‘‘बिजली के निजीकरण के फैसले के खिलाफ देशभर के बिजली कर्मचारी और इंजीनियर लामबंद’’
‘‘बिजली के निजीकरण मामले में पीएमओ को भेजा पत्र, सीबीआई जांच की मांग’’
लखनऊ। (आवाज न्यूज ब्यूरो) दक्षिणांचल व पूर्वांचल विद्युत वितरण निगमों को विघटित कर बनने वाली पांच नई कंपनियों के अध्यक्ष मुख्य सचिव होंगे। कंपनियां डिस्कॉम की प्रापर्टी का किसी तरह का उपभोग नहीं कर पाएंगी। नई कंपनियों को लेकर शनिवार को पावर कॉर्पोरेशन की ओर से जारी बयान में बताया गया है कि मुख्य सचिव के अध्यक्ष होने से अधिकारियों, कर्मचारियों, किसानों एवं उपभोक्ताओं का हित सुरक्षित रहेगा। रिफॉर्म में शामिल होने वाली निजी कंपनियों के लिए बिडिंग पूरी तरह खुली और पारदर्शी होगी। इस प्रक्रिया में कंपनियों को जमीन का स्वामित्व नहीं दिया जाएगा। जमीन का स्वामित्व पावर कॉर्पोरेशन एवं राज्य सरकार का ही रहेगा। कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष डॉ. आशीष कुमार गोयल ने बताया कि इलेक्ट्रिसिटी एक्ट-2003 की धारा-133 में स्पष्ट है कि किसी भी कार्मिक की छंटनी नहीं होगी।
बिजली के निजीकरण के फैसले के खिलाफ देशभर के बिजली कर्मचारी और इंजीनियर लामबंद हो गए हैं। नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर ने पूर्वांचल व दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम और चंडीगढ़ पावर डिपार्टमेंट को निजी हाथों में सौंपने के खिलाफ 6 दिसंबर को पूरे देश में विरोध प्रदर्शन करने का फैसला लिया है। इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुभाष लांबा ने चेतावनी दी है कि अगर बिजली के हितधारकों (कर्मचारियों एवं उपभोक्ताओं) के शांतिपूर्ण एवं लोकतांत्रिक तरीके से किए जा रहे विरोध की अनदेखी करके जल्दबाजी में निजीकरण के फैसले को अमलीजामा पहनाने का प्रयास किया तो जिस दिन निजी कंपनी टेकओवर करेगी उसी दिन कर्मचारी और इंजीनियर कार्य बहिष्कार कर सड़कों पर उतरने पर मजबूर होंगे। इसकी पूरी जिम्मेदारी यूपी सरकार व चंडीगढ़ प्रशासन की होगी।
पूर्वांचल एवं दक्षिणांचल बिजली निगम को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल में चलाने की तैयारी का मामला प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) पहुंच गया है। उपभोक्ता परिषद ने पत्र भेजकर आरोप लगाया है कि पावर कॉर्पोरेशन प्रबंधन ने दोनों निगमों में केंद्र सरकार से रिवैम्प्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम (आरडीएसएस) में करीब 20415 करोड़ रुपया खर्च कर दिए। अब इन दोनों निगमों को निजी हाथों में देने की तैयारी है। ऐसे में पूरे मामले की सीबीआई जांच कराई जाए, ताकि गलत तरीके से रणनीति बनाने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई हो सके। वहीं, उपभोक्ता परिषद सोमवार को विद्युत नियामक आयोग में याचिका भी दाखिल करेगी। परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने पीएम नरेंद्र मोदी को भेजे पत्र में पावर कॉर्पोरेशन की ओर से उपभोक्ताओं के हितों की अनदेखी का आरोप लगाया है।