकिला श्रीमती मिथिलेश दीक्षित ने मंगल गीत गाया, गाओ गाओ री सुमंगल गीत राघव राजा बन बैठे , इसके अलावा जबलपुर की सुश्री आस्था दुबे ने भी गीत प्रस्तुत किया। अंत में सभी मानस विद्वानों को पट्टिका उड़ाकर ,गिफ्ट देकर व पांच दिन के परिश्रम की राशि लफाफे में रखकर सभी विद्वानों को विदा किया गया । ज्योतिर्लिंग के निर्माता अनिल त्रिपाठी ने नगर विधायक की पत्नी सहित सभी विद्वानों को ज्योतिर्लिंग की बड़ी तस्वीर भेट की । उसके बाद सभी विद्वानों को सम्मान से विदा किया गया। संचालन रामेंद्र मिश्र और तबले पर संगत नंदकिशोर पाठक ने की। इस मौके पर अशोक कुमार रस्तोगी,रामबरन दीक्षित,सुजीत पाठक,मनीष मिश्रा, बी के सिंह,ज्योति स्वरूप अगिहनोत्री, डा श्रीकृष्ण गुप्ता,संजय गर्ग,शशि रस्तोगी,लक्ष्मी,संध्या पाठक, रजनी लौगानी,अपूर्व,विशेष,अद्भुत, वरुण,अभिषेक पांडे,रविंद्र भदौरिया, मोहन लाल गौड़,अनुराग पांडे रिंकू आदि सैकड़ों मानस श्रोता मौजूद रहे ।

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