‘‘हमारी इकॉनमी पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है तो आखिर इतनी महंगाई क्यों है?’’
नई दिल्ली। (आवाज न्यूज ब्यूरो) लोकसभा के चैथे दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संसद के दोनों सदनों-राज्यसभा और लोकसभा को संबोधित करते हुए कहा, देश में छह दशक के बाद पूर्ण बहुमत वाली स्थिर सरकार बनी है। लोगों ने इस सरकार पर तीसरी बार भरोसा जताया है। लोग जानते हैं कि सिर्फ यही सरकार उनकी आकांक्षाओं को पूरा कर सकती है। 18वीं लोकसभा कई मायनों में ऐतिहासिक लोकसभा है। इस लोकसभा का गठन अमृतकाल के शुरुआती वर्षों में हुआ था। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर सपा अध्यक्ष और कन्नौज से सांसद अखिलेश यादव ने सवाल खड़े किए। उन्होंने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह परंपरा है और यह हमेशा होता है। हम सब सुनते हैं। वो दरअसल सरकार का भाषण होता है।
अखिलेश यादव ने कहा कि किसान क्यों दुखी है, संकट में है, अगर यह पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की कहानी बताई जा रही है? इतने बड़े पैमाने पर नौजवान बेरोजगार क्यों है? हमारी इकॉनमी अगर पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है तो आखिर इतनी महंगाई क्यों है? अग्निवीर जैसी योजना क्यों लागू की जा रही है? निवेश कहां है? कुछ लोगों के विकास को देश का विकास नहीं कहा जा सकता है।
अखिलेश ने कहा,सरकार दावा करती है कि हम दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं और जल्द ही तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहे हैं। फिर किसानों को संकट का सामना क्यों करना पड़ रहा है? युवा इतने बड़े पैमाने पर बेरोजगार क्यों हैं? चंद लोगों के विकास से देश का विकास नहीं हो सकता।
राष्ट्रपति ने कहा, यह लोकसभा देश के संविधान को अपनाने के 56वें वर्ष की भी साक्षी बनेगी। आगामी सत्रों में यह सरकार अपने कार्यकाल का पहला बजट पेश करने जा रही है। यह बजट सरकार की दूरगामी नीतियों और भविष्य के विजन का प्रभावी दस्तावेज होगा। बड़े आर्थिक और सामाजिक फैसलों के साथ-साथ इस बजट में कई ऐतिहासिक कदम भी देखने को मिलेंगे। राष्ट्रपति ने कहा, मेरी सरकार अर्थव्यवस्था के तीनों स्तंभों -विनिर्माण, सेवाएं और कृषि को बराबर महत्व दे रही है। पीएलआई योजनाओं और व्यापार करने में आसानी से बड़े पैमाने पर निवेश और रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं। पारंपरिक सेक्टर्स के साथ-साथ सनराइज सेक्टर्स को भी मिशन मोड पर बढ़ावा दिया जा रहा है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए आपातकाल मुद्दे पर भी अपनी राय रखी। राष्ट्रपति ने कहा, लोकतंत्र को कलंकित करने की हर कोशिश की सभी को निंदा करनी चाहिए। उन्होंने इंदिरा गांधी सरकार द्वारा देश पर थोपे गए आपातकाल का जिक्र करते हुए कहा कि 1975 में तत्कालीन सरकार के इस कदम से पूरे देश में हाहाकार मच गया था। देश में संविधान लागू होने के बाद भी संविधान पर अनेक बार हमले हुए। आज 27 जून है। 25 जून, 1975 को लागू हुआ आपातकाल, संविधान पर सीधे हमले का सबसे बड़ा और काला अध्याय था। राष्ट्रपति के अभिभाषण में आपातकाल का जिक्र आने के बाद विपक्षी दलों के कई नेताओं ने बयान दिया है। कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा कि उनकी स्पीच में इसका कोई जिक्र नहीं है कि चुनाव किस तरह से कराए गए। प्रधानमंत्री को कोई पछतावा नहीं है। आज जो अघोषित आपातकाल लागू है, उसका क्या?