नई दिल्ली।(आवाज न्यूज ब्यूरो) बीते 14 फरवरी 2019 को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे। इस हमले को लेकर जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने हाल ही में एक बड़ा खुलासा किया था। मिशन-2024 की तैयारियों में जुटी कांग्रेस पार्टी ने मलिक के बयान को भुनाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी है। अमूमन रोजाना ही कांग्रेस पार्टी, किसी न किसी बहाने ’पुलवामा’ हमले को उठा रही है। पार्टी का प्रयास है कि ’पुलवामा’ के जिन्न को लंबे समय तक जिंदा रखा जाए। मंगलवार को पार्टी से जुड़े कर्नल रोहित चौधरी (रि) और विंग कमांडर अनुमा आचार्य (रि) ने केंद्र सरकार के समक्ष पुलवामा हमले को लेकर सवालों की बौछार कर दी है। आखिर 2,500 सीआरपीएफ जवानों को एयरक्राफ्ट क्यों नहीं दिए गए। इस सवाल को लेकर कांग्रेस पार्टी ने मोदी सरकार से श्वेत पत्र प्रकाशित करने की मांग की है।
पिछले सप्ताह सत्यपाल मलिक ने अपने एक साक्षात्कार में पुलवामा आतंकी हमले को लेकर बड़ा खुलासा किया था। इसी आधार पर विपक्षी नेताओं ने केंद्र सरकार को घेरना शुरू कर दिया। राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में लिखा, ’प्रधानमंत्री जी को करप्शन से कोई बहुत नफरत नहीं है’। इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने लगभग साढ़े चार मिनट का एक वीडियो जारी कर दिया। इसमें सीआरपीएफ, पुलवामा हमले के सीन और सत्यपाल मलिक का साक्षात्कार दिखाया गया है। हालांकि जब यह हमला हुआ तो उस वक्त राजनीतिक दल, लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटे थे। कांग्रेस की तरफ से दबी जुबान में इस मामले को उठाने का प्रयास हुआ, लेकिन भाजपा के ’राष्ट्रवाद’ के आगे पार्टी का एजेंडा आगे नहीं बढ़ सका। यहां तक कि पार्टी के भीतर ही पुलवामा हमले को लेकर अलग तरह के सुर सुनने को मिले थे।
संसद सत्र के दौरान कांग्रेस ने दूसरे विपक्षी दलों को साथ लेकर अदाणी मामले पर केंद्र सरकार को घेरने की कोशिश की थी। इस बीच राहुल गांधी को गुजरात की एक अदालत से मानहानि केस में सजा हो गई। इसके बाद राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता चली गई। कांग्रेस पार्टी के अधिकांश नेता, गत शुक्रवार से ही इस मुद्दे को उठा रहे हैं। दिल्ली में पार्टी के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि अगर कांग्रेस, पुलवामा का सच लोगों तक पहुंचाने में कामयाब हो जाती है, तो न केवल विपक्षी दलों में उसके प्रभाव में इजाफा होगा, अपितु विभिन्न राज्यों के विधानसभा चुनाव और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में भी फायदा मिल सकता है।
पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल शंकर रॉय चौधरी ने जताई चिंता
कर्नल रोहित चौधरी (रि) और विंग कमांडर अनुमा आचार्य (रि) ने ’पुलवामा 2019-एक ऐसी चूक जिसका कोई जिम्मेदार नहीं’ शीर्षक से अपना बयान जारी किया है। इसमें कहा गया है कि पुलवामा हमले पर मोदी सरकार को खुफिया, सुरक्षा और प्रशासनिक विफलताओं की जवाबदेही तय करने के लिए एक श्वेत पत्र प्रकाशित करना चाहिए। 14 फरवरी 2019 को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकियों द्वारा सेना के 78 वाहनों के काफिले पर लगभग 300 किलोग्राम विस्फोटक भरी कार से किए गए हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे। पुलवामा हमले के समय जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक ने हाल ही में एक यूट्यूब चैनल को दिए अपने इंटरव्यू में चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। उसके बाद 17 अप्रैल को पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल शंकर रॉय चौधरी ने अपने एक साक्षात्कार में इस विषय पर गंभीर चिंता जताई है।
कांग्रेस ने चौधरी और मलिक के बयान पर पूछे सवाल
जनरल रॉय चौधरी कहते हैं, ’अगर सैनिकों ने हवाई मार्ग से यात्रा की होती, तो जनहानि से बचा जा सकता था’। नागरिक उड्डयन विभाग, वायु सेना या बीएसएफ के पास विमान उपलब्ध हैं। उनके अनुरोध के बावजूद 2,500 सीआरपीएफ जवानों को एयरक्राफ्ट क्यों नहीं दिए गए? मोदी सरकार ने अनुमति क्यों नहीं दी? क्या 40 लोगों की जान नहीं बचाई जा सकती थी? जनरल रॉय चौधरी ने कहा, कई कारण ’खुफिया विफलता’ की ओर इशारा करते हैं। 2 जनवरी 2019 से 13 फरवरी 2019 के बीच आतंकवादी हमले की चेतावनी वाली खुफिया सूचनाओं को नजरअंदाज क्यों किया गया।
आतंकियों ने करीब 300 किलो विस्फोटक कैसे खरीद लिया। दक्षिण कश्मीर, विशेष रूप से पुलवामा-अनंतनाग-अवंतीपोरा बेल्ट में भारी सुरक्षा के बावजूद विस्फोटक की इतनी बड़ी मात्रा कैसे छिपी रह सकती है। चौधरी कहते हैं, ’पुलवामा में जानमाल के नुकसान की प्राथमिक ज़िम्मेदारी प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली सरकार की है। उन्हें सलाह देने वाले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को भी ’खुफिया विफलता के लिए दोषी ठहराया जाना चाहिए’। एनएसए अजीत डोभाल, तत्कालीन गृह मंत्री राजनाथ सिंह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए क्या जिम्मेदारियां तय की गई हैं।
चूक से हाथ धोने की कोशिश कर रही सरकार
जनरल रॉय चौधरी को लगता है कि यह एक ऐसी चूक है जिससे सरकार हाथ धोने की कोशिश कर रही है। हमले के चार साल बाद जांच कितनी आगे बढ़ी है। जांच की प्रक्रिया पूरी होने और देश को इसके निष्कर्ष बताने में देरी क्यों हो रही है। 2011 के मुंबई और 2016 के पठानकोट जैसे पहले के हमलों के बाद पूछताछ की गई और निष्कर्ष सार्वजनिक किए गए। ऐसा सच्चाई को सामने रखने, जिम्मेदारी तय करने और भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने के लिए बेहद आवश्यक था। पुलवामा मामले में भी, इन गंभीर सवालों को ’आप चुप रहो’ और ’ये कोई और चीज है’ कहकर दबाने के बजाय इन प्रश्नों के जवाब दिए जाने चाहिए। हम मांग करते हैं कि भारत सरकार पुलवामा हमलों पर एक श्वेत पत्र प्रकाशित करे, जिसमें हमले कैसे हुए, खुफिया विफलताएं क्या थीं, सैनिकों को विमान से जाने क्यों नहीं दिया गया और किस वजह से सुरक्षा में चूक हुई, आदि बातें शामिल की जाएं। सीआरपीएफ, गृह मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और प्रधानमंत्री कार्यालय की भूमिका क्या है, विशेष रुप से दायित्वों के निर्वहन में विफल होने एवं इस पूरे मामले को दबाने में, ये भी श्वेत पत्र में शामिल हो।