लखनऊ। (आवाज न्यूज ब्यूरो) समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सपा डेलिगेशन को संभल नहीं जाने देने पर योगी सरकार पर निशाना साधा है। अखिलेश ने कहा कि प्रतिबंध लगाना भाजपा सरकार के शासन, प्रशासन और सरकारी प्रबंधन की नाकामी है। ऐसा प्रतिबंध अगर सरकार उन पर पहले ही लगा देती, जिन्होंने दंगा-फसाद करवाने का सपना देखा और उन्मादी नारे लगवाए तो संभल में सौहार्द-शांति का वातावरण नहीं बिगड़ता।
सपा सुप्रीमो ने आगे कहा कि बीजेपी जैसे पूरी की पूरी कैबिनेट एक साथ बदल देती है, वैसे ही संभल में ऊपर से लेकर नीचे तक का पूरा प्रशासनिक मंडल निलंबित करके उन पर साजिशन लापरवाही का आरोप लगाते हुए सच्ची कार्रवाइ करके बर्खास्त भी करना चाहिए और किसी की जान लेने का मुकदमा भी चलना चाहिए। बीजेपी हार चुकी है।
माता प्रसाद की अगुवाई में आज सपा का प्रतिनिधिमंडल संभल जाने वाला था लेकिन पुलिस ने जाने से मना कर दिया। डीएम ने वहां धारा-163 लगा दी। पुलिस ने माता प्रसाद को संभल जाने से रोक दिया। माता प्रसाद की गाड़ी के आगे पीछे पुलिस ने गाड़ी लगाकर रास्ता को ब्लाक कर दिया। इसके बावजूद समाजवादी पार्टी के नेता संभल जाने की जिद पर अड़े थे। मगर पुलिस ने नहीं जाने दिया। इसके बाद माता प्रसाद पांडे ने अखिलेश यादव से फोन पर बात की। माता प्रसाद ने कहा कि वह पार्टी दफ्तर जाना चाहते हैं लेकिन पुलिस नहीं जाने दे रही। उन्होंने कहा कि अगर मीडिया संभल जा सकती है कि तो मैं क्यों नहीं? सपा का 15 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल आज संभल जाने वाला था।
संभल में जो हुआ है उसकी सच्चाई सामने आए इसके लिए समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने एक प्रतिनिधिमंडल मेरे नेतृत्व में गठन किया गया था। डीएम ने संभल जाने से रोका है। माता प्रसाद को जाने से रोकने के लिए पुलिस ने गाड़ी लगा दी। पुलिस ने उनके घर को घेर लिया था। माता प्रसाद ने कहा कि हम लोग चुपके से नहीं जाएंगे। मैं मृतकों के परिजनों से मिलने जा रहा था। कहीं भी जाना मेरा मौलिक अधिकार है। हम किसी को भड़काते नहीं हैं। जब मीडिया जा सकती है कि हम तो क्यों नहीं? पुलिस ने बिना किसी नोटिस के उन्होंने मेरे आवास के बाहर पुलिस तैनात कर दी।
जिला प्रशासन ने संभल में निषेधाज्ञा लागू कर रखी है और 30 नवंबर तक वहां बाहरी लोगों के प्रवेश पर रोक है। दरअसल, संभल में अदालत के आदेश पर 19 नवंबर को जामा मस्जिद के पहली बार किए गए सर्वेक्षण के बाद से ही तनाव की स्थिति बनी हुई है। अदालत ने यह आदेश जिस याचिका पर दिया उसमें दावा किया गया है कि जिस जगह पर जामा मस्जिद है वहां पहले कभी हरिहर मंदिर था। 24 नवंबर को मस्जिद का दोबारा सर्वेक्षण किए जाने के दौरान हिंसा भड़क उठी थी। इस दौरान प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प में चार लोगों की मौत हो गई थी तथा 25 अन्य घायल हुए थे।
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