पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का स्मारक बनने की प्रक्रिया शुरु : केंद्र ने परिवार को दिए ऑप्शन

नई दिल्ली। (आवाज न्यूज ब्यूरो)  पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का निधन 26 दिसंबर को 92 साल की उम्र में दिल्ली के एम्स अस्पताल में हो गया था। वहीं 29 दिसंबर को मनमोहन सिंह की अस्थियों को मजनू का टीला स्थित गुरुद्वारे में रखा गया, जहां शबद कीर्तन, पाठ और अरदास की गई। इसके बाद उनके परिवार ने अस्थियों को यमुना नदी में विसर्जित किया। बता दें कि अब उनके निधन के बाद उनकी याद में स्मारक बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। केंद्र सरकार ने स्मारक के लिए कुछ संभावित स्थानों के सुझाव दिए हैं और उनके परिवार को इन स्थानों में से एक का चयन करने के लिए कहा है, ताकि निर्माण कार्य शुरू हो सके।
ट्रस्ट का गठन जरूरी
दरअसल, स्मारक के निर्माण के लिए पहले एक ट्रस्ट का गठन करना जरूरी होगा। नई नीति के तहत, स्मारक के लिए जमीन केवल ट्रस्ट को ही आवंटित की जा सकती है। ट्रस्ट का गठन होने के बाद ही स्मारक बनाने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सकता है। ट्रस्ट भूमि के लिए आवेदन करेगा, और एक बार भूमि आवंटित होने के बाद, सीपीडब्ल्यूडी (केंद्रीय लोक निर्माण विभाग) के साथ एमओयू (सहमति पत्र) पर हस्ताक्षर किए जाएंगे।
राजघाट और अन्य स्थानों का दौरा
सूत्रों के अनुसार, डॉ. मनमोहन सिंह के स्मारक के लिए दिल्ली में राजघाट, राष्ट्रीय स्मृति स्थल या किसान घाट के पास एक से डेढ़ एकड़ जमीन की संभावना हो सकती है। शहरी विकास मंत्रालय के अधिकारियों ने इन स्थानों का दौरा भी किया है। इसके अलावा, यह भी संभावना जताई जा रही है कि डॉ. मनमोहन सिंह का स्मारक नेहरू-गांधी परिवार के नेताओं की समाधि के पास बनाया जा सकता है, जहां पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और संजय गांधी की समाधि स्थित हैं।
पूर्व प्रधानमंत्री का निधन और शोक
डॉ. मनमोहन सिंह का निधन 26 दिसंबर को हुआ था, जब वह 92 वर्ष के थे और उम्र संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे। उनका अंतिम संस्कार 28 दिसंबर को दिल्ली के निगमबोध घाट पर किया गया। उनके निधन पर भारत और विदेशों के नेताओं ने शोक व्यक्त किया।
राष्ट्रीय शोक और अस्थि विसर्जन
आपको बता दें कि भारत सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री के निधन पर सात दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया था। 29 दिसंबर को मनमोहन सिंह की अस्थियों को मजनू का टीला स्थित गुरुद्वारे में रखा गया, जहां शबद कीर्तन, पाठ और अरदास की गई। इसके बाद उनके परिवार ने अस्थियों को यमुना नदी में विसर्जित किया। इस प्रकार, डॉ. मनमोहन सिंह की याद में स्मारक बनाने की प्रक्रिया को लेकर कदम उठाए जा रहे हैं, और जल्द ही उनके योगदान को याद करते हुए एक स्मारक स्थापित किया जाएगा।

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