आलू के पहले क्रेता- विक्रेता सम्मेलन में एपीसी मनोज कुमार सिंह का सम्बोधन
बृजेश चतुर्वेदी
कन्नौज।(आवाज न्यूज ब्यूरो) उत्तर प्रदेश के कृषि उत्पादन आयुक्त और अपर मुख्य सचिव, पंचायतीराज उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण मनोज कुमार सिंह ने कहा है कि खेती के क्षेत्र में हम लोग उस स्तर तक पहुच चुके है कि अब और ज्यादा पैदावार करने से कोई फायदा नही है और अब हमारा लक्ष्य है पैदावार करके अधिक से अधिक कीमत पर बेचना तथा अपनी आमदनी में बृद्धि करना। उत्तर प्रदेश सबसे अच्छा है खेती के लिए चाहे आलू या गेहूॅ की फसल हो, लेकिन आपने देखा कि निर्यात गुजरात से हो रहा है। ज्वार में सबसे अच्छा यूपी का और बीज सबसे अच्छा पंजाब में बन रहा है। उन्होनें कहा कि वैज्ञानिक एंव डाक्टर आपस में समन्वय स्थापित कर किसानों को उनकी फसल के संबंध में नई से नई टेक्नोलॉजी का प्रयोग करवायें, जिससे अच्छे परिणाम देख कर किसानों को नई टेक्नोलॉजी के माध्यम से अच्छी फसल कर, उत्पादन में बढ़ोत्तरी करें। श्री सिंह आज कन्नौज में आयोजित पहले आलू क्रेता- विक्रेता सम्मेलन को सम्बोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि हापुड़ एंव कुशीनगर में सरकार नई-नई वैज्ञानिक विधि का प्रयोग कर किसानों को अच्छी उपज के लिये बीज उपलब्ध करवा रही है। कहा कि आलू का जन्म पेरू में हुआ है, वहॉ पर 3000 तरह के आलू की फसल पायी जाती है, खाने में ज्यादातर आलू का ही प्रयोग होता है। आलू पर निर्भरता ज्यादा होने पर सन् 1843 में आयरलैण्ड में 2-3 साल लगातार आलू की फसल नष्ट होने की वजह से बहुत बड़ी त्रासदी की स्थिति उत्पन्न हुई थी। आपके बीच यह जो कार्यशाला की जा रही है इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि आलू की नई टेक्नोलॉजी किसानों के खेत में हो और निर्यात की व्यवस्था सुनिश्चित की जाये।
आलू का निर्यात यूरोप आदि देशों में किया जाये, जिससे किसानों को आलू के सही दाम मिल सके। उन्होनें कहा कि आलू की फसल में ड्रिप स्प्रिंकलर मशीन का प्रयोग करने से पानी की बचत के साथ ही फसल की पैदावार में भी बढोत्तरी होगी तथा पैसों की भी बचत होगी।
जिलाधिकारी शुभ्रान्त कुमार शुक्ल ने कहा कि हमारे जनपद का फायदा कृषि की फसलों में जो आलू का है और हम सभी को पता है कि आलू का व्यापार अन्य जनपदों के मुकाबले हमारे जनपद में अधिक है। इसलिए एक बड़ी सम्भावना हमारे जनपद में आलू निर्यात की है। आगरा के बाद हमारा जनपद आलू उत्पादन सबसे अधिक करता है। जनपद के जो उत्पादक व व्यापारी है तथा जो लोग इस कार्य से जुडे हुये है उनको बडा स्थान दिया जाये। हमारे जनपद के आलू के क्षेत्र में जो बड़े किसान है और जो भी लोग इस व्यापार से जुडे हुये है उनको एक स्थान पर बुलाकर उनसे वार्ता करे एवं वैज्ञानिको द्वारा उनको निर्यात के विषय में, आलू उत्पादन के विषय में अधिक से अधिक किस तरह लाभ प्राप्त कर सकते है। उसके बारे में जानकारी दी जाए। उन्होने कहा कि जनपद में जो बड़े निर्यातक है, जिनकी रूचि व्यापार एवं उत्पादन में आगे बढ़ने की है, आज उन्हें आमंत्रित किया गया है। श्री शुक्ल ने बताया कि जनपद में आलू का क्षेत्रफल 52 हजार हेक्टेयर है यहां चिप्सोना, पुखराज, ख्याति, बहार, कुफरी, सिन्दूरी, कंचन, श्री नाथ आदि विभिन्न प्रकार की आलू की फसलों बोया जाता है, जिसमें ज्यादातर 35 प्रतिशत कुफरी एंव चिप्सोना प्रजाति का आलू बोया जाता है, जिसकी विदेशों में अच्छी मांग है, जिसमें से प्रतिवर्ष 12.60 लाख मीट्रिक टन आलू का उत्पादन होता है, जनपद में 146 शीतग्रह संचालित है। उन्होनें बताया कि जनपद से लाल आलू का निर्यात बिहार, असम, व नेपाल में किया जाता है।
कार्यशाला में कृषकों की आय में वृद्वि करने तथा आलू निर्यात को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उद्यान निदेशक, आर0के0 तोमर, डा0 मनोज कुमार, संयुक्त निदेशक, केन्द्रीय आलू अनुसंधान संस्थान क्षेत्रीय केन्द्र मोदीपुरम् मेरठ,डा0 रमेश सिंह, एसोसिएट प्रोफेसर, सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि एंव प्रौद्योगिक विश्व विद्यालय मेरठ,प्रोफेसर एस0के0 विश्वास, विभागाध्यक्ष पादप रोग विज्ञान, चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कानपुर नगर,उत्तर प्रदेश राज्य प्रौद्योगिक सहकारी विपणन संघ निदेशक, कृषि विदेश व्यापार से आए कृषि वैज्ञानिको द्वारा निर्यात योग्य आलू के लिये कौन से प्रजातियां उपयुक्त है, कैसी उनकी खेती की जाये, के बारे में विस्तृत रुप से चर्चा की गई।
इसी क्रम में भारत सरकार की संस्था एपीडा के प्रतिनिधि, आलू निर्यातक, स्थानीय आलू व्यापारी, जनपद में अन्य पड़ोसी जनपद के प्रगतिशील किसान, मण्डी समिति, कृषक उत्पादन संगठन, शीतग्रह स्वामी एंव कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रतिनिधियों द्वारा भी कार्यशाला में प्रतिभाग किया गया। तथा आलू के एक्सपोर्ट, प्रोटोकाल के बारे में विस्तृत चर्चा की गयी एव रोग रहित आलू की किस प्रकार पैदावार की जाये के संबंध में भी जानकारी दी गई। कार्यशाला के दौरान मुख्य विकास अधिकारी, उप निदेशक कृषि, उद्यान अधिकारी, उपायुक्त उद्योग,जिला पंचायत राज अधिकारी सहित अन्य आधिकारी व प्रगतिशील कृषक उपस्थित रहे।