नयी दिल्ली। (आवाज न्यूज ब्यूरो) उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि वह इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से किए गए मतदान और फिर आने वाली ‘वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल’ (वीवीपीएटी) की पर्ची का पुनः सत्यापन कराने के अनुरोध वाली एक गैर सरकारी संगठन की याचिका पर अगले सप्ताह सुनवाई करेगा।
एनजीओ की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि मामले की तत्काल सुनवाई की जानी चाहिए। इस पर न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि याचिका को अगले मंगलवार या बुधवार को सूचीबद्ध किया जाएगा।
वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि चुनाव नजदीक आ रहे हैं और अगर मामले पर सुनवाई नहीं हुई तो याचिका निरर्थक हो जाएगी। इस पर पीठ ने कहा कि अदालत को स्थिति के बारे में जानकारी है और अगले सप्ताह इस पर सुनवाई की जाएगी। पीठ में न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी भी हैं। न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा,‘‘ श्रीमान भूषण, यह मामला आखिरकार कितना वक्त लेगा। आप दो घंटे में दलीलें दे सकते हैं और हम मामले का निपटारा कर देंगे। ठीक है, अगले सप्ताह।’’ पिछले साल 17 जुलाई को शीर्ष अदालत ने एनजीओ ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ (एडीआर) द्वारा दायर याचिका पर भारत के निर्वाचन आयोग से जवाब मांगा था। याचिका में एनजीओ ने निर्वाचन आयोग और केंद्र को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया है कि मतदाता वीवीपीएटी के माध्यम से यह सत्यापित कर सकें कि उनका वोट ‘‘जैसा दर्ज किया गया है वैसे ही उसकी गिनती की गई है।’’
वर्तमान में, वीवीपीएटी पर्चियों के माध्यम से केवल पांच यादृच्छिक रूप से चयनित ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) के सत्यापन का नियम है। वीवीपीएटी एक स्वतंत्र वोट सत्यापन प्रणाली है जो मतदाता को यह देखने की अनुमति देती है कि उसका वोट उसी उम्मीदवार को गया है या नहीं, जिसे उसने वोट दिया है। वीवीपीएटी के जरिये मशीन से कागज की पर्ची निकलती है जिसे मतदाता देख सकता है। इस पर्ची को एक सीलबंद डिब्बे में रखा जाता है और विवाद की स्थिति में इसे खोला जा सकता है। देश में लोकसभा चुनाव सात चरण में 19 अप्रैल से प्रारंभ हो रहे हैं।
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