बृजेश चतुर्वेदी
कन्नौज।(आवाज न्यूज ब्यूरो) जनपद में बड़ी मात्रा में आलू की खेती होती है। मौसम के मिजाज में धीमे धीमे ठंडक बढ़ती जा रही है। जिलाधिकारी शुभ्रान्त कुमार शुक्ल ने बढ़ती ठंड के दृष्टिगत आलू उत्पादक किसानों की चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि आलू उत्पादक किसान भाइयों को फसल पर अत्यधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा है कि किसान भाई बढ़ती ठंड के दृष्टिगत आलू फसल को रोगों से बचाव हेतु कृषि विशेषज्ञों की राय अवश्य ले। जिससे ठंड के कारण आलू फसल में लगने वाले रोगों से आसानी से निपटा जा सके।
जिला उद्यान अधिकारी सी पी अवस्थी एवं कृषि विज्ञान केन्द्र कन्नौज के उद्यान वैज्ञानिक डा0 अमर सिंह ने बताया है कि वातावरण में तापमान में गिरावट एवं बूंदा-बांदी की स्थिति में आलू की फसल पछेती झुलसा रोग के प्रति अत्यन्त संवेदनशील है। प्रतिकूल मौसम विशेषकर बदलीयुक्त बूंदा-बांदी एवं नम वातावरण में झुलसा रोग का प्रकोप बहुत तेजी से फैलता है तथा फसल को भारी क्षति पहुँचती है। पछेती झुलसा रोग के प्रकोप से पत्तियां सिरे से झुलसना प्रारम्भ होती है, जो तीव्र गति से फैलती है। पत्तियों पर भूरे काले रंग के जलीय धब्बे बनते है तथा पत्तियों की निचली सतह पर रूई की तरह फफूंद दिखाई देती है। बदलीयुक्त 80 प्रतिशत से अधिक आद्र वातावरण एवं 10-20 डिग्री तापक्रम मे इस रोग का प्रकोप बहुत तेजी से होता है और 2 से 4 दिनों के अन्दर सम्पूर्ण फसल नष्ट हो जाती है।
वैज्ञानिक डा0 अमर सिंह ने बताया है कि आलू की फसल को पछेती झुलसा रोग से बचाने के लिए मैन्कोजेब अथवा प्रोपीनेब 2-2.5 किलोग्राम 800 से 1000 ली0 पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें। जिन खेतों में पछेती झुलसा रोग का प्रकोप हो गया है तो ऐसी स्थिति में डाईमेथोमार्फ 1.0 ग्राम मैन्कोजेब का 2.0 ग्राम कुल 3.0 ग्राम प्रति लीटर पानी या साइमोक्सानिलं 1.0 ग्राम मैन्कोजेब 2.0 ग्राम कुल 3.0 ग्राम प्रति लीटर पानी के साथ घोल बनाकर छिड़काव करें तथा रोग के लग जाने पर सिंचाई रोक दें। पाले से फसल के बचाव हेतु हल्की सिंचाई करे किसी भी दवा का प्रयोग करने से पूर्व विशेषज्ञ की सलाह अवश्य ले।