बृजेश चतुर्वेदी
कन्नौज। (आवाज न्यूज ब्यूरो) जिलाधिकारी शुभ्रान्त कुमार शुक्ल की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट परिसर में सूरजमुखी एवं मूंगफली की खेती को बढ़ावा दिये जाने के दृष्टिगत एक दिवसीय कार्यशाला/किसान मेला/कृषि प्रदर्शनी का आयोजन किया गया।
जिलाधिकारी ने कहा कि जनपद में गतवर्ष सूरजमुखी की खेती के लिए प्रशिक्षण एवं कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। लगभग 50 हेक्टेयर की भूमि में इसका ट्रायल भी कराया गया। इस बार दो सौ हेक्टेयर मेें सूरजमुखी की खेती कराने हेतु कलस्टर तैयार किया गया है। प्रयास किये जा रहे हैं कि सूरजमुखी की खेती के लिए किसानो को अधिक से अधिक जोड़ा जाए। एक समय था जब कन्नौज सूरजमुखी की खेती के लिए विख्यात था। कालान्तर में कुछ ऐसी परिस्थियां रही होगी, जिससे जनपद सूरजमुखी की खेती में समाप्ति की ओर पहुंच गया लेकिन अब लम्बे अन्तराल के बाद सूरजमुखी के अच्छी क्वालिटी के हाईब्रिड बीज आ गयें है, जिसमें आॅयल की मात्रा भी ज्यादा है। जनपद के किसान भाइयों का इनसे परिचय कराया जा रहा है। कहा कि जनपद में मक्के की खेती अधिक मात्रा में होती है जिसमें बहुत अधिक भूमिगत जल जाया होता है। जनपद में पूर्व में जो सूरजमुखी की खेती प्रचुर मात्रा मे नेचुरल तरीके से होती थी, इस फसल को पुनः खड़ा करने के लिये प्रयास किये जा रहे हैं। इसमें भूमिगत जल की कम आवश्यकता होती है।
श्री शुक्ल ने कहा कि प्रधानमंत्री ने सभी देश वासियों से आवाह्न किया है। हम अपने खाने में 10 प्रतिशत तेल कम खाएं। इसके दो कारण हैं, एक तो यह है कि हमारी आबादी का मोटापा बढ़ रहा है और दूसरा बहुत सारा डाॅलर तेल खरीदने में खर्च हो रहा है। जो विदेश से आयल आ रहा है उसमें अधिक धनराशि खर्च होने के साथ वजन बढ़ने से अनेक प्रकार की बीमारियां भी बढ़ रही हैं। इसलिये हम सबको प्राकृतिक तेल को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। सूरजमुखी की खेती वैज्ञानिक पद्यति एवं विशेषज्ञो की सलाह से करें, निश्चित रुप से दो से तीन वर्षो में प्रगति देखने को मिलेगी। समय-समय पर सीड्स की उपलब्धता, सीड्स की गुणवत्ता, सीड्स का शोधन एवं खेती करने की जानकारी कृषि विभाग के अधिकारियों एवं वैज्ञानिको से लेते रहें। अग्रणी किसान बनकर कार्य करें, सफलता अवश्य मिलेगी।
डा० महक सिंह सूरजमुखी के वरिष्ठ वैज्ञानिक चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्व विद्यालय कानपुर ने कहा कि यह समय सूरजमुखी की बुआई का उपयुक्त समय है। 10 मार्च तक सूरज मुखी की बुवाई अवश्य कर लें। कहा कि हमे रसयानों से मुह मोड़ना होगा, हमे जहरीले उत्पाद नही देने है, हमें जैविक खेती करनी है। सूरजमुखी एक ऐसी फसल है जो साल में तीन बार बुआई कर सकते हैं। किसानो को दोनो आंखे खोलकर खेती करनी होगी, एक आंख बाजार पर एवं दूसरी आंख खेती पर लगानी होगी। उन्होंने जायद में संकर सूरजमुखी की खेती करने की विस्तार पूर्वक जानकारी देते हुए बताया गया कि सूरजमुखी की खेती खरीफ, रबी एवं जायद तीनों मौसमों में की जाती है। सूरजमुखी में 50 से 52 प्रतिशत तेल की मात्रा होती है तथा इसकी खली में 50 प्रतिशत प्रोटीन पाया जाता है। 5 से 6 कि०ग्रा० बीज, 120 नाईट्रोजन, 60 कि०ग्रा० फास्फोरस, 40 कि०ग्रा० पोटास, 2 कुन्तल जिप्सम अथवा 30 कि०ग्रा० सल्फर की प्रति हेक्टेयर की दर आवश्यकता होती है। बुवाई से पूर्व बीज को 12 घण्टे तक पानी में भिगोने के बाद 3 से 4 घण्टे छाया में सूखा कर थीरम 2 ग्राम या कार्बण्डाजिम 2.5 ग्राम या ट्राईकोडरमा 4 से 5 ग्राम प्रति किलो ग्राम बीज की दर से उपचारित करने के बाद ही बुवाई करें, जिसमें लाइन से लाइन की दूरी 45 सेमी० तथा पौधे से पौध की दूरी 30 सेमी० रखी जाये। सूरजमुखी 85 से 90 दिन की फसल होती है तथा 20 से 25 कुन्तल प्रति हे० उत्पादन प्राप्त होता है।
डा० सर्वेन्द्र कुमार गुप्ता मूँगफली के वरिष्ठ वैज्ञानिक चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्व विद्यालय कानपुर ने मूँगफली की खेती करने की जानकारी देते हुए बताया गया कि जायद में मूँगफली की खेती करने से खरीफ की तुलना में ढेड से दोगुना उत्पादन मिलता है, उनके द्वारा बताया गया कि जायद में बुवाई के लिए स्पेनिस ग्रुप की प्रजातियों जैसे-अवतार, डी०जी० 37ए, डी०एच० 86, आई०सी० जे०डी० 93468 एवं टी०ए०जी०-24 आदि अच्छी किस्में है। 90 से 100 किलो ग्राम बीज, 20 कि०ग्रा० नाइट्रोजन, 30 कि०ग्रा० फास्फोरस, 45 कि०ग्रा० पोटास, 250 कि०ग्रा० जिप्सम अथवा 30 कि०ग्रा० सल्फर प्रति हेक्टेयर प्रयोग करें। बीज को थीरम 2 ग्राम या कार्मेण्डाजिम 2.5 ग्राम या ट्राईकोडरमा 4 से 5 ग्राम प्रति किलो ग्राम बीज की दर से उपचारित करने के बाद ही बुवाई करें, जिसमें लाइन से लाइन की दूरी 30 सेमी० तथा पौधे से पौध की दूरी 10 सेमी० रखी जाये। मूँगफली की फसल 115 से 120 दिन में तैयार हो जाती है तथा 25 से 30 कुन्तल प्रति हे० उत्पादन प्राप्त होता है।
कृषि तकनीकी विशेषज्ञ सुरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव कानपुर ने उपस्थिति कृषकों को बताया कि अब आपको अलग-अलग तरह की उर्वरक खरीदने की आवश्यकता नहीं होगी, हम आपको मृदा परीक्षण के आधार पर फसल में प्रयोग होने वाले समस्त सन्तुलित उर्वरकों का संयुक्त बेसल डोज एवं टॉपड्रेसिंग डोज़ एक में ही तैयार कर उपलब्ध करायेगें। पानी की समस्या से फसल को नुकसान न हो इस लिए इसमें 1 ग्राम पोलीमर प्रयोग कर सकते हैं 268 मि०ली० पानी सोख कर आवश्यकता पड़ने पर धीरे-धीरे पौधों को पानी उपलब्ध कराएंगे।
सतेन्द्र सतसारिया निदेशक एच०ए०एल० एग्रो प्रा०लि० कानपुर ने बताया कि हमारी कम्पनी प्रति वर्ष 3.5 से 4.00 लाख टन मक्का की प्रोसेसिंग करती है, जिससे हम स्टार्च, ग्लोकोज, ल्यूक्डिग्लोकोज एवं सेराइटल तैयार करते हैं। जनपद के एफ०पी०ओ०/ किसान भाई उप कृषि निदेशक के माध्यम से हमारी कम्पनी से एग्रीमेंट कर मक्का उपलब्ध करवाकर अच्छा मूल्य प्राप्त कर सकते है।
आढती/क्रेता मण्डी परिषद कन्नौज ने बताया कि हमारे यहाँ मण्डी में सूरजमुखी, मूँगफली एवं मक्का की खरीद की जाती है, किसान भाई अपनी मण्डी में ही फसल बेच कर अच्छा मूल्य प्राप्त कर सकते हैं इसके लिए उन्हें माधोगंज हरदोई आदि मण्डियों में जाने की आवश्यकता नहीं है।
इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी राम कृपाल चौधरी, उप निदेशक कृषि प्रमोद सिरोही, जिला कृषि अधिकारी आवेश सिंह, कृषि प्रसार अधिकारी अविशांक सिंह चौहान एवं बड़ी संख्या में किसान भाई उपस्थित रहे।