नई दिल्ली।(आवाज न्यूज ब्यूरो) महासचिव सीताराम येचुरी अब इस दुनिया में नहीं रहे। इस खबर के आने के साथ ही सियासी गलियारों में शोक पसर गया है। पूरे देश के नेताओं ने, अलग-अलग राजनीतिक दलों ने इसपर दुःख ज़ाहिर किया है। 72 साल के येचुरी बीमार चल रहे थे उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया था।
सीपीआई (एम) के महासचिव सीताराम येचुरी का निधन हो गया है। उन्होंने 72 साल की उम्र में आखिरी सांस ली है। 19 अगस्त से ही उन्हें स्वास्थ्य सम्बन्धी शिकायतों के चलते येचुरी को दिल्ली एम्स में भर्ती करवाया गया था। जहां उनका निमोनिया का इलाज चल रहा था लेकिन उनकी हालत में सुधार होने की बजाय स्थिति और नाज़ुक होती गई। सांस लेने में कठिनाई होने पर येचुरी को आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका।
सीताराम येचुरी के निधन पर सत्ता पक्ष से लेकर विपक्ष के सभी नेताओं ने शोक जताया है। येचुरी के राजनीतिक करियर की बात करें तो 1974 में शुरू हुआ जब वो स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया यानी एसएफआई में शामिल हुए। और एक साल बाद, उन्होंने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) का दामन थम लिया। 1975 में आपातकाल के दौरान येचुरी को गिरफ़्तार भी किया गया था, उस समय वे जेएनयू में छात्र थे। एक युवा नेता के तौर पर राजनीति में कदम रखने वाले येचुरी का सफर कई उतार-चढ़ाव से गुज़रा। 19 अप्रैल 2015 को विशाखापत्तनम में उन्हें सीपीआई (एम) के पांचवें महासचिव के रूप में चुना गया।
येचुरी ने लोगों के मौलिक अधिकारों के लिए हमेशा आवाज़ उठाई है और पार्टी ने भी उन्हें भाईचारे के प्रतिनिधि के रूप में नियुक्त किया। उन्हें वामपंथी राजनीति का प्रमुख चेहरा माना जाता है। येचुरी ने ही 2004 में बनी न्च्। सरकार का कॉमन मिनिमम प्रोग्राम तैयार किया था।
Check Also
सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कार्यवाही को बताया असंवैधानिक, अफसर जज नहीं बन सकते,सरकार को लगाई कडी फटकार
नई दिल्ली।(आवाज न्यूज ब्यूरो) भाजपा सरकारों की बुलडोज़र कार्रवाई को लेकर चर्चा तेज़ हैं। सुप्रीम …