काशी विश्वनाथ धाम के उद्घाटन से भारत को निर्णायक दिशा मिलेगी और उज्ज्वल भविष्य का सूत्रपात होगा: पीएम मोदी

आततायियों ने वाराणसी पर आक्रमण किए, इसे ध्वस्त करने के प्रयास किए, यहां अगर औरंगजेब आता है तो शिवाजी भी उठ खड़े होते हैं।

लखनऊ। (आवाज न्यूज ब्यूरो)  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज सोमवार को वाराणसी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन करने के बाद कहा कि काशी विश्वनाथ धाम के उद्घाटन से भारत को निर्णायक दिशा मिलेगी, उज्ज्वल भविष्य का सूत्रपात होगा। वाराणसी के दौरे पर पहुंचे पीएम मोदी ने पहले काल भैरव मंदिर में पूजा अर्चना की, फिर गंगा नदी में डुबकी लगाई। इसके बाद पवित्र गंगाजल से काशी विश्वनाथ मंदिर में जलाभिषेक किया। करीब पांच लाख वर्ग फीट में फैली काशी विश्वनाथ धाम परियोजना के पहले चरण की शुरुआत के साथ ही पीएम मोदी ने कहा, आतातायियों ने वाराणसी पर आक्रमण किए, इसे ध्वस्त करने के प्रयास किए। यहां अगर औरंगजेब आता है तो शिवाजी भी उठ खड़े होते हैं।
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में जनता को भगवान बताते हुए उनसे तीन चीजों की मांग की। उन्होंने कहा, ‘गुलामी के लंबे कालखंड ने हम भारतीयों का आत्मविश्वास ऐसा तोड़ा कि हम अपने ही सृजन पर विश्वास खो बैठे। आज हजारों वर्ष पुरानी इस काशी से मैं हर देशवासी का आह्वान करता हूं- पूरे आत्मविश्वास से सृजन करिए, इनोवेट कीजिए, इनोवेटिव तरीके से करिए। मेरे लिए जनता जनार्दन ईश्वर का ही रूप है, हर भारतवासी ईश्वर का ही अंश है, इसलिए मैं कुछ मांगना चाहता हूं। मैं आपसे अपने लिए नहीं, हमारे देश के लिए तीन संकल्प चाहता हूं- स्वच्छता, सृजन और आत्मनिर्भर भारत के लिए निरंतर प्रयास। आज हमें संकल्प लेना है, वो है आत्मनिर्भर भारत के लिए अपने प्रयास बढ़ाने का। ये आजादी का अमृतकाल है। हम आजादी के 75वें साल में हैं। जब भारत सौ साल की आजादी का समारोह बनाएगा, तब का भारत कैसा होगा, इसके लिए हमें अभी से काम करना होगा।
पीएम मोदी ने काशी की धरती से कहा, आज का भारत अपनी खोई हुई विरासत को फिर से संजो रहा है। यहां काशी में तो माता अन्नपूर्णा खुद विराजती हैं। मुझे खुशी है कि काशी से चुराई गई मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा, एक शताब्दी के इंतजार के बाद अब फिर से काशी में स्थापित की जा चुकी है।
पीएम मोदी ने काशी का उल्लेख करते हुए कहा कि ‘काशी अहिंसा, तप की प्रतिमूर्ति चार जैन तीर्थंकरों की धरती है। राजा हरिश्चंद्र की सत्यनिष्ठा से लेकर वल्लभाचार्य, रमानन्द जी के ज्ञान तक, चैतन्य महाप्रभु,समर्थगुरु रामदास से लेकर स्वामी विवेकानंद,मदनमोहन मालवीय तक, कितने ही ऋषियों,आचार्यों का संबंध काशी की पवित्र धरती से रहा है। छत्रपति शिवाजी महाराज के चरण यहां पड़े थे। रानीलक्ष्मी बाई से लेकर चंद्रशेखर आजाद तक, कितने ही सेनानियों की कर्मभूमि-जन्मभूमि काशी रही है। भारतेन्दु हरिश्चंद्र, जयशंकर प्रसाद, मुंशी प्रेमचंद,पंडित रविशंकर, और बिस्मिल्लाह खान जैसी प्रतिभाएं, इस स्मरण को कहां तक ले जाया जाए।
पीएम मोदी ने कहा ‘आततायियों ने इस नगरी पर आक्रमण किए, इसे ध्वस्त करने के प्रयास किए! औरंगजेब के अत्याचार, उसके आतंक का इतिहास साक्षी है। जिसने सभ्यता को तलवार के बल पर बदलने की कोशिश की, जिसने संस्कृति को कट्टरता से कुचलने की कोशिश की! लेकिन इस देश की मिट्टी बाकी दुनिया से कुछ अलग है। यहां अगर औरंगजेब आता है तो शिवाजी भी उठ खड़े होते हैं! अगर कोई सालार मसूद इधर बढ़ता है तो राजा सुहेलदेव जैसे वीर योद्धा उसे हमारी एकता की ताकत का अहसास करा देते हैं।
पीएम मोदी ने उन कारीगरों का भी अभिवादन किया जो कॉरिडोर के निर्माण में लगे रहे। पीएम ने कहा ‘हमारे कारीगर, हमारे सिविल इंजीनयरिंग से जुड़े लोग, प्रशासन के लोग, वो परिवार जिनके यहां घर थे सभी का मैं अभिनंदन करता हूं। इन सबके साथ यूपी सरकार, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी का भी अभिनंदन करता हूं जिन्होंने काशी विश्वनाथ धाम परियोजना को पूरा करने के लिए दिन-रात एक कर दिया।’
पीएम मोदी ने कहा ‘मैं आज अपने हर उस श्रमिक भाई-बहन का भी आभार व्यक्त करना चाहता हूं जिसका पसीना इस भव्य परिसर के निर्माण में बहा है। कोरोना के विपरीत काल में भी, उन्होंने यहां पर काम रुकने नहीं दिया। मुझे अभी अपने इन श्रमिक साथियों से मिलने का, उनका आशीर्वाद लेने का सौभाग्य मिला है। काशी तो काशी है! काशी तो अविनाशी है। काशी में एक ही सरकार है, जिनके हाथों में डमरू है, उनकी सरकार है। जहां गंगा अपनी धारा बदलकर बहती हों, उस काशी को भला कौन रोक सकता है?’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा ‘पहले यहां जो मंदिर क्षेत्र केवल तीन हजार वर्ग फीट में था, वो अब करीब 5 लाख वर्ग फीट का हो गया है। अब मंदिर और मंदिर परिसर में 50 से 75 हजार श्रद्धालु आ सकते हैं। यानि पहले मां गंगा का दर्शन-स्नान, और वहां से सीधे विश्वनाथ धाम आ सकेंगे।
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा, विश्वनाथ धाम का ये पूरा नया परिसर एक भव्य भवन भर नहीं है, ये प्रतीक है, हमारे भारत की सनातन संस्कृति का! ये प्रतीक है, हमारी आध्यात्मिक आत्मा का! ये प्रतीक है, भारत की प्राचीनता का, परम्पराओं का! भारत की ऊर्जा का, गतिशीलता का।
आप यहां जब आएंगे तो केवल आस्था के दर्शन नहीं करेंगे। आपको यहां अपने अतीत के गौरव का अहसास भी होगा। कैसे प्राचीनता और नवीनता एक साथ सजीव हो रही हैं, कैसे पुरातन की प्रेरणाएं भविष्य को दिशा दे रही हैं, इसके साक्षात दर्शन विश्वनाथ धाम परिसर में हम कर रहे हैं।
पीएम मोदी ने कहा, अभी मैं बाबा के साथ साथ नगर कोतवाल कालभैरव जी के दर्शन करके भी आ रहा हूं, देशवासियों के लिए उनका आशीर्वाद लेकर आ रहा हूं। काशी में कुछ भी खास हो, कुछ भी नया हो, उनसे पूछना आवश्यक है। मैं काशी के कोतवाल के चरणों में भी प्रणाम करता हूं। हमारे पुराणों में कहा गया है कि जैसे ही कोई काशी में प्रवेश करता है, सारे बंधनों से मुक्त हो जाता है। भगवान विश्वेश्वर का आशीर्वाद, एक अलौकिक ऊर्जा यहां आते ही हमारी अंतर-आत्मा को जागृत कर देती है।

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