भाजपा में बनवारी और अजय वर्मा की बगावत, तो सपा में ताहिर और दिनेश ने अपनाए अलग स्वर
बृजेश चतुर्वेदी
कन्नौज।(आवाज न्यूज ब्यूरो) विधान सभा चुनाव के लिए जिले के दो प्रमुख दलों सपा और भाजपा द्वारा प्रत्याशी चयन की घोषणा के लगभग फौरन बाद दोनों दलों में बगावत जैसे हालात हो गए और खासा तूफान खड़ा हो गया।196 छिबरामऊ सीट पर सपा प्रत्याशी के तौर पर पूर्व विधायक अरविंद यादव के नाम की आधिकारिक घोषणा के फौरन बाद बीते विधान सभा चुनाव में पराजित होने के बाद सपा में शामिल होने वाले ताहिर हुसैन सिद्दीकी के समर्थकों ने जोरदार बगावत का आगाज़ किया। उनके गुरसहायगंज स्थित आवास के बाहर समर्थकों का इतना भारी हुजूम जमा हुआ कि प्रशासन और सपा समर्थकों को भी पसीना आ गया। अंततः अपनी छत पर खड़े होकर ताहिर को समर्थकों से यह वादा करना पड़ा कि वे समर्थकों के निर्देश का पालन करेंगे और यदि जरूरी हुआ तो चुनाव भी लड़ेंगे। ताहिर पिछली बार बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे और भाजपा प्रत्याशी अर्चना पांडेय के मुकाबले प्रचंड मोदी लहर में 37 हज़ार 224 मतों से परास्त हो गए थे। लंबे अंतराल के बाद भाजपा इस सीट पर कब्जा जमाने मे सफल हो पाई थी जब उसे इस सीट पर 112209 मत मिले थे, बसपा के निवर्तमान विधायक ताहिर हुसेन सिद्दीकी को 74985 मत प्राप्त हुए थे जबकि सपा को यहां तीसरे स्थान पर रहकर 72663 मतों से संतोष करना पड़ा था। यही वजह है कि इस सीट पर ताहिर का दावा ज्यादा मजबूत था। लेकिन पहले की अपेक्षा अब ज्यादा परिपक्व राजनेता बन चुके अखिलेश यादव भाजपा के चक्रव्यूह में नही फंसे। भाजपा चाहती थी कि यहां से सपा ताहिर को टिकट दे और वो इस प्रतिष्ठापूर्ण सीट पर होने वाली लड़ाई को हिन्दू मुसलमान में बदलकर आसानी से जीत दर्ज कर ले। सपा ने अरविंद को टिकट देकर भाजपा का यह दांव तो फैल कर दिया लेकिन अब इस निर्णय से उपजे जनरोष को सम्हाल पाना उसके लिए कड़ी चुनौती साबित होगा। विरोध महज ताहिर का ही नही अपनो का भी है। जिला पंचायत सदस्य दिनेश यादव भी इस सीट पर टिकट के मज़बूत दावेदार थे और अरविंद को टिकट मिलने के बाद वो भी खुलकर विरोध प्रकट करने से नही चूके। उन्होंने भी पार्टी के इस फैसले पर कड़ी आपत्ति जताई और इस फैसले को गलत करार दिया।अब बात भाजपा की कन्नौज सदर से कानपुर के पूर्व पुलिस आयुक्त असीम अरुण को टिकट की घोषणा के बाद बताया जाता है कि इस सीट के प्रबलतम दावेदार बनवारी लाल दोहरे कोप भवन में चले गए। यहां तक कि परिजनों को छोड़कर वे किसी से फोन पर भी बात नही कर रहे। बनवारी लाल दो बार सदर सीट से विधायक रहे है और उनका एक मजबूत जनाधार भी है। युवा पीढ़ी का नेतृत्व कर रहे अधिवक्ता तरुण चंद्रा भी खुलकर विरोध में उतर आए है। इन दोनों बागियों को मनाने में पार्टी नेतृत्व को पसीना बहाना पड़ रहा है। एक बेहद भरोसेमंद सूत्र ने दावा किया कि शीघ्र ही पार्टी आलाकमान ने इन दोनों को न मनाया तो पार्टी को खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। तिर्वा विधान सभा सीट पर भाजपा ने निवर्तमान विधायक कैलाश राजपूत को एक बार फिर मैदान में उतारा है। उनके विरुद्ध बगावती तेवर दिखाते हुए उमर्दा के ब्लॉक प्रमुख अजय वर्मा ने आज पार्टी की प्राथमिक सदस्यता समेत सभी पदों से इस्तीफा दे दिया। लोधी बाहुल्य इस सीट पर अजय की बगावत पार्टी के लिए किसी सुनामी से कम नही है और अगर वक्त रहते इसका तोड़ न निकाला गया तो पार्टी के लिए यह सीट दिवास्वप्न साबित हो सकती है।