हरियाणा विधानसभा चुनाव : प्रशासन ने कसी कमर, आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने वालों की खैर नहीं!

नई दिल्ली। (आवाज न्यूज ब्यूरो) हरियाणा के मुख्य निर्वाचन अधिकारी पंकज अग्रवाल ने कहा कि आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन और मतदाताओं को प्रलोभन देने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। हाल ही में हुए लोकसभा के आम चुनाव के दौरान आयोग को ऐसे उदाहरण मिले, जहां कुछ राजनीतिक दल और उम्मीदवार ऐसी गतिविधियों में संलिप्त रहे हैं, जो वैध सर्वेक्षणों और लाभार्थी-उन्मुख योजनाओं और व्यक्तिगत लाभों के लिए व्यक्तियों को पंजीकृत करने के पक्षपातपूर्ण प्रयासों के बीच की रेखा को धुंधला कर देते हैं। ये प्रयास सर्वेक्षण करने, सरकार की मौजूदा योजनाओं के बारे में जागरूकता पैदा करने, संभावित व्यक्तिगत लाभ योजनाओं आदि से संबंधित पार्टी घोषणापत्र के बारे में जागरूकता पैदा करने की आड़ में किए जाते हैं।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि समाचार पत्रों में विज्ञापनों के माध्यम से व्यक्तिगत मतदाताओं से मोबाइल पर मिस्ड कॉल देकर या टेलीफोन नंबर पर कॉल करके लाभ के लिए स्वयं को पंजीकृत करने का आह्वान किया जाता है। इसके अलावा, संभावित व्यक्तिगत लाभों का ब्यौरा देने वाले पैम्फलेट के रूप में गारंटी कार्ड का वितरण, साथ में एक फार्म संलग्न करना जिसमें मतदाताओं के नाम, आयु, पता, मोबाइल नंबर, बूथ संख्या, निर्वाचन क्षेत्र का नाम और संख्या आदि जैसे विवरण मांगे जाते है। यदि कोई ऐसा करता पाया जाता है तो जनप्रतिनिधि अधिनियम, 1951 की धारा 123 (1) और भारतीय न्याय संहिता की धारा 171 के तहत भी कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने बताया कि व्यक्तिगत मतदाताओं को खुद को पंजीकृत करने के लिए आमंत्रित करने/आह्वान करने का कार्य, मतदाता और प्रस्तावित लाभ के बीच एक संबंध की आवश्यकता की धारणा बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया प्रतीत होता है और इसमें एक विशेष तरीके से मतदान के लिए क्विड-प्रो-क्वो व्यवस्था उत्पन्न करने की क्षमता है जिससे यह प्रलोभन की ओर अग्रसर होता है। इसके अलावा, कभी-कभी ऐसे पैम्फलेट पर प्रकाशक का नाम नहीं होता है जो जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 127 ए का सीधा उल्लंघन है।
श्रीअग्रवाल ने बताया कि जबकि आयोग यह स्वीकार करता है कि सामान्य और सामान्य चुनावी वादे अनुमति के दायरे में हैं, ऐसे विशिष्ट और व्यक्तिगत लेन-देन के बारे में यह पाया गया हैं कि यह मतदाता को लुभाने की प्रकृति का लेन-देन है, जिसका उद्देश्य व्यक्तिगत मतदाताओं को भविष्य के लाभ के बदले में एक विशेष तरीके से मतदान करने के लिए लुभाना है जो कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 123(1) के तहत निषिद्ध गतिविधि है। यह भारतीय न्याय संहिता की धारा 171 का भी उल्लंघन है जो रिश्वतखोरी से संबंधित है, जो चुनावों से संबंधित अपराध है। इसलिए, आयोग सभी राजनीतिक दलों व उम्मीदवारों या उनके एजेंटों या किसी भी अन्य व्यक्ति को निर्देश देता है कि वे किसी भी विज्ञापन (प्रिंट या डिजिटल स्पेस में), पर्चे, वेबसाइट, वेब या मोबाइल एप्लिकेशन, टेक्स्ट या सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म (व्हाट्सएप आदि) संदेशों, मिस्ड कॉल, फॉर्म के वितरण, या ऑफ लाइन सर्वेक्षण फॉर्म या डिजिटल सर्वेक्षण आदि के बहाने व्यक्तिगत डेटा एकत्र करके लाभार्थी-उन्मुख योजनाओं के लिए व्यक्तियों को पंजीकृत करने से जुड़ी किसी भी गतिविधि को तुरंत बंद कर दें। यदि उल्लंघन किया जाता है तो जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 123 (1) और भारतीय न्याय संहिता की धारा 171 के तहत कार्रवाई की जाएगी। श्री अग्रवाल ने बताया कि यदि ऐसा कोई उल्लंघन पाया जाता है, तो जिला निर्वाचन अधिकारी वैधानिक प्रक्रिया के अनुसार कार्रवाई करेगा। इस बारे जिला निर्वाचन अधिकारियों को निर्देश जारी कर दिए गए है।

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