चुनाव से ऐन पहले नए मुख्य सचिव की तैनाती के खास मायने है जनाब

बृजेश चतुर्वेदी
यूपी के नये मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्रा की अखिलेश यादव सरकार से भला क्या तनातनी हो गयी थी?  साल 2012 में अखिलेश सरकार बनने के बाद चंद महीने ही दुर्गाशंकर मिश्रा को यूपी में काम करने का मौका मिला था। हैरान करने वाली बात तो ये है कि जिस दिन अखिलेश यादव ने सीएम पद की शपथ ली थी उसी दिन दुर्गाशंकर मिश्रा को उनके पद से हटाकर वेटिंग में डाल दिया गया था। आखिरकार केन्द्र में नरेन्द्र मोदी की साल 2014 में सरकार बनी और वे भारत सरकार में डेप्यूटेशन पर चले गये. अब बहुत अहम मोड़ पर उनकी यूपी में वापसी हुई है।अफसरों से सरकारों की तनातनी नयी नहीं है। सरकार बदलते ही अफसरों की किस्मत बदलने लगती है। यूपी के नये मुख्य सचिव बने दुर्गाशंकर मिश्रा का भी अखिलेश सरकार के समय यही हाल हो गया था। अखिलेश यादव के सीएम बनने से पहले वे मायावती के सबसे करीबी अफसरों में से थे। उन्हें मायावती ने मुख्यमंत्री कार्यालय का प्रमुख सचिव बना रखा था। वे इस पद पर साल 2010 से अखिलेश सरकार बनने तक रहे। 2012 के चुनाव में मायावती सरकार चली गयी और सपा की सरकार बन गयी। 15 मार्च 2012 को अखिलेश यादव ने सीएम पद की शपथ ली और इसी दिन दुर्गाशंकर मिश्रा को वेटिंग में डाल दिया गया।इसके बाद वे सिर्फ 6 महीने ही अखिलेश सरकार मे काम कर पाये। 31 अक्टूबर 2012 से वे अवकाश आदि पर चले गये। दो साल तक कामकाज से दूर रहे लेकिन, किस्मत पलटी साल 2014 में केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बनते ही दुर्गाशंकर मिश्रा डेप्यूटेशन पर भारत सरकार चले गये। मोदी सरकार ने 10 जुलाई 2014 को उन्हें खनन विभाग में संयुक्त सचिव बना दिया। कुछ दिनों बाद उन्हें शहरी विकास विभाग में तैनात कर दिया गया। तब से वे वहीं तैनात थे. अब उन्हें यूपी का मुख्य सचिव बनाया गया है। शहरी विभाग मोदी सरकार के उच्च प्राथमिकता वाले विभागों में गिना जाता है।दुर्गाशंकर मिश्रा अखिलेश सरकार में ही रहे किनारेचुनाव से ऐन पहले उन्हें यूपी का सबसे बड़ा नौकरशाह बनाया गया है। इन्हीं के नेतृत्व में चुनाव होंगे। दुर्गाशंकर मिश्रा के बारे में फिजा यही रही है कि उनका सभी सरकारों में हिसाब  ठीक ठाक रहा है।वे टकराहट मोल नहीं लेने वाले अफसरों में से नहीं रहे हैं। वे मायावती के प्रमुख सचिव रहे। भाजपा और कांग्रेस की सरकारों में भी उनकी पौ बारह रही। अब एकाएक उन्हें देश के सबसे बड़े प्रदेश का सबसे बडा नौकरशाह बना दिया गया है। इससे पहले वे अटल बिहारी बाजपेयी की केन्द्र सरकार में गृह विभाग में निदेशक थे।साल 2004 में जब केन्द्र में मनमोहन सिंह की सरकार बनी तब भी वे इसी पद पर कायम रहे। गृह विभाग के बाद मनमोहन सिंह सरकार ने उन्हें नागरिक उड्डयन विभाग में तैनाती दी। साल 2009 में वे दिल्ली से वापस लखनऊ लौट आये। दो महीने बाद ही मायावती ने उन्हें अपना प्रमुख सचिव बना लिया। बस अखिलेश सरकार में वे किनारे किनारे रहे।
अपने पूरे करियर में दो बार ही रहे डीएम
ये बहुत कम लोग जानते हैं कि आईएएस बनने के बाद दुर्गाशंकर मिश्रा की पहली तैनाती वाराणसी में हुई थी। 1984 बैच के मिश्रा असिस्टेण्ट मजिस्ट्रैट के पद पर 3 जुलाई 1985 को वाराणसी में पहली बार तैनात हुए थे। अपने पूरे करियर में वे सिर्फ दो बार ही जिलाधिकारी रहे। वे 13 जुलाई 1993 से 11 जनवरी 1994 तक सोनभद्र के डीएम रहे। 17 नवंबर 1996 से 24 अप्रैल 1998 तक आगरा के डीएम रहे।

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