कन्नौज : जिलाधिकारी ने बच्चों को एलबेंडाजॉल की गोली खिला अभियान का किया शुभारंभ

दो चरणों में 6.53 लाख बच्चे खायेंगे एलबेंडाजॉल की गोली

बृजेश चतुर्वेदी

कन्नौज।(आवाज न्यूज ब्यूरो) राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस हर साल 10 फरवरी को मनाया जाता है जिसमें 1 से 19 वर्ष तक के बच्चों को पेट से कीड़े निकालने की दवा खिलाई जाती है l इसी क्रम में शुक्रवार को तिर्वा गंज में बने उच्च माध्यमिक विद्यालय में जिलाधिकारी शुभ्रांश शुक्ल  ने बच्चों को एलबेंडाजॉल की गोली खिलाकर राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का शुभारंभ किया l

इस दौरान मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ विनोद कुमार ने बताया कि बच्चों के पेट में कृमि यानि कीड़ा है तो उसे तमाम तरह की परेशानियां हो सकती हैं। कीड़ों की वजह से बच्चों का संपूर्ण विकास नहीं हो पाता है और वह कुपोषित हो जाते हैं। जिले में 6.53 लाख  से अधिक बच्चों और किशोरों को आज इसकी दवा खिलाई जाएगी।

अगर किसी कारण वश कोई बच्चा छूट जाता है तो 13 फरवरी से 15फरवरी तक चलने वाले मॉपअप राउंड में दवा खिलाई जाएगी l

सीएमओ ने सभी विभागों और जनसामान्य से अपील करते हुए कहा कि इस अभियान को सफल बनाने में अपना योगदान दें जिससे बच्चों को दवा खिलाई जा सके और बच्चे खून की कमी का शिकार न हों l

राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल और एसीएमओ डॉ ए के जाटव ने कहा कि  पेट के कीड़े  निकल जाने से बच्चों का बेहतर शारीरिक व मानसिक विकास हो सकेगा। क्योंकि पेट में कीड़े होने के कारण बच्चे कुपोषण का शिकार हो जाते हैं। पेट में कीड़े होने की मुख्य वजह साफ पानी न पीना और दूषित व अधपके भोजन का सेवन करना है। बच्चों एवं किशोरों को पेट के कीड़ों से निजात दिलाने के लिए ही आज से यह  अभियान चलाकर एलबेंडाजॉल की गोली खिलाई जा रही है। ताकि बच्चों को सेहतमंद बनाया जा सके। कीड़े होने का मुख्य लक्षण पेट में निरंतर दर्द रहना है।

डॉ जाटव ने बताया कि एलबेंडाजॉल की  इस एक गोली से बच्चों को परजीवी कृमि से बचाया जा सकता है। क्योंकि ये कृमि आंतों में रहकर मानसिक स्वास्थ्य एवं शारीरिक विकास के लिए लिए जाने वाले आवश्यक पोषण तत्वों को अपना आहार बनाते हैं। इसकी वजह से बच्चे कुपोषित हो जाते हैं।

डॉ जाटव ने बताया कि पेट में कीड़ों के प्रमुख लक्षणों में भूख न लगना, वजन का कम होना, जी घबराना, उल्टियां होना, निरंतर पेट दर्द होना है। साथ कीड़ों की वजह से अक्सर बच्चे मिट्टी, चाक व खड़िया खाने लगते हैं।

डॉ जाटव ने बताया कि बच्चों में थोड़े-थोड़े समय पर हाथ धुलने की आदत डालें, क्योंकि छोटे बच्चे मिट्टी या गंदगी में खेलते हैं। इससे उनके हाथों के जरिए गंदगी पेट तक पहुंच जाती है। इस कारण पेट में कीड़े पनपने लगते हैं। बच्चों के नाखून समय-समय पर काटते रहें।

जिला चिकित्सालय कन्नौज में तैनात बाल रोग विशेषज्ञ डॉ सुरेश यादव ने बताया कि

छोटे बच्चों का कीड़े के संक्रमण से ग्रस्त होना आम बात है, इन्हें पिनवार्म या थ्रेडवार्म भी कहा जाता है। क्योंकि यह धागे जैसे दिखने वाले कीड़े होते हैं, जो संक्रमण होने पर लगातार बढ़ते चले जाते है। बड़े बच्चों में इसके संक्रमण का पता जल्दी चल जाता है, लेकिन छोटे बच्चों या शिशुओं में समस्या का पता लगाना थोड़ा मुश्किल होता है। जबकि पेट में कीड़े होने पर न केवल बच्चा परेशान रहता है, बल्कि उसकी ग्रोथ पर भी इसका असर पड़ता है। 

इस दौरान आरकेएसके से जिला समन्वयक रागिनी सचान सहित स्कूल के अध्यापक और बच्चे मौजूद रहे

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