संभल हिंसा पर अखिलेश यादव का बडा बयान : ध्यान भटकाने के लिए रची गई साजिश

लखनऊ।(आवाज न्यूज ब्यूरो) उत्तर प्रदेश के संभल में आज सुबह उस समय अराजकता फैल गई जब अदालत के आदेश पर मुगलकालीन जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के कारण स्थानीय लोगों और पुलिस के बीच हिंसक झड़प हुई, जिसमें 3 लोगों की मौत हो गई। मस्जिद इस दावे को लेकर विवादास्पद कानूनी लड़ाई के केंद्र में है कि इसे एक हिंदू मंदिर की जगह पर बनाया गया था। समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश के संभल में मस्जिद सर्वेक्षण के दौरान हुई हिंसा पर भाजपा पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि यह घटना चुनावी मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए राज्य सरकार और प्रशासन की साजिश का हिस्सा थी। अखिलेश का दावा है कि भाजपा जानबूझकर अराजकता पैदा कर रही है ताकि उपचुनाव में हुई धांधली पर कोई चर्चा न हो सके।
संभल में मस्जिद सर्वेक्षण के दौरान बढ़ा तनाव
संभल जिले में मुगलकालीन मस्जिद के दूसरे सर्वेक्षण के दौरान तनाव बढ़ गया, जिसके चलते पुलिस को आंसू गैस और बल प्रयोग करना पड़ा। स्थानीय लोगों द्वारा कथित तौर पर पथराव करने के बाद स्थिति और गंभीर हो गई। अखिलेश यादव ने सवाल उठाया कि जब एक सर्वेक्षण पहले ही हो चुका था, तो दोबारा सर्वेक्षण की जरूरत क्यों पड़ी? उन्होंने इसे “बिना तैयारी के और भावनाएं भड़काने” वाला कदम बताया।
चुनावी नतीजों से जोड़कर लगाए आरोप
अखिलेश यादव ने इस घटना को उपचुनाव नतीजों से जोड़ते हुए कहा कि यह भाजपा की “चुनावी कदाचार” से ध्यान भटकाने की कोशिश है। उन्होंने कहा कि पुलिस और प्रशासन ने निष्पक्षता से काम नहीं किया और चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश की। उपचुनाव में सपा केवल दो सीटें जीत सकी, जबकि भाजपा और उसके सहयोगियों ने सात सीटों पर जीत हासिल की। यादव ने इन नतीजों के बाद प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठाए?
प्रशासन और भाजपा को चेतावनी
अखिलेश यादव ने चेतावनी देते हुए कहा कि इस तरह की घटनाएं न केवल समाज में तनाव बढ़ाएंगी बल्कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया को भी कमजोर करेंगी। उन्होंने राज्य सरकार से इस मामले की निष्पक्ष जांच कराने और दोनों पक्षों को सुने बिना लिए गए फैसलों पर पुनर्विचार करने की मांग की। साथ ही, यादव ने अपनी पार्टी के समर्थकों से संयम बनाए रखने की अपील की और चुनावी धांधली के खिलाफ सशक्त तरीके से आवाज उठाने का आश्वासन दिया। इस घटना ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक नई बहस को जन्म दे दिया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रशासन और भाजपा इस मामले पर क्या कदम उठाते हैं और अखिलेश यादव के इन आरोपों का क्या जवाब देते हैं?

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