‘‘यश भारती साहित्य रत्न डा0 रामकृष्ण राजपूत’’
फर्रुखाबाद।(आवाज न्यूज ब्यूरो) जिले के मोहम्मदाबाद विधानसभा क्षेत्र से सात बार विधायक एंव पूर्व मंत्री बाबू राजेन्द्र सिंह यादव ने जनता के मध्य अपनी प्रभावी व अविस्मर्णीय छाप छोड़ी है।
यश भारती साहित्य रत्न डा0 रामकृष्ण राजपूत ने अपने संस्मरण बताते हुए कहा कि मुझे सन् 1960 का वर्ष स्मरण हो रहा है। जब मैने बाबू राजेन्द्र सिंह यादव को प्रथम बार देखा था। उस समय देश-प्रदेश और जनपद फर्रुखाबाद मेें शोशलिस्ट पार्टी,प्रजा शोशलिस्ट पार्टी और सयुंक्त शोशलिस्ट पार्टी का दलीय और विधायिका के रुप में सुद्रढ संगठन था। जो कि सत्ताधारी काग्रेंस पार्टी से टक्कर लेने की स्थिति में था। मैने राजेन्द्र सिंह यादव को लाल टोपी में देखा था। उनकी नई बस्ती में जगत सिहं यादव के यहां ससुराल थी,अब पूर्व मंत्री नरेन्द्र सिंह यादव की ननिहाल है। भूड़नगरिया (राजेन्द्र नगर) से कक्षा 8 उत्तीर्ण करके उनके बेटे 6 बार के विधायक एंव 2 बार के मंत्री नरेन्द्र सिंह यादव कक्षा 9 में फर्रुखाबाद स्थित राजकीय इण्टर कालेज में मेरे सहपाठी बने थे। नागरिक शास्त्र के तत्कालीन अध्यापक कपूरीलाल अग्निहोत्री को मैं नरेन्द्र सिंह के पिताजी तथा शोशलिस्ट पार्टी के बारे में बातचीत करता सुनता था। यह वहीं जिला स्कूल है जहां सन् 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में नबाब इकबाल मंद खां को अंग्रेजो के द्वारा पीपल के पेड़ पर फांसी दी गई थी। उनके मकबरे के ध्वंसावशेष उनकी देशभक्त की कहानी वर्णित कर रहे हैं। उनकी स्मृति को ताजा करने वाला सुनहरी मस्जिद के सामने हरिहट महल (नबाव की अंग्रेज पत्नी) बना हुआ है।
राजनैतिक संदर्भ में मुझे एक अन्य घटना का स्मरण हो रहा है जब बाबू जी के सामने मध्य प्रदेश (मूलतः फर्रुखाबाद) की बुआ जी विद्यावती राठौर प्रत्याशी थी इस अति कड़ी प्रतिस्पर्धा में म्युनिस्पल इण्टर कालेज फतेहगढ़ में चुनावी मतगणना हो रही थी। द्वार के उत्तरी भाग में कचहरी तिराहे तक तथा दक्षिणी भाग मे कोतवाली तक दोनों पक्षों के सशक्त समर्थक उपस्थित थे। इसमें अनहोनी की आंशका भी थी। इस चुनाव में बाबू जी ने विजय प्राप्त की और शांतिपूर्वक माहौल में निबट गया।
बाबू जी के बारे में आम जनता में चर्चा रहती थी कि अपने यहां आने वाले किसी भी व्यक्ति को निराश नहीं करते थे। विनम्रता और स्नेह के साथ यथोचित सम्मान/स्नेह करते थे। काम हो पाये य नहीं लेकिन अपने सामर्थ से उसे पूरा करने की कोशिश करते थे। आम जनता से परिवार केे सदस्य की तरह घुल-मिलकर रहते थे। और जनता के मध्य आसानी से उपलब्ध होकर आधिकाधिक समय देते थे। उनके होनहार और यशस्वी पुत्र पूर्व मंत्री एंव विधायक नरेन्द्र सिंह यादव को उपरोक्त गुण अपने पिता श्री से विरासत में मिले। इन्ही गुणों के चलते पिता-पुत्र विधायक बनकर कीर्तिमान के साक्षी बने। बाबू जी का यह कीर्तिमान अभी तक कोई भी नहीं तोड़ सका।
सन् 1985 का वर्ष था और एटा के निवासी रघुनन्दन सिहं यादव शिक्षा विभाग में निर्देशक थे,मैने अपनी राजकीय सेवा के स. प. अधीनस्थ राजपत्रित से परि. अधिकारी द्वितीय श्रेणी के राजपत्रित अधिकारी बनने का एक सिफारिशी पत्र बाबूजी से लिखने का अनुरोध किया और उन्हेंाने मेरे अनुरोध को स्वीकार कर बिना देरी किए ही सिफारिशी पत्र लिख दिया। ऐसी कई अन्य निजी घटनाएँ भी जुड़ी हुई हैं जो कि उनकी महानता को प्रमाणित करती हैं।
एक कीर्तिमान और है बाबू जी के नाम। बात सन् 1977 के सामान्य विधान सभा के चुनावों की है। जनपद के गोहम्मदाबाद विधानसभा से सम्पूर्ण विपक्षी दलों द्वारा गठित की गई जनता पार्टी ने रामकृष्ण यादव एडवोकेट और राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (आई) के प्रत्याशी बने बाबूजी राजेन्द्र सिंह यादव। इलाहाबाद मण्डल के सभी जिलों (इलाहाबाद, फतेहपुर, कानपुर नगर, कानपुर देहात, इटावा औऔर फर्रुखाबाद) में केवल बाबूजी ने विजयी होकर कांग्रेस पार्टी की इज्जत बरकरार रखी थी जबकि पूरे मण्डल में काग्रेस पार्टी के सभी प्रत्याशी पराजित हो गए थे, ऐसी लोकप्रियता भी बाबूजी की।
जनपद में अवधेश सिंह के नाम से खिमसेपुर चौराहा का अवधेश नगर, महेशचन्द्र शर्मा के नाम से मोहम्मदाबाद का महेश नगर, शहीद राम स्वरूप मिश्रा के नाम से मेरापुर का रामस्वरूप नगर, ब्रहमदन द्विवेदी के नाम से लोहाई रोड का नाम ब्रह्मदत द्विवेदी मार्ग और महादेवी वर्मा के नाम से रेलवे रोड का महादेवी वर्मा मार्ग तथा इसी प्रकार से जनपद में अन्य स्थानों का नामकरण किया गया, लेकिन किसी भी स्थान का नाम व्यवहारिक रूप में सफल नहीं हो सका। केवल बाबू राजेन्द्र सिंह के नाम से भूड़नगरिया का नाम ही राजेन्द्र नगर रखा गया और यह स्थान आज भी सार्वजनिक, व्यक्तिगत औद राजकीय अभिलेखों में मान्यता और लोकप्रियता दोनो प्राप्त की। ऐसे कीर्तिमानों का कोई भी जनपद में अन्य दूसरा नहीं है।
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