बृजेश चतुर्वेदी
कन्नौज।(आवाज न्यूज ब्यूरो) एक इत्र व्यवसायी के घर से छापे में मिला रुपयों का जखीरा राजनीतिक दलों और नेताओं के बीच भले एक-दूसरे को कोसने का मुद्दा बना हो लेकिन इत्रनगरी के लोगों के बीच इसे चुनावी मुद्दे के तौर पर नहीं देखा जा रहा है। इसकी बजाए वे बेहतर नागरिक सुविधाएं और व्यवसाय की बढ़ोत्तरी का माहौल चाहते हैं। समाजवाद के गढ़ के तौर पर जानी जाने वाली कन्नौज सदर सीट पर बीजेपी इस बार पुलिस अधिकारी से नेता बने असीम अरुण को उतारकर सेंध लगाने की कोशिश में हैं।
पिछले साल दिसम्बर में यहां के इत्र कारोबारी पीयूष जैन के घर और फैक्ट्री से डायरेक्टर जनरल ऑफ जीएसटी इंटीलिजेंस (डीजीजीआई) के छापे में 177 करोड़ रुपए कैश, 25 किलोग्राम सोना और ढाई सौ किलो चांदी की बरामदगी हुई थी। इसके बाद बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू हो गया। कन्नौज सदर विधानसभा सीट 2017 में मोदी लहर के बावजूद भाजपा के प्रभाव से अछूती रही थी। यहां से न सिर्फ 1999 में मुलायम सिंह यादव लोकसभा के लिए चुने गए बल्कि अखिलेश यादव और उनकी पत्नी डिंपल यादव के राजनीतिक कॅरियर की शुरुआत भी यहीं से हुई। कानपुर के पूर्व पुलिस कमिश्नर असीम अरुण इसी जिले की तिर्वा विधानसभा क्षेत्र के एक गाँव के रहने वाले हैं। अपनी शानदार नौकरी 9 वर्ष पहले छोड़कर संघ और भाजपा के इस आश्वासन पर कि वे चुनाव जीतें या हारें भाजपा सरकार बनने पर वे पार्टी का दलित चेहरा होंगे, स्वैच्छिक सेवानिवृति (वीआरएस) लेकर वे चुनावी राजनीति में कूद गए हैं। वह लगातार चार बार से विधायक चुने जा रहे समाजवादी पार्टी के विधायक अनिल दोहरे के सामने ताल ठोंक रहे है और पार्टी के बाहर ही नही अंदर के भयंकर भितरघात से भी जूझ रहे हैं।
फरुर्खाबाद जिले से अलग करके कन्नौज जिले का गठन बसपा सुप्रीमो मायावती के मुख्यमंत्रित्व काल में 1997 में हुआ था लेकिन यहां से उनकी पार्टी का कोई उम्मीदवार कभी नहीं जीता। कन्नौज से लगातार सपा के उम्मीदवार ही चुनाव जीतते रहे। कन्नौज (सुरक्षित) सदर सीट से कांग्रेस ने इस बार यहां से विनीता देवी को मैदान में उतारा है जबकि बीएसपी ने तिर्वा निवासी समरजीत सिंह दोहरे को टिकट दिया है। 20 फरवरी को यहां यूपी विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण के तहत मतदान होना है।
2017 के चुनाव में बीजेपी के बनवारी लाल दोहरे ने अनिल दोहरे को अच्छी टक्कर दी थी लेकिन सपा प्रचंड मोदी लहर के बावजूद चुनाव 2454 वोटों के मामूली अंतर से जीतने में कामयाब रही थी। दोहरे मतदाताओं (दलित) के प्रभाव वाली इस सीट पर मुकाबले को और रोचक बनाते हुए बीएसपी ने भी इस बार यहां से इसी वर्ग के समरजीत सिंह दोहरे को मैदान में उतारा है। असीम अरुण भी इसी जाति से आते हैं। अनिल दोहरे के पास उनकी लम्बी राजनीतिक विरासत है। वह एक पुराने समाजवादी हैं। उनके पिता बिहारी लाल दोहरे भी इस सीट से जीत चुके हैं। खास बात यह है कि पिता पुत्र और पुत्रवधू को राजनीति में उनकी ईमानदारी, सर्वसुलभता और मृदुभाषी स्वभाव के कारण खासा सम्मान हासिल है। अनिल की पत्नी सुनीता दोहरे जिला पंचायत अध्यक्ष थीं। इसी विधानसभा क्षेत्र के अनौगी स्थित एक गांव के अनिल पैतृक निवासी है जबकि तिर्वा क्षेत्र का खैरनगर असीम अरुण के पुरखों का गांव है। उनके पिता उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी श्रीराम अरुंण का अपने गांव से लगाव था। वे यहां से जुड़े रहते थे और अक्सर अक्सर यहाँ आते थे। उन्होंने यहां एक स्कूल भी खोला था और किसानों की सिंचाई सम्बन्धी समस्याओं का काफी हद तक समाधान निकाला।’
असीम अरुण कहते हैं कि हमारा कन्नौज से पुराना रिश्ता है और यहां के लोग मुझे बेटा मानते हैं। इसके साथ ही योगी सरकार ने काफी काम किया है। लिहाजा इस बार यहां से बीजेपी ही जीतेगी। चुनाव जीतने के बाद इस क्षेत्र के नौजवानों के लिए मिलिट्री और सुरक्षा बलों में भर्ती का रास्ता आसान बनाने के लिए यहां एक विशेष प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना कराई जाएगी। आलू और इत्र व्यवसाय को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए ठोस रणनीति और प्लान के तहत काम किया जाएगा।
समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार अनिल दोहरे ने कहा कि अखिलेश यादव ने परफ्यूम पार्क के निर्माण का काम शुरू किया था। इसके साथ आलू मंडी, कैंसर अस्पताल, कार्डियोलॉजी सेंटर और ट्रॉमा सेंटर का भी निर्माण हो रहा था। कई अन्य महत्वपूर्ण काम शुरू किए गए थे लेकिन मौजूदा बीजेपी सरकार ने इन्हें पूरा करने में कोई रुचि नहीं दिखाई क्योंकि उन्हें लगता है कि इस इलाके पर समाजवादी पार्टी की मजबूत पकड़ है।
बीएसपी उम्मीदवार समरजीत सिंह दोहरे ने दावा किया कि इस बार लोग बसपा को चुनेंगे क्योंकि सपा ने यहां का कोई विकास नहीं किया।
एक पूर्व राजस्व अधिकारी की पुत्रवधू कांग्रेस उम्मीदवार विनीता देवी ने कहा कि यदि वह चुनाव जीतती हैं तो महिलाओं की सुरक्षा और विकास के लिए काम करेंगी।
कन्नौज ब्राह्मण सभा के अध्यक्ष और कन्नौज के प्रतिष्ठित व्यवसायी अनुज मिश्रा के अनुसार पीयूष जैन के यहां से रुपयों की बरामदगी यहां चुनावी मुद्दा नहीं है। वह कहते हैं-‘पीयूष जैन किसी पार्टी के सदस्य नहीं थे। वह तो सिर्फ एक व्यवसायी थे। इस बार शिक्षा, रोजगार, सड़क और पानी बड़े मुद्दे हैं। हम लोग तो इन्हीं मुद्दों पर वोट देंगे। हम सब इस इलाके का विकास चाहते हैं।’ इत्र कारोबारी आशु दुबे ने कहा- ‘आप इत्र कारोबारी के यहां से रुपयों की बरामदगी की बात करते हैं लेकिन यह यहां मुद्दा नहीं है। हम लोग इत्र कारोबार से जुड़े हैं और चाहते हैं कि फूल के कारोबारियों को उचित सुविधाएं मिलें जिससे कि वे अच्छी फसल उगा सकें और हमें इत्र बनाने के लिए स्थानीय स्तर पर ही फूल मिल जाएं।’
बीज और कृषि सम्बन्धित चीजों का व्यवसाय करने वाले अनुराग मौर्य ने कहा कि राजनीतिक दल व्यवसायियों की उपेक्षा करते हैं। उन्होंने कहा-‘कोरोना की वजह से व्यवसाय बर्बाद हो चुका है। कोई नेता इस पर बात करने को तैयार नहीं है।’ सेवानिवृत सरकारी कर्मचारी नईम खान ने कहा कि अखिलेश सरकार ने यहां अस्पताल बनवाए और विकास के कई काम किए। लोगों के इलाज में ये संस्थान काम आते लेकिन ट्रामा और कार्डियोलॉजी सेंटर आज भी अधूरे पड़े हैं। इसकी वजह से लोगों को इलाज के लिए कम से कम 85 किलोमीटर का सफर तय करके कानपुर जाना पड़ता है। शहर के एक युवा दीपक केसरी ने रोजगार और तनाव का सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि ये चुनाव का महत्वपूर्ण मुद्दा होना चाहिए।