‘‘राहुल गांधी की आंधी में बह जाएगी योगी सरकार’’
‘‘राहुल को रोककर गच्चा खा गयी योगी सरकार, बहुत बड़ी राजनीतिक गलती कर गये बीजेपी के रणनीतिकार’’
नई दिल्ली।(आवाज न्यूज ब्यूरो) खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे ऐसा ही कुछ हो रहा है उत्तर प्रदेश में। संभल हिंसा पर यूपी सरकार की लगातार किरकिरी हो रही है। वही राहुल गांधी की संभल यात्रा ने इस मुददे को राष्ट्रीय मुददा बना दिया है। राहुल गांधी जिस रास्ते से संभल रवाना हुए थे उस रास्ते को छावनी में तब्दील किया गया।
यही पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के कद्दावर नेताओं को नजरबंद कर दिया गया। प्रदेश अध्यक्ष अजय राय और विधानमंडल दल की नेता भी हाउस अरेस्ट हैं। यही नहीं कल जिन नेताओं ने हिंसा में जेल में बंद लोगों से मुलाकात की थी उस मुलाकात से सरकार चिढ़ गयी और मुरादाबाद के जेलर और डिप्टी जेलर को निलंबित कर दिया गया है। कमीशनर मुरादाबाद ने जेल अधीक्षक के खिलाफ कार्रवाई के लिए शासन को पत्र लिखा है ।
संसद से सड़क तक माहौल गरमाया
कल सदन के भीतर इस मुददे पर गरमा-गरमी दिखी और आज सड़कों पर। गाजियाबाद से संभल तक के रास्तों पर बैरेकेडिंग दिखी, लोगों की जांच हुई। खुफिया तंत्र यह पता लगाने के लिए मुस्तैद रहा कि कहीं राहुल गांधी किसी और रास्ते से तो संभल जाने का प्रोग्राम नहीं बना रहे। कुल मिलाकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति में इस समय राहुल गांधी ही दिख रहे हैं। उन्होंने बहुत गहरी चोट की है और पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सियासत को मथ दिया है।
कई सांसदों ने किया लोकसभा से वॉकआउट
विपक्ष के नेता राहुल गांधी को हिंसा प्रभावित संभल जाने से रोके जाने पर कुछ विपक्षी सांसदों ने लोकसभा से वॉकआउट किया। राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा और अन्य कांग्रेस नेता सुबह संभल जाने के लिए गाजीपुर सीमा पर पहुंचे थे। वहां भारी पुलिस बल की तैनाती के बीच उन्हें आगे नहीं जाने दिया गया।
राहुल-प्रियंका गांधी को रोकने पर भड़के अखिलेश
पहले सपा का डेलीगेशन और अब कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को रोके जाने को लेकर सपा प्रमुख अखिलेश यादव भडक़ गए हैं। अखिलेश ने कहा कि उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार में पुलिस सिर्फ लोगों को फंसाने का काम कर रही है, न्याय दिलाने का नहीं। अखिलेश यादव ने कहा, प्रशासन ने भाजपा के इशारे पर इस घटना को अंजाम दिया। किसी भी पार्टी के नेता को वहां जाने नहीं दिया जा रहा है। वे क्या छिपाना चाहते हैं? प्रशासन की भाषा देखिए। क्या लोकतंत्र में अधिकारियों को इस तरह का व्यवहार और भाषा की अनुमति दी जा सकती है? पता नहीं वे 10 तारीख तक क्या-क्या छिपाएंगे और कितना दबाव बनाएंगे।
गाजीपुर बॉर्डर पर जाम ही जाम
गाजीपुर बॉर्डर पर सुबह से ही गाडिय़ों की लंबी कतार देखने को मिल रही है। यहां पर पुलिस द्वारा की गई बैरिकेडिंग की वजह से जाम की समस्या से लोगों को परेशान होना पड़ रहा है। सांसद राहुल गांधी के संभल दौरे से पहले नाकेबंदी की गई है। दरअसल, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी उत्तर प्रदेश के संभल हिंसा में मारे गए लोगों के परिजनों से मुलाकात करने के इरादे से दिल्ली से रवाना हुए। दौरे से पहले दिल्ली गाजीपुर बॉर्डर पर सुरक्षा व्यवस्था सख्त कर दी गई है। सुरक्षा व्यवस्था की वजह से गाजीपुर बॉर्डर पर लंबा जाम लग चुका है।
प्रशासन मामले को दबाने की कोशिश कर रहा : डिंपल
समाजवादी पार्टी सांसद डिंपल यादव ने संभल की घटना पर कहा, कहीं न कहीं प्रशासन मामले को दबाने की कोशिश कर रहा है। इसीलिए अब तक स्थिति सामान्य नहीं हो पा रही है। उन्हें पता है कि अगर कोई प्रतिनिधिमंडल जाकर लोगों से मिलेगा तो सच्चाई सामने आ जाएगी। वे चाहते हैं कि जितनी देरी होगी, भाजपा के लिए उतना ही अच्छा होगा।
कांग्रेस नेता आराधना मिश्रा को लखनऊ में किया गया हाउस अरेस्ट
लखनऊ में कांग्रेस विधानमंडल दल की नेता आराधना मिश्रा मोना को हाउस अरेस्ट किया गया है। उन्हें 9ः30 पर संभल के लिए रवाना होना था। इसके पहले, राहुल गांधी के प्रस्तावित कार्यक्रम को देखते हुए कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय, संगठन महासचिव अनिल यादव सहित आदि नेता मंगलवार शाम दिल्ली के लिए रवाना हो गए हैं। यह सभी राहुल गांधी के साथ संभल जाएंगे। कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने बताया कि पुलिस प्रशासन की ओर से उन्हें रोकने का प्रयास किया गया तो रास्ते में ही धरना-प्रदर्शन शुरू कर देंगे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के पदाधिकारी हर स्तर पर संघर्ष के लिए तैयार हैं। बता दें कि सोमवार को ही कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय पार्टी नेताओं के साथ संभल जाने की तैयारी में थे। किंतु पुलिस-प्रशासन ने उन्हें प्रदेश मुख्यालय में ही हाउस अरेस्ट कर लिया था। जबकि अन्य नेताओं व कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेकर ईको-गार्डेन भेजा गया था।
राहुल की यात्रा ने दिखाया सकारात्मकता का दृष्टिकोण
कांग्रेस नेता राहुल गांधी की यात्रा ने सकारात्मक दृष्टिकोण को जन्म दिया है। राहुल गांधी की यात्रा को एक समन्वय और सामूहिक शांति की पहल के रूप में देखा जा सकता है, जो न केवल हिंसा के बाद के माहौल को सुधारने का प्रयास करती है, बल्कि समाज में एकता और भाईचारे का संदेश भी देती है। यात्रा ने यह संदेश भी दिया कि राजनीतिक नेताओं का कर्तव्य केवल सत्ता में बने रहने तक सीमित नहीं है, बल्कि समाज के विभिन्न वर्गों के बीच सामूहिक शांति और सहिष्णुता को बढ़ावा देना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। उन्होंने यह साबित किया कि संघर्ष और असहमति के बावजूद, समाज के हर वर्ग को एक साथ लाने के लिए एक साझा मंच की आवश्यकता होती है। उनकी यात्रा के दौरान, उन्होंने स्थानीय लोगों से मिलकर उनके दुख और दर्द को सुना और उनसे यह वादा किया कि वह हिंसा के कारण पैदा हुए तनाव को खत्म करने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।