कोर्ट के फैसले के बाद भी लोंगो को नहीं मिलता न्याय : राष्ट्रपति मुर्मू

“न्याय प्रणाली का लक्ष्य सामान्य व्यक्ति को न्याय दिलाना है।’’ : चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़
नई दिल्ली। (आवाज न्यूज ब्यूरो)
रांची में झारखंड हाईकोर्ट की नई बिल्डिंग के उद्घाटन-लोकार्पण के अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा है कि कई बार कोर्ट के फैसलों के बाद भी लोगों को न्याय नहीं नहीं मिलता। लोग एक-एक केस के लिए वर्षो तक लड़ाई लड़ते हैं। समय, रुपये और रातों की नींद बर्बाद होती है। कुछ मामले हाईकोर्ट में फाइनल होते हैं। कुछ मामलों में सुप्रीम कोर्ट में आखिरी फैसला होता है। जिनके पक्ष में फैसला आता है, वे खुश होते हैं। लेकिन पांच-दस साल बाद पता चलता है कि उन्हें न्याय मिला ही नहीं। यह सुनिश्चित होना चाहिए कि लोगों को वास्तविक रूप से न्याय मिले। यह कैसे होगा, इसका रास्ता मुझे नहीं मालूम। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस, कानून मंत्री, जज, वकील सब मिलकर इसका रास्ता निकालें। राष्ट्रपति ने कहा, “मैं गांव में एक ऐसी समिति से जुड़ी थी जो यह देखती थी कि कोर्ट के फैसले के बाद परिवार किस हाल में है। उस वक्त हमने यह पाया है कि कोर्ट में फैसला आने के बाद भी लोगों को न्याय नहीं मिला। फैसले पर अमल नहीं किया गया। ऐसे कई लोगों की सूची आज भी मेरे पास है, जिसे मैं चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को भेजूंगी। कोर्ट न्याय का मंदिर है, लोग इसे विश्वास के साथ देखते हैं। कोर्ट के पास यह ताकत है कि वह न्याय दे सके। लोगों को उनके अधिकार दे सकें।“
राष्ट्रपति ने समारोह में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया द्वारा हिंदी में भाषण दिए जाने पर खुशी जाहिर की। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने यह शुरुआत की है कि कई भाषाओं में काम शुरू किया है। झारखंड में यह जरूरी है। अंग्रेजी के अलावा यहां के लोग दूसरी भाषाओं में सहज हैं।
इस मौके पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ ने कहा, “न्याय प्रणाली का लक्ष्य सामान्य व्यक्ति को न्याय दिलाना है। देश में आज अनगिनत कचहरियां हैं, जहां महिलाओं के लिए शौचालय भी नहीं है। न्याय व्यवस्था को समाज के हर नागरिक तक पहुंचना होगा। तकनीक के माध्यम से हम अपने कार्य को सामान्य लोगों को जोड़ सकेंगे। सर्वोच्च न्यायालय के सात साल के मेरे निजी अनुभव में सजा होने से पहले गरीब लोग कई दिनों तक जेल में बंद रहते हैं। अगर न्याय जल्दी नहीं मिले तो उनकी आस्था कैसे बनी रहेगी। जमानत के मामलों में प्रत्यक्ष रूप में हमें इस मामले में हमें ध्यान रखना चाहिए।“
उन्होंने कहा, “जिला न्यायालय को बराबरी देने की जरूरत है। जिला न्यायालय की गरिमा नागरिकों की गरिमा से जुड़ी है। सर्वोच्च न्यायलय ने हिंदी भाषा में निर्णयों का अनुवाद किया है। मैं उच्च न्यायालय से भी यही उम्मीद करता हूं। लाइव स्ट्रीम से कोर्ट रूम को हर घर में ले जाना बेहतर है।“
कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन और झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र ने भी समारोह को संबोधित किया।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति ने झारखंड हाईकोर्ट की जिस बिल्डिंग का उद्घाटन किया, वह पूरे देश में अब तक का सबसे बड़ा न्यायिक परिसर है। 165 एकड़ क्षेत्र में फैले इस परिसर के 72 एकड़ क्षेत्र में हाईकोर्ट बिल्डिंग सहित वकीलों के लिए आधारभूत संरचना तैयार की गई है।

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